एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (ASD) हृदय से संबंधित एक सामान्य जन्मजात विकार है, जिसमें हृदय के दो प्रमुख कक्षों, बाएँ और दाएँ एट्रियम, के बीच स्थित दीवार (सेप्टम) में छिद्र या छेद होता है। यह छिद्र ऑक्सीजनयुक्त (ऑक्सीजन-समृद्ध) और ऑक्सीजन-विहीन (ऑक्सीजन-गरीब) रक्त को मिश्रित होने देता है, जिससे हृदय और फेफड़ों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। समय पर इसका इलाज न कराने पर यह समस्या गंभीर हो सकती है और हृदय से संबंधित कई जटिलताएँ पैदा कर सकती है, जैसे कि हार्ट फेलियर, स्ट्रोक, और पल्मोनरी हाइपरटेंशन। यह लेख एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (ASD) के विभिन्न पहलुओं जैसे इसके प्रकार, कारण, लक्षण, निदान, उपचार के तरीके, और लागत पर विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा।
एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (ASD) क्या है?
हृदय का सामान्य कार्य ऑक्सीजनयुक्त और ऑक्सीजन-विहीन रक्त को अलग-अलग रखना होता है, ताकि शरीर के अंगों को सही मात्रा में ऑक्सीजन मिल सके। एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (ASD) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें हृदय के दोनों एट्रियम के बीच के सेप्टम में एक छेद होता है, जिससे रक्त मिल जाता है। यह छेद आकार में छोटा या बड़ा हो सकता है। सामान्यत: जन्म के समय यह छेद बंद हो जाना चाहिए, लेकिन ASD में यह बंद नहीं होता, जिससे रक्त की प्रवाह प्रणाली प्रभावित होती है।
एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट के प्रकार क्या होते हैं ?
एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट के कई प्रकार होते हैं, जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि छेद कहां स्थित है और इसका आकार क्या है। सामान्य रूप से ASD के तीन प्रमुख प्रकार हैं:
- सैकंडम टाइप (Secundum ASD): यह सबसे सामान्य प्रकार का ASD है, जिसमें छेद सेप्टम के मध्य भाग में होता है। लगभग 70% से 80% मामले इसी प्रकार के होते हैं।
- प्राइमम टाइप (Primum ASD): यह ASD सेप्टम के निचले हिस्से में होता है और यह आमतौर पर अन्य हृदय संबंधी विकृतियों के साथ पाया जाता है।
- साइनस वेनोसस टाइप (Sinus Venosus ASD): यह ASD सबसे कम सामान्य प्रकार का होता है और यह सेप्टम के ऊपरी हिस्से में स्थित होता है। इस प्रकार का छेद अक्सर पल्मोनरी वेंस की गड़बड़ी से भी जुड़ा होता है।
- कोरोनरी साइनस टाइप (Coronary Sinus ASD): यह एक बहुत दुर्लभ प्रकार का ASD है, जिसमें कोरोनरी साइनस और बाएँ एट्रियम के बीच असामान्य संपर्क होता है।
एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट के कारण क्या हो सकते हैं ?
ASD का प्रमुख कारण स्पष्ट रूप से ज्ञात नहीं है, लेकिन यह जन्मजात होता है और भ्रूण के विकास के दौरान हृदय के सही से न बनने के कारण होता है। हृदय के विकास में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी ASD का कारण बन सकती है। इसके अतिरिक्त, कुछ आनुवांशिक और पर्यावरणीय कारक भी इसके विकास में सहायक होते हैं:
- आनुवांशिक कारक: यदि माता-पिता में से किसी एक को ASD या कोई अन्य जन्मजात हृदय विकार है, तो बच्चे में भी इसका खतरा बढ़ सकता है।
- वातावरणीय कारक: गर्भावस्था के दौरान शराब, धूम्रपान, या कुछ विषैले रसायनों के संपर्क में आना भी ASD के जोखिम को बढ़ा सकता है।
- संक्रामक रोग: गर्भवती महिलाओं में रूबेला (जर्मन मीजल्स) जैसी संक्रामक बीमारियाँ होने से भी जन्मजात हृदय विकार का खतरा बढ़ सकता है।
एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट के लक्षण किस प्रकार नज़र आते हैं ?
कई मामलों में, छोटे एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट के साथ बच्चे सामान्य रूप से विकसित होते हैं और उनमें कोई विशेष लक्षण नहीं दिखते। लेकिन बड़े छेद या अन्य जटिलताओं के साथ एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट के मामलों में कुछ लक्षण स्पष्ट होते हैं, जैसे:
- सांस की तकलीफ: थोड़ी सी भी गतिविधि के बाद।
- अनियमित दिल की धड़कनें (एरिथमिया)।
- बार-बार छाती में संक्रमण।
- पैरों, टखनों या पेट में सूजन।
- बच्चों में विकास की समस्याएं: जैसे वजन न बढ़ना या शारीरिक विकास में देरी।
- वयस्कों में, यदि ASD का इलाज नहीं किया गया है, तो इसके लक्षण अधिक गंभीर हो सकते हैं, जैसे कि हृदय अतालता, स्ट्रोक, या हृदय का असामान्य रूप से बढ़ना (दिल का फेल होना)।
एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट के निदान कैसे किये जा सकते हैं ?
एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट का निदान कई चिकित्सा परीक्षणों द्वारा किया जा सकता है, जो हृदय की संरचना और कार्यप्रणाली की जाँच करने में मदद करते हैं:
- इकोकार्डियोग्राफी (Echocardiography): यह ASD का सबसे सामान्य और सटीक निदान परीक्षण है, जिसमें अल्ट्रासाउंड तकनीक के माध्यम से हृदय की तस्वीर ली जाती है और यह छिद्र के आकार और स्थान की जानकारी देता है।
- चेस्ट एक्स-रे: इसमें हृदय की सामान्य स्थिति और आकार का आकलन किया जाता है।
- इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG): यह हृदय की विद्युत गतिविधियों को मापता है और हृदय की धड़कन में किसी भी असामान्य बदलाव को दर्ज करता है।
- हृदय कैथेटराइजेशन: इस प्रक्रिया में हृदय के अंदर एक पतली ट्यूब डाली जाती है, जो छेद के बारे में सटीक जानकारी प्रदान करती है।
- एमआरआई या सीटी स्कैन: ये परीक्षण हृदय की संरचना की 3D छवि लेने में सहायक होते हैं और गंभीर मामलों में विस्तृत जानकारी देते हैं।
एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट के उपचार के विकल्प क्या हैं ?
एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट के उपचार के कई विकल्प होते हैं, जो छेद के आकार, स्थान और मरीज की आयु व स्थिति पर निर्भर करते हैं। यह कुछ मामलों में दवाओं से भी ठीक हो सकता है, लेकिन ज्यादातर मामलों में सर्जरी की आवश्यकता होती है। उपचार के प्रमुख विकल्प निम्नलिखित हैं:
- चिकित्सकीय निगरानी (Medical Monitoring): यदि ASD छोटा होता है और कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, तो डॉक्टर नियमित रूप से मरीज की निगरानी कर सकते हैं। कई छोटे छेद स्वाभाविक रूप से बंद हो जाते हैं, और ऐसे मामलों में उपचार की आवश्यकता नहीं होती।
- दवाएं (Medications): ASD को बंद करने के लिए कोई दवा नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए दवाओं का उपयोग किया जा सकता है। कुछ सामान्य दवाएं हैं |
- एंटीरिदमिक दवाएं: हृदय की धड़कन को सामान्य रखने के लिए।
- एंटीकोआगुलेंट्स (रक्त पतला करने वाली दवाएं): रक्त के थक्के बनने से रोकने के लिए, खासतौर पर उन मरीजों में जिन्हें स्ट्रोक का खतरा होता है।
- कैथेटर-आधारित प्रक्रिया (Catheter-based Repair): यह विधि तब अपनाई जाती है, जब छेद का आकार बड़ा नहीं होता और सेप्टम के मध्य भाग में होता है। इस प्रक्रिया में एक कैथेटर को रक्त वाहिका के माध्यम से हृदय तक पहुंचाया जाता है, और फिर एक विशेष डिवाइस का उपयोग करके छेद को बंद किया जाता है। यह विधि सर्जरी की तुलना में कम आक्रामक होती है और इसमें मरीज जल्दी ठीक हो जाता है।
- सर्जरी (Surgery): यदि ASD बड़ा होता है या कैथेटर द्वारा बंद नहीं किया जा सकता, तो ओपन-हार्ट सर्जरी की आवश्यकता होती है। इसमें हृदय को खोलकर छेद को बंद किया जाता है। यह प्रक्रिया बच्चों और वयस्कों दोनों में प्रभावी होती है।
- सर्जरी के दौरान छेद को एक कृत्रिम पैच या टांकों की मदद से बंद किया जाता है। सर्जरी के बाद मरीज को अस्पताल में कुछ दिन रहना पड़ता है और पूरी तरह ठीक होने में कुछ हफ्ते लगते हैं।
एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट के उपचार की लागत कितनी हैं ?
एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट के उपचार की लागत अस्पतालों और चिकित्सकों पर निर्भर करती हैं। भारत में एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट के उपचार की लागत INR 50,000 से INR 1,00,000 तक हैं।
निष्कर्ष:
ASD एक गंभीर जन्मजात हृदय विकार हो सकता है, लेकिन समय पर निदान और उपचार से इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। इसके लक्षणों की पहचान करना और सही समय पर चिकित्सकीय सलाह लेना महत्वपूर्ण है। उपचार की लागत और प्रक्रियाएं मरीज की स्थिति पर निर्भर करती हैं, लेकिन भारत में विभिन्न स्तरों पर अच्छे चिकित्सा संस्थान उपलब्ध हैं, जो इसे सफलतापूर्वक ठीक कर सकते हैं।
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