इंसान के शरीर में किडनी ही रक्त को साफ़ करना, और यूरिन के द्वारा गंदगी को बाहर निकालने का काम करती है, यह इंसान के शरीर का बहुत महत्वपूर्ण अंग है। किडनी हमारे शरीर में पानी की मात्रा और जरुरी खनिजों के स्तर को नियंत्रित रखती है। किडनी हमारे शरीर को पूरी तरह से स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती है। अगर किडनी अपना काम ढंग से नहीं कर पाती है, तो यह हमारे शरीर के लिए नुकसान दायक हो सकता है। जिसकी वजह से शरीर में मौजूद अन्य अंगों को भी नुकसान हो सकता है। अगर आपकी किडनी सही से काम नहीं कर रही है तो आपको किडनी फंक्शन टेस्ट (KFT) की जरुरत है।
क्यों होती है किडनी फेल?
किडनी फेल होने का मुख्य कारण है ब्लड प्रेशर, यदि आप ब्लड प्रेशर के मरीज है, तो आपको नियमित रूप से अपने खून और यूरिन की जाँच करवाते रहना चाहिए। साँस फूलना, हाजमा ठीक न रहना, भूख न लगना, शरीर में खून की कमी, कमजोरी, थकान ये सभी आपकी किडनी ख़राब होने के लक्षण होते है, अगर आपको ऐसी कोई भी समयस्या है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
क्या किया जाता है किडनी फंक्शन टेस्ट (KFT) ?
किडनी फंक्शन टेस्ट को हम रीनल फंक्शन टेस्ट और यूरिया और इलेक्ट्रोलाइट टेस्ट भी कहते है, किडनी ख़राब होने का स्थायी इलाज तो किडनी ट्रांसप्लांट ही है। लेकिन जब ट्रांसप्लांट नहीं होता है तो डायलिसिस पर भी रखा जाता है। यदि आपके शरीर में एक साथ कई बीमारी है, जैसे हाई ब्लड प्रेशर, पेशाब करने में दर्द, बार-बार पेशाब आना, पेशाब में खून आना, हाथ पैरों में सूजन ये सभी किडनी खराब होने की ओर इशारा करते है।
सीरम क्रिएटिनिन : अगर इंसान के खून में 0.6-1.2 मिलीग्राम (eGFR) ईजीएफआर सामान्य यानि 90 से ज्यादा होता है, तो किडनी ख़राब होने वाली है। ईजीएफआर ये बताता है की किडनी कितना फ़िल्टर कर पा रही है।
ब्लड यूरिया नाइट्रोजन : ब्लड यूरिया नाइट्रोजन का सामान्य स्तर 7 से 20 मिलीग्राम का होता है। जब किडनी कम काम करने लगती है तब ब्लड यूरिया नाइट्रोजन का लेवल बढ़ने लगता है।
ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट : जब ईजीएफआर (eGFR) घट कर 90 से 60 के बीच में होता है। लेकिन क्रियेटिनिन सामान्य ही रहते है। ऐसी स्थिति में भी यूरिन से प्रोटीन ज्यादा निकलता है।
सीरम इलेक्ट्रोलाइट्स : इस स्थिति में शरीर में सोडियम बाई कार्बोनेट, पोटैशियम बाई कार्बोनेट, क्लोराइड बाई कार्बोनेट का नियमित माप सीरम इलेक्ट्रोलाइट्स जितना होता है, अगर इन तीनों में से किसी का भी संतुलन बिगड़ता है तो किडनी ख़राब हो सकती है।
यूरिन टेस्ट : इसमें क्रिएटिनिन क्लीयरेंस टेस्ट किया जाता है और उसमें ये देखा जाता है। यूरिन में मौजूद क्रिएटिनिन के स्तर को खून में मौजूद क्रिएटिनिन के लेवल से मापा जाती है। जिससे ये देखा जाता है किडनी प्रति मिनट कितने मिलीलीटर खून साफ़ कर रही है या फ़िल्टर कर रही है। अगर इसकी मात्रा में कमी होती है तब मरीज को डॉक्टर किडनी ट्रांसप्लांट या डायलिसिस पर रखते है।
मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग वाले मरीजों के लिए किडनी फंक्शन टेस्ट (KFT) बहुत जरुरी होता है। जब मरीज किडनी ख़राब होने के लक्षण प्रकट करता है तब डॉक्टर किडनी फंक्शन टेस्ट (KFT) करवाते है।
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