गर्भ में पल रहे बच्चों के लिए क्यों खतरनाक है वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण (Air Pollution) के प्रभाव को लेकर एक चौंकाने वाला शोध सामने आया है। इसमें यह बताया गया है कि उन बच्चों में उच्च रक्तचाप का खतरा अधिक रहता है जिनकी माताओं ने अपने गर्भकाल के छठे से नौवें महीने के बीच वायु प्रदूषण के उच्च स्तर का सामना किया हो। अमेरिका में जॉन हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर नोल टी म्यूलर ने कहा, ”यह ऐसा पहला अध्ययन है जो यह दिखाता है कि गर्भावस्था (Pregnancy) के दौरान प्रदूषित हवा में सांस लेना सीधे तौर पर गर्भ में पल रहे बच्चे के बाल्यावस्था में उसके हृदयवाहिनी पर प्रभाव डालता है |भारत के कई शहरों में हर दिन वायु प्रदूषण काफी बढ़ रहा है. इसकी वजह से अस्थमा के मरीज ही नहीं बल्कि गर्भवती महिलाएं को भी परेशानी हो रही हैं |

 

 

 

बच्चों के लिए क्यों खतरनाक है वायु प्रदूषण

 

 

 

Pm 2.5 वायु प्रदूषण जो मोटर वाहन, तेल, कोयला या जैव ईंधन के जलने से पैदा होता है और इसका मानव स्वास्थ्य पर खतरनाक प्रभाव पड़ता है।

 

 

 

हाई बीपी (High Blood Pressure) से जुड़े हैं हृदय रोग

 

 

‘हाइपरटेंशन’ (Hypertension) जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के वरिष्ठ लेखक म्यूलर ने कहा, ‘बाल्यावस्था में अगर किसी बच्चे को हाई बीपी हो जाए तो वयस्क होने पर भी हाई बीपी की समस्या बानी रहती है और यही हाई बीपी हृदय से जुड़ी दूसरी गंभीर बीमारियों की वजह बनता है।’ अनुसंधानकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए 1 हजार 293 मांओं और उनके बच्चों की जांच की थी जो बॉस्टन बर्थ कोहोर्ट स्टडी का हिस्सा थे।

 

 

 

 

भारत दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों में से एक

 

 

 

भारत दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों में से एक है. और वायु प्रदूषण को भारत की सेहत के लिए सबसे बड़ा ख़तरा माना जाता है. यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो के थे एनर्जी पालिसी इंस्टिट्यूट ने एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है, कि अगर भारत वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (Health Organization) के मानकों के मुताबिक वायु प्रदूषण घटाने पर काम करे.

 

 

पूरे देश के लोगों की ज़िंदगी औसतन चार साल बढ़ सकती है. जबकि राष्ट्रीय मानकों का पालन करने पर..पूरे देश के लोग औसतन 1 साल ज़्यादा ज़िंदा रह सकते हैं. भारत की जनसंख्या करीब 133 करोड़ है और ऐसे में हमारे देश के हर व्यक्ति की उम्र अगर औसतन 4 साल बढ़ जाए. तो कुल मिलाकर 532 करोड़ वर्ष का जीवनकाल बढ़ जाएगा.

 

 

देश की राजधानी दिल्ली अगर WHO के नियमो का पालन करे.तो यहां के रहने वाले लोग नौ साल ज़्यादा जिन्दा रह सकते हैं. जबकि, दिल्ली में वायु प्रदूषण से जुड़े हुए राष्ट्रीय नियमो का पालन किया जाए.तो लोगों की उम्र 6 साल बढ़ सकती है. इस रिपोर्ट में देश के 50 सबसे प्रदूषित ज़िलों का पूरा कच्चा-चिट्ठा दिया गया है. और कहा गया है, कि अगर ये सभी ज़िले वायु प्रदूषण को लेकर WHO और राष्ट्रीय मानकों का पालन करें.

 

 

तो वहां रहने वाले लोगों की उम्र बढ़ जाएगी. इसमें दिल्ली का नाम तो है ही. साथ ही आगरा, बरेली, लखनऊ, कानपुर, मुज़फ़्फ़रपुर, सीतापुर, पटना और आज़मगढ़ जैसे कई शहरों और ज़िलों के नाम भी हैं. भारत के राष्ट्रीय मानकों का नियम करने पर इन ज़िलों में रहने वाले लोगों की उम्र साढ़े तीन साल से लेकर 6 साल तक बढ़ सकती है.

 

 

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