बच्चों में मानसिक तनाव का कारण बन रहा है मोबाइल एडिक्शन

बच्चो में मानसिक तनाव का सबसे बड़ा कारण मोबाइल है, जिस वजह से बच्चो में बेचैनी और अनिंद्रा जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। और इसका दिमाग पर भी बहुत बुरा असर होता है। विशेषज्ञ इसे एक नशे की तरह मानते हैं।

 

रात में देर तक मोबाइल फोन इस्तेमाल करने से दिमाग में बनने वाले न्यूरो केमिकल की मात्रा घटती है। यह एक प्रकार की बीमारी है। बच्चे आजकल मोबाइल का इस्तेमाल अधिक करने लगे है, चाहे होमवर्क हो, सवालों का जवाब हो, बच्चे हर वक़्त मोबाइल से ही चिपके रहते हैं।

 

तकनीक के इस अद्भुत खोज के अधिक प्रयोग से बड़ों से ज्यादा बच्चो में मानसिक तनाव हो रहे हैं। मोबाइल का अधिक इस्तेमाल बच्चो के सेहत के लिए बहुत खतरनाक है, इससे निकलने वाला रेडियेशन बच्चों के दिमाग पर असर डालता है, जिस वजह से बच्चों का दिमाग कमजोर होता है। और सबसे ज्यादा नुकसान यह आंखों के लिए है। इसलिए बच्चों को मोबाइल का अधिक इस्तेमाल करने न दें, नहीं तो बच्चो में मानसिक तनाव बढ़ सकता है।

 

 

क्या कहता है शोध

 

  • बच्चे के हाथ में मोबाइल और लैपटॉप या कम्प्यूटर देने से इसका फायदा कम और नुकसान ज्यादा हो सकता है।

 

  • एक शोध के अनुसार, मोबाइल का इस्तेमाल करने वाले 10 से 14 साल की उम्र के डेढ़ लाख बच्चों पर शोध किया। शोधकर्ताओं ने मोबाइल इस्तेमाल करने से पहले और उसके बाद बच्चों की पाठन क्षमता और गणित के प्राप्तांकों की तुलना की। और उन्होंने पाया कि, बच्चों के पढ़ने तथा गणित की क्षमता पर काफी असर पड़ा।

 

  • शोधकर्ताओं का कहना है, की अगर बच्चे बड़ो की देखरेख में मोबाइल का इस्तेमाल करें, तो यह अच्छा भी साबित हो सकता है।

 

 

मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से होने वाली परेशानियां

 

मोबाइल से बच्चो में मानसिक तनाव बढ़ सकता है।

 

दिमाग पर प्रभाव

 

मोबाइल का अधिक प्रयोग करने के कारण उनका दिमाग कमजोर हो सकता है। जिस वजह से बच्चे में अल्जाइमर जैसी समस्या भी हो सकती है। मोबाइल का अधिक प्रयोग करने वाले बच्चे को नींद न आने की समस्या भी हो जाती हैं।

 

 

आंखों को नुकसान

 

मोबाइल ,कंप्यूटर और लैपटॉप की स्क्रीन से लगातार सॉफ्ट रेडियेशन की किरणें निकलती रहती हैं, जिसका आँखों पर बहुत बुरा असर पड़ता है। आंखों में दर्द की भी समस्या होने लगती है और इसके साथ ही सिरदर्द की भी समस्या हो सकती है। मोबाइल से निकलने वाली रेडियेशन से व्यक्ति को दूर दृष्टि दोष होने की आशंका भी बढ़ जाती है।

 

 

स्वास्थ्य पर प्रभाव

 

मोबाइल की लत लग जाने पर बच्चे आउटडोर गेम्स में हिस्सा नहीं ले पाते और बाहर पार्क में घूमना या फिर बच्चों के साथ मिलकर शरारतें  नहीं कर पाते है, जो की बच्चों के शारीरिक विकास के लिए बहुत जरूरी है, और जिस वजह से उनके शरीर का विकास भी अच्छे से नहीं हो पाता हैं।

 

 

इन बातों का ध्यान रखे

 

 

  • बच्चों को लगातार मोबाइल का इस्तेमाल करने से मना करे।

 

  • मोबाइल का प्रयोग करते वक़्त बच्चे को एंटी-ग्लेयर चश्मे पहनाइए।

 

  • मोबाइल में अधिक गेम न खेलने दे।

 

  • बच्चे जब मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हो तो उनके साथ बैठे।

 

  • ज्यादा मोबाइल के इस्तेमाल से आंखों पर असर पड़ सकता है। आंखों की रोशनी कमजोर हो सकती है, क्रॉनिक ड्राई आई सिंड्रोम से पीड़ित हो सकते हैं।

 

  • बच्चे आउटडोर गेम्स नहीं खेलते, जिससे उनका शारीरिक विकास नहीं होता और मोटापे की समस्या बढ़ जाती है।

 

  • रात में सोने से पहले और सुबह उठने के बाद मोबाइल को चेक करना एक बीमारी है, इसे स्मार्टफोन ब्लाइंडनेस कहते हैं।

 

  • फोन को दिल के पास न रखें या ज्यादा देर तक जेब में न रखें।

 

  • स्मार्टफोन को तकिए के नीचे बिलकुल न रखें। अनिद्रा का शिकार हो सकते हैं।

 

  • ज्यादा देर तक फोन पकड़ने से कलाइयों में दर्द की शिकायत हो सकती है।

 

  • बहुत ज्यादा गर्दन झुकाकर मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने से गर्दन में रीढ़ की हड्डी से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं।

 

  • मोबाइल का अधिक इस्तेमाल करने से बच्चो में मानसिक तनाव हो सकता है।

 

 

अगर आपके बच्चे भी मोबाइल पर घंटों बिता देते हैं, तो इसका मतलब यह है कि उन्हें मोबाइल की लत लग चुकी है। और जिस वजह से बच्चो में  मानसिक तनाव बढ़ता जा रहा है।  इस समस्या से बच्चो को मोबाइल से दूर रखे, उन्हें अधिक मोबाइल का इस्तेमाल न करने दे। अगर तनाव को लेकर बच्चे में अधिक परेशानी हो रही हो, तो डॉक्टर से सलाह जरूर ले।

 


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