यूरिन ग्लूकोज टेस्ट क्या है, इसे कब कराना चाहिए?

आपको बता दें की इंसान के शरीर के अंगों की जाँच करने के लिए डॉक्टर खून और यूरिन की जांच कराते है। यूरिन की जांच करके इंसना के शरीर में होने वाली कई बीमारी का पता लगाया जाता है। यूरिन टेस्ट के जरिये आपके मूत्र की जांच करके गुर्दे की बीमारी और उच्च रक्त शर्करा का पता चलता है।

 

यदि हम मानव शरीर के स्वास्थ्य के बारे में बात करें तो उसे कब कौन सी बीमारी हो जाए इसका पता नहीं चल पता है। जब किसी इंसान के यूरिन में ग्लूकोज की अधिक मात्रा होती है तो उसे मधुमेह की संभावना रहती है। इसके अतिरिक्त यूरिन की जाँच करवा कर ये देखा जाता है की बैक्टीरिया या सफेद रक्त कोशिकाए तो नहीं है।

 

क्या है यूरिन ग्लूकोज टेस्ट ? (What is Urin Test)

 

यूरिन में ग्लूकोज की जाँच करने का सबसे अच्छा तरीका है यूरिन ग्लोकोज टेस्ट और यह बहुत ही आसान है। ये आपके यूरिन में ग्लूकोज के असामान्य रूप से उच्च स्तर को  बताता है। ग्लूकोज एक प्रकार का तरल पदार्थ होता है, जिसका आपके शरीर को ऊर्जा के लिए उपयोग किया जाता है। आपके द्वारा खाए जाने वाले खाने में कार्बोहाइड्रेट होता है और यही आपके शरीर में ग्लूकोज में परिवर्तित होता है।

 

यूरिन ग्लूकोज टेस्ट क्यों किया जाता है?

 

यूरिन टेस्ट का उपयोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों का पता लगाने के लिए किया जाता है। यूरिन में ग्लूकोज के परीक्षण के लिए आपके यूरिन का सैंपल लिया जाता है। एक बार जब आप अपना नमूना प्रदान करते हैं, तो डिपस्टिक (Dipstick) नामक एक छोटा कार्ड आपके ग्लूकोज के स्तर को नापता है। आपके यूरिन में ग्लूकोज की मात्रा के आधार पर डिपस्टिक रंग बदल लेता है। इस टेस्ट के द्वारा डॉक्टर ये पता लगाते है की मधुमेह के साथ उसे कोई और बीमारी तो नहीं है।

 

यूरिन ग्लूकोज टेस्ट के प्रकार ?

 

  • विजुअल यूरिन टेस्ट : इस टेस्ट में यूरिन के रंग और स्पष्टता की जांच की जाती है। डॉक्टर पेशाब के नमूने की जांच करते समय पेशाब में निम्न असामान्यताओं का परीक्षण करता है।

 

  • यूरिन माइक्रोस्कोपिक टेस्ट : इस टेस्ट में डॉक्टर यूरिन को माइक्रोस्कोप से देख कर उसकी जाँच करते है और यह देखते है की यूरिन में, सफेद रक्त कोशिकाएं, क्रिस्टल, जीवाणु की उपस्थिति तो नहीं है।

 

  • यूरिन डिपस्टिक टेस्ट : इस टेस्ट में डॉक्टर ये पता लगाते है की यूरिन में बिलीरुबिन, रक्त, प्रोटीन, पीएच स्तर या शर्करा की मात्रा तो नहीं है।

 

यूरिन ग्लूकोज टेस्ट से कौन सी बीमारी का पता चलता है

 

किडनी (Kidney) :

 

यूरिन टेस्ट आपको होने वाली कई बामारी से बचाता है। यदि आपका यूरिन में माइक्रोएल्ब्यूमिन का स्तर अधिक है, तो आपके डॉक्टर कई प्रकार के टेस्ट का सुझाव देते है। यह किडनी को होने वाले नुकसान को बेहतर ढंग से बता सकता है और देख सकता है कि वे कितनी अच्छी तरह से काम कर रही हैं।

 

उच्च रक्त शर्करा (High blood sugar) :

 

एक अध्ययन से पता चलता है कि जो लोग अपना ब्लड शुगर नियंत्रण में रखते है उनमें किडनी फेलियर कम होता है, जब किसी इंसान को किडनी की कोई भी समस्या होती है, तो डॉक्टर्स यूरिन टेस्ट भी करवाते है।

 

उच्च रक्तचाप (Blood pressure) :

 

जिन लोगों का रक्तचाप अक्सर कम होता है, उन्हें मधुमेह और किडनी ख़राब होने का खतरा रहता  है। इसलिए जरुरी है की आप अपने ब्लड प्रेशर की जाँच करवाते रहे। जिनका रक्तचाप 130/80 से कम होता है तो उन्हें मधुमेह  होने का खतरा ज्यादा रहता है।

 

कोलेस्ट्राल :

 

जब आपके शरीर में माइक्रोएल्ब्यूमिन्यूरिया बढ़ने लगता है तो आपको हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए डॉक्टर आपके कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रखने को कहते है। इंसान के शरीर में दो तरीके के कोलेस्ट्राल होते है गुड़ और बैड।

अन्य कारण जो किडनी की बीमारी के जोखिम को बढ़ाते हैं, उसके पीछे आपका ज्यादा वजन और धूम्रपान भी होता हैं।

 

यूरिन ग्लूकोज टेस्ट कब कराना चाहिए

 

पेशाब में खून आना :

 

जब आपको पेशाब करते वक़्त खून आने लगे तब आपको ये टेस्ट कराना चाहिए।

 

पेशाब करने में दर्द :

 

यदि आपको पेशाब करने में दर्द होता है तब भी डॉक्टर कुछ लोगों को ये टेस्ट करवाने की सलाह देते है।

 

पेशाब करने के बाद कमजोरी लगना :

 

कुछ लोगों में पेशाब करने के बाद कमजोरी लगने लगती है।

 

पेट दर्द :

 

वैसे तो पेट दर्द होने के अनेक कारण हो सकते है लेकिन इसमें आपको पेट के निचे चुभन सी महसूस होती है।


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