वर्ल्ड पोलियो दिवस 2018 : भारत में फिर लौट सकती है पोलियो की बीमारी!

24 अक्टूबर को दुनियाभर में वर्ल्ड पोलियो दिवस मनाया (World Polio Day 2018 In Hindi) जा रहा है। पोलियो या ‘पोलियोमेलाइटिस’ एक ऐसा संक्रामक रोग है जो ज्यादातर बच्चों के बीच पाया जाता है। इस रोग से पीड़ित बच्चे जीवनभर के लिए अपंग हो जाते हैं। वैसे तो इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है लेकिन सही समय में टीकाकरण करवाकर इस रोग से बचा जा सकता है।

पोलियो को ‘पोलियोमाइलाइटिस’ या ‘शिशु अंगघात’ भी कहा जाता है। यह ऐसी बीमारी है, जिससे कई राष्ट्र बुरी तरह से प्रभावित हो चुके हैं। हालांकि विश्व के अधिकतर देशों से पोलियो का खात्मा पूरी तरह से हो चुका है, लेकिन अभी भी विश्व के कई देशों से यह बीमारी जड़ से खत्म नहीं हो पायी है।

 

पोलियो क्या है?

 

पोलियोमाइलाइटिस अथवा पोलियो एक संक्रामक रोग है, जो वायरस के द्वारा फैलता है। यह लक्षण सामान्य से तीव्र हो सकते हैं और इसमें आम तौर पर टांगों में लकवा हो जाता है। पोलियो का वायरस मुँह के रास्ते शरीर में प्रविष्ठ‍ होता है और आंतों को प्रभावित करता है। वायरय के शरीर में प्रवेश करने के कुछ ही घंटों बाद इससे पक्षाघात तक हो सकता है।

 

विश्‍व पोलियो दिवस

 

विश्‍व पोलियो दिवस को एक दशक पहले रोटरी इंटरनेशनल ने जोन.ई साल्‍क के जन्‍म के अवसर पर शुरू किया था, जोन. ई साल्‍क का जन्‍म अक्‍टूबर माह में हुआ था इसलिए विश्‍व पोलियो दिवस अक्‍टूबर माह में मनाया जाता है। जोन. ई साल्‍क वर्ष 1955 में पोलियो की पहली वैक्‍सीन का अविष्‍कार करने वाली टीम के प्रमुख थे इसलिए जोन.ई साल्‍क को पोलियो के टीके का अविष्‍कारक भी कहा जाता है। निष्क्रिय पोलियोवायरस वैक्‍सीन और लाइव मौखिक पोलियोवायरस वैक्‍सीन का उपयोग करने के लिए वर्ष 1988 में ग्‍लोबल पोलियो उन्‍मूलन पहल (जीपीईआई) की स्‍थापना की गयी।

 

भारत पोलियो मुक्त देश घोषित

 

विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) द्वारा 27 मार्च 2014 को भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित किया गया. 27 मार्च 2014 को दिल्ली स्थिति डब्लूएचओ के कार्यालय में आयोजित समारोह में दक्षिण-पूर्व एशिया को पोलियो मुक्त क्षेत्र घोषित किया गया.इसके तहत भारत को भी पोलियो मुक्त देश का दर्जा दिया गया.डब्लूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र सर्टिफिकेशन आयोग ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद को पोलियो मुक्त देश का प्रमाण पत्र सौंपा.

 

भारत को आधिकारिक तौर पर पोलियो मुक्त देश घोषित करते हुए डब्लूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ.पूनम खेत्रपाल ने कहा कि कभी किसी एक देश को अकेले पोलियो मुक्त घोषित नहीं किया जाता,बल्कि डब्ल्यूएचओ अपने क्षेत्रीय जोन को पोलियो मुक्त घोषित करता है. 27मार्च 2014 को पोलियो मुक्त घोषित दक्षिण-पूर्व एशिया जोन में भारत सहित कुल 11 देश शामिल हैं,जिसमें बांग्लादेश, भूटान, कोरिया, इंडोनेशिया, मालदीव, म्यांमार,नेपाल,श्रीलंका,थाइलैंड व तिमोर-लेस्ते शामिल हैं. विदित हो कि सबसे पहले वर्ष 1994 में अमेरिका वर्ष 2000 में पश्चिमी प्रशांत (वेस्टर्न पैसिफिक)जोन व वर्ष 2002 में यूरोपीय क्षेत्र को पोलियो मुक्त घोषित किया गया था.

 

पोलियो के प्रकार

 

पोलियो रोग नॉन-पैरालिटिक और पैरालीटिक दो प्रकार का होता है| 

 

पैरालीटिक पोलियो (Paralytic Polio) – पैरालीटिक पोलियो को लकवाग्रस्त पोलियो भी कहते है| 100 में से केवल 1 % बच्चो में लकवाग्रस्त पोलियो का विकास होता है| यह बहुत कम देखने को मिलने वाला पोलियो है| पैरालीटिक पोलियो के कारण मस्तिष्क तंत्र या रीढ़ की हड्डी या फिर दोनों ही लकवे की चपेट में आ सकती है| पैरालीटिक पोलियो के शुरूआती लक्षण नॉन-पैरालीटिक पोलियो के जैसे ही होते है, लेकिन 7 से 8 दिन के बाद पैरालीटिक पोलियो के लक्षण गंभीर हो जाते है|

 

नॉन-पैरालिटिक पोलियो (Non-Paralytic Polio) – नॉन- पैरालीटिक पोलियो को अबोर्टिव पोलियो भी कहते है| नॉन-पैरालिटिक पोलियो के कारण लकवा होने का खतरा नहीं रहता|

 

पोलियो के लक्षण

 

 

  • गला लाल होना

 

 

 

 

  • सामान्य काम करने में असुविधा

 

पोलियो के कारण

 

पोलियो फ़ैलाने वाला वायरस सबसे पहले मल-मौखिक मार्ग के माध्यम से फैलता है| यह ऐसे स्थानों पर अधिक फैलता है, जहाँ अधिक गन्दगी रहती है| पोलियो वायरस दूषित पानी पीने, गन्दा खाना खाने और पोलियो युक्त व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है| पोलियो वायरस का संक्रमण इतना अधिक होता है, कि पोलियो संक्रमित व्यक्ति के साथ रहने से भी पोलियो होने का खतरा हो जाता है|

 

पोलियोवायरस संक्रमित व्यक्ति के मल से महीनो तक फ़ैल सकता है| पोलियोवायरस से संक्रमित व्यक्ति के मल के संपर्क में आने वाला खिलौना भी इस रोग के वायरस को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है| पोलियोवायरस से संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से भी यह रोग फ़ैल जाता है| वैसे ऐसा होना बहुत कम ही देखा गया है| छोटे बच्चे पोलियोवायरस के प्रति अतिसंवेदनशील होते है, एचआईवी पॉजिटिव लोगो की कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण भी यह रोग हो सकता है| पोलियो वैक्सीन ना कराने के कारण भी पोलियो होने का खतरा बढ़ सकता है| पोलियो के अन्य कारण निम्नलिखित है|

 

1. पोलियो के प्रकोप मर चल रहे क्षेत्र में रहने या यात्रा करने से|

2. पोलियो संक्रमित व्यक्ति के साथ रहने से पोलियो हो सकता है|

3. पोलियो वायरस के संपर्क में आने के बाद तनाव में आने से भी पोलियो हो सकता है|

4. टॉन्सिल्स को सर्जरी से निकालने के बाद भी पोलियो हो सकता है|

5. पोलियो संक्रमित व्यक्ति की देखभाल करने से भी पोलियो हो सकता है|

6. लेबोरेटरी में पोलियो संक्रमित नमूने जाँच करने से भी पोलियो हो सकता है|

पोलियो से बचाव

 

अगर आप इस बीमारी से बचना चाहते है, तो पोलियो से बचाव का एकमात्र उपाय टीकाकरण है| पोलियो का एक विशेष प्रकार का टिका बच्चो को लगाया जाता है, इस टीके को लगाने के बाद बच्चो को पोलियो नहीं होता| इस टीके को पोलियो का टीका भी कहते है, और यह प्रत्येक सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर फ्री लगाया जाता है| टीकाकरण होने के बाद बच्चो में इस रोग के प्रति आजीवन प्रतिरक्षा स्थापित हो जाती है|

बच्चो के शरीर को पोलियो वायरस लड़ने के लिए पोलियो वैक्सीन तैयार करता है| जिन जिन बच्चो की सभी पोलियो वैक्सीन, टीकों की खुराक लेते है, वो इस बीमारी के खतरे से हमेशा बचे रहते है|

पोलियो से रक्षा करने वाले वैक्सीन मौखिक पोलियोवायरस वैक्सीन और निष्क्रिय पोलियोवायरस वैक्सीन दो प्रकार के होते है| पोलियो वैक्सीन (Polio vaccine) इंजेक्शन के माध्यम से मरीज की आयु के आधार पर उसके पैर या हाथ में लगाई जाती है| पोलियो वैक्सीन मरीज को अन्य टीको के साथ साथ दी जाती है| पोलियो से बचने के लिए बालावस्था में ही पोलियो वैक्सीन दी जानी चाहिए| बच्चो को पोलियो वैक्सीन की चार खुराख दी जाती है| पहली खुराख दो महीने में दी जाती है, दूसरी खुराख चार महीने में दी जाती है, तीसरी खुराख 6 से 18 महीने में दी जाती है और चौथी और आखरी खुराख चार से छः साले में दी जाती है|

निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन को 2002 में हेपेटाइटिस बी, डिप्थीरिया, पर्टुसिस और टेटनस वैक्सीन के साथ मिलाकर एक शॉट के रूप में इस्तेमाल करना शुरू किया गया| C.D.C पोलियो संक्रमित इलाको में यात्रा करने से पहले आज भी पोलियो बूस्टर शॉट लगवाने की सलाह देता है| इसके साथ ही जो लोग पोलियो संक्रमित व्यक्ति की देखभाल करते है, उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनका टीकाकरण हुआ है या नहीं ? इसके साथ ही साफ़ सफाई पर भी पूरा ध्यान देना चाहिए|

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