जैसा की आप सब जानते हैं कोरोना से ठीक होने के बाद भी कई लोगों को अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं। कोरोना काल में ऐसा कई बार देखा गया है, कि कोरोना संक्रमण ठीक होने के बाद लोगों को फेफड़ों (लंग्स) में समस्या हो रही है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि फेफड़ों में अधिक समस्या उन लोगों को हो रही है, जिन्हें कोरोना हुआ था। आज हम आपको लंग फाइब्रोसिस (Lung Fibrosis) के बारे में बताएंगे।
आपको यह भी बता दें कि जिन मरीजों को कोरोना की वजह से निमोनिया है उन्हें भी फेफड़ों में दिक्कत हो सकती है। एक्सपर्ट्स की माने तो इसका मुख्य कारण लंग फाइब्रोसिस ही है डॉक्टर की भाषा में इसे पल्मोनरी फाइब्रोसिस (Pulmonary fibrosis) के नाम से बोला जाता है। अब आप जानना चाहेंगे कि ये लंग फाइब्रोसिस क्या है?
लंग फाइब्रोसिस क्या है? ( What is Lung Fibrosis in Hindi)
यह एक दुर्लभ फेफड़ों की बीमारी है जिसे इंटरस्टिशियल लंग डिजीज (ILD) के रूप में भी जाना जाता है। दरअसल लंग फाइब्रोसिस एक प्रकार की बीमारी है जिसमें फेफड़ों के अंदर मौजूद टिश्यू (टिशू) में सूजन आ जाती है। जिससे व्यक्ति को ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। इससे शरीर में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है। जब स्थिति गंभीर हो जाती है, तो हृदय ठीक से काम नहीं कर पाता है।
जिसके परिणामस्वरूप आपको मल्टी ऑर्गन फेल्योर, हार्ट अटैक और मरीज की अधिक गंभीर स्थिति में मौत जैसी समस्या हो सकती है। इसमें फेफड़े पर धब्बे नजर आते हैं जो टीबी के समान होते हैं। इसकी पहचान के लिए डॉक्टर हाई रिजॉल्युशन थोरैक्स सीटी करवाने को कहते हैं।
आपको बता दें कि कुछ मरीजों में कोरोना के कारण उनके फेफड़ों में सूजन देखी गई है। जब यह रोग ठीक हो जाता है तो सूजन कम होने लगती है। यह सामान्य और रेशेदार ऊतक बनाता है जो फाइब्रोसिस का कारण बनता है।
लंग फाइब्रोसिस के प्रकार (Types of lung fibrosis in Hindi)
इन्हें दो प्रमुख भागों में विभाजित किया हैं:
- पहला आईपीएफ इंडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (PF Indiopathic Pulmonary Fibrosis) है, ये लगभग 50% रोगियों में पाया जाता है।
- दूसरा नॉन-आईपीएफ (non-IPF) अन्य 50 प्रतिशत रोगियों में पाया जाता है।
लंग फाइब्रोसिस के लक्षण (Lung Fibrosis Symptoms in Hindi)
हमने आपको लंग फाइब्रोसिस क्या है इसके बारे में तो बता दिया। उसके बाद आपको यह भी जानना जरूरी है कि इसके लक्षण क्या होते हैं ताकि आप इसके लक्षण दिखने पर तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह ले सके। आपको जानकर हैरानी होगी कि लंग फाइब्रोसिस के लक्षण टीबी जैसे ही होते हैं जो इस प्रकार हैं :
- वजन कम करना
- सूखी खाँसी
लंग फाइब्रोसिस के कारण (Causes of Lung Fibrosis in Hindi)
इसके कुछ मुख्य कारण जानना ज्यादा जरूरी है। फेफड़ों के फाइब्रोसिस का मुख्य कारण प्रतिरक्षा में गड़बड़ी यानि इम्युनिटी का कमजोर होंना है। इसके कारण इस प्रकार हैं:
- प्रतिरक्षित रोग (Autoimmune diseases)
- फेफड़ों में वायरल या साधारण संक्रमण
- पर्यावरण से जुड़ी चीजों के संपर्क में रहना
- कीमोथेरेपी, एंटीबायोटिक्स, अमियोडेरोन आदि दवाएं लेना
लंग फाइब्रोसिस का उपचार (Lung Fibrosis Treatment in Hindi)
आपके लिए सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि लंग फाइब्रोसिस किसी भी तरह का कैंसर नहीं है, लेकिन यह बेहद जानलेवा है। पहले इसका उपचार मिलना मुश्किल था, लेकिन बदलते दौर और तकनिकी उपकरणों से आज, कुछ प्रकार से इसका उपचार आपका जीवन को बढ़ाने में मदद करता है।
आइए जानते हैं कि कौन सा इलाज संभव है।
कार्टेसोन और अन्य प्रतिरक्षा-दमनकारी एजेंट (Cartesone and other immune-suppressing agents): इस उपचार में, रोग की गति को धीमा करने के लिए प्रतिरक्षा कम करने वाली दवाएं दी जाती हैं।
ऑक्सीजन थेरेपी (Oxygen therapy): यह थेरेपी बीमारी को रोक नहीं सकती, लेकिन सांस की समस्याओं को कम कर सकती है आइए अब जानते हैं कि फुफ्फुसीय फाइब्रोसिस और सामान्य फेफड़े में क्या अंतर है।
सामान्य फेफड़े में और लंग फाइब्रोसिसअंतर
पल्मोनरी फाइब्रोसिस एक प्रकार का फेफड़ों का रोग है जो तब होता है जब फेफड़े के ऊतक (ऊतक) क्षतिग्रस्त और घायल हो जाते हैं। यह मोटा, सख्त ऊतक आपके फेफड़ों को ठीक से काम करने में कठनाई पैदा करते हैं। जैसे ही पल्मोनरी फाइब्रोसिस बिगड़ता है, आपको सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। वहीं हम सामान्य फेफड़ों की बात करें तो उसमें आपको ऐसा नहीं होता है लेकिन आपको फिर भी अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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