अंग दान दिवस 2018 (World Organ Donation Day 2018) : अंगदान कीजिए और जान बचाइए

13 अगस्त, सोमवार को पूरे भारत में अंग दान दिवस 2018 (World Organ Donation Day 2018) मनाया जा रहा है. अंगदान दिवस प्रतिवर्ष 13 अगस्त को मनाया जाता है। जागरूकता की कमी के कारण, लोगों के मन में अंगदान के बारे में भय और मिथक विद्यमान हैं। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य सामान्य मनुष्य को मृत्यु के बाद अंगदान करने की प्रतिज्ञा दिलाने के लिए प्रोत्साहित करना हैं।

 

अंगदान में अंगदाता (organ donor) के अंगों जैसे कि हृदय, लीवर (यकृत), गुर्दे, आंत, फेफड़े, और अग्न्याशय का दान उसकी मृत्यु के पश्चात ज़रूरतमंद व्यक्ति में प्रत्यारोपित करने के लिए किया जाता है।

 

भारत में संपन्न एक सर्वेक्षण के अनुसार, प्रत्येक वर्ष लगभग पांच लाख व्यक्तियों की मृत्यु अंगों की अनुपलब्धता के कारण हो जाती है, जिनमें से दो लाख व्यक्ति लीवर (liver) की बीमारी और पचास हज़ार व्यक्ति हृदय की बीमारी के कारण मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। इसके अलावा, लगभग एक लाख पचास हज़ार व्यक्ति गुर्दा प्रत्यारोपण (Kidney transplant) की प्रतीक्षा करते हैं, जिनमें से केवल पांच हज़ार व्यक्तियों को ही गुर्दा प्रत्यारोपण का लाभ प्राप्त होता है।

 

अंगदाता दूसरे व्यक्तियों के जीवन को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता हैं, जिस रोगी को अंग प्रत्यारोपण की तत्काल ज़रूरत होती है, उस रोगी में अंगदाता के अंग को प्रत्यारोपित किया जाता हैं।

 

अंग दान का महत्व

 

एक रिपोर्ट के अनुसार, किसी भी समय किसी व्यक्ति के मुख्य क्रियाशील अंग के खराब हो जाने की वजह से प्रति वर्ष कम से कम 5 लाख से ज्यादा भारतीयों की मौत हो जाती है। वो अभी भी जीना चाहते हैं क्योंकि वो अपने जीवन से संतुष्ट नहीं हैं लेकिन प्राकृतिक संकट की वजह से वो ऐसा कर नहीं पाते। उम्मीदों से ज्यादा एक जीवन जीने के उसके समय को बढ़ाने के द्वारा उसके सुंदर जीवन में अंग प्रतिरोपण (Organ transplantation) एक बड़ी भूमिका अदा कर सकता है। अंग प्रतिरोपित व्यक्ति के जीवन में अंग दान करने वाला व्यक्ति एक ईश्वर की भूमिका निभाता है। अपने अच्छे क्रियाशील अंगों को दान करने के द्वारा कोई अंग दाता 8 से ज्यादा जीवन को बचा सकता है। अंग दान दिवस अभियान, जो 13 अगस्त को मनाया जाता है, एक बेहतरीन मौका देता है हर एक के जीवन में कि वो आगे बढ़े और अपने बहुमूल्य अंगों को दान देने का संकल्प लें।

 

अंगदान करने के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य।

 

  • कोई भी व्यक्ति चाहे, वह किसी भी उम्र, जाति, धर्म और समुदाय का हों, वह अंगदान कर सकता है।

 

  • अंगदान करने की कोई निश्चित उम्र नहीं होती है।

 

  • अंगदान करने का निर्णय उम्र के आधार पर नहीं किया जाता है, बल्कि यह निर्णय विशुद्ध चिकित्सा मनदंडों के आधार पर किया जाता है।

 

  • प्राकृतिक मृत्यु की स्थिति में कॉर्निया, हृदय वाल्व, त्वचा, और हड्डी जैसे ऊतकों का दान किया जा सकता हैं, लेकिन ‘मस्तिष्क की मृत्यु’ होने की स्थिति में केवल लीवर (यकृत), गुर्दे, आंत, फेफड़े, और अग्न्याशय का दान ही किया जा सकता है।

 

  • हृदय, अग्न्याशय, लीवर (liver), गुर्दें और फेफड़ें जैसे अंगों का प्रत्यारोपण उन अंग प्राप्तकर्ताओं में किया जाता हैं, जिनके अंग असफल हो चुकें हैं, ताकि यह प्राप्तकर्ता सामान्य जीवनयापन कर सकें।

 

  • अठारह वर्ष से कम आयु के अंगदानकर्ताओं के लिए अंगदान करने से पहले अपने माता-पिता या अभिभावकों की सहमति प्राप्त करना आवश्यक होता हैं।

लक्ष्य

 

  • अंग दान की जरुरत के बारे में लोगों को जागरुक करना।

 

  • पूरे देश में अंग दान के संदेश को फैलाना।

 

  • अंग दान करने के बारे में लोगों की हिचकिचाहट को हटाना।

 

  • अंग दाता का आभार प्रकट करना।

 

  • अपने जीवन में अंग दान करने के लिये और लोगों को प्रोत्साहित करना।

कौन सा अंग दान किया जा सकता है?

 

  • किडनी

 

 

  • हृदय

 

 

  • कलेजा

 

  • पाचक ग्रंथि

 

  • आँख की पुतली की रक्षा करने वाला सफेद सख्त भाग

 

  • आँत

 

  • त्वचा ऊतक

 

  • अस्थि ऊतक

 

  • हृदय छिद्र

 

  • नसें

 

समाज में अंग दान की शुरुआत करने वाले बहुत से संस्थान और लोग हैं; उनमें से एक टाईम्स ऑफ इंडिया (The Times of India) है जिसने इसकी पूर्ति और अंग दान की जरुरत के बारे में आँकड़ों सहित रोजाना असरदार और वास्तविक खबरों के द्वारा पूरे विश्व में अंग दान के संदेश को फैला रहें हैं। लोगों के बीच में टीओआई की खबर ने एक उम्मीद जगाई जिन्हें वास्तव में अंग प्रतिरोपण की जरुरत है। टीओआई ने “मृत्यु के बाद भी जीवन शुरु हो सकता है” के शीर्षक के तहत महान संदेश दिया। उसके अनुसार पूरे देश में ऐसे बहुत सारे व्यक्ति हैं जिनका कोई महत्वपूर्णं अंग खराब हो गया हो और उन्हें अपने जीवन को जारी रखने के लिये किसी दूसरे व्यक्ति के अंग की जरुरत हो। ब्रेन डेथ के बाद ही अंग दान की प्रक्रिया के द्वारा अंग प्रतिरोपण की जरुरत को पूरी की जा सकती है। लेकिन सिर्फ अफवाह और भ्रम की वजह से आज भी हमारे देश में अंग दान करने वालों की संख्या बहुत कम है। जिस किसी को भी आपके बहुमूल्य अंग की बेहद जरुरत है उसे अपना अंग दान देने के द्वारा अपने जीवन में अपने महान देश और परिवार के लिये आदर्श बने।

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