जानें क्‍या है ‘बल्‍जिंग डिस्‍क’ इसके लक्षण, कारण और बचने के उपाय

बल्जिंग डिस्क (Bulging Disc) को हर्नियेटेड डिस्क (Herniated Disc) भी कहा जाता है। इस बीमारी के चलते नर्वस सिस्टम (Nervous system) बुरी तरह इफ्केट होता है और शरीर में असहनीय दर्द होता है। इस बीमारी का प्रभाव हर्नियेटेड डिस्क(Herniated Disc) पर निर्भर होता है यानी हर्नियेटेड डिस्क अगर लोअर बैक (Lower back) में है तो इसका दर्द नितंबों और जांघों में सबसे ज्‍यादा होता है और अगर हर्नियेटेड डिस्क गर्दन में है तो कंधे और हाथ में सबसे में सबसे ज्यादा दर्द महसूस होगा।

 

ये समस्या रीढ़ की हड्डियों से शुरु होती है और धीरे-धीरे करके शरीर के बाकी अंगों तक पहुंच जाती है। इस वजह से पूरे शरीर में दर्द होने लगता है। हर साल दुनियाभर में बल्जिंग डिस्क की बीमारी से लाखों लोग जूझते हैं। इस बीमारी से पीड़ित आयु वर्ग 30 से 50 वर्ष के बीच होती है। यदि इसका इलाज नहीं किया गया तो मूत्राशय (urinary bladder) या आंत (Intestine) रोग हो सकता है। इस बीमारी की वजह से आपके पिछले भाग के निचले हिस्‍सें में काफी दर्द महसूस होता है। खासकर नितंबों (Buttocks) और जांघों में सबसे ज्‍यादा दर्द महसूस होगा। पैर के कुछ पर भी आपको दर्द महसूस हो सकता है। यदि आपको बल्‍जिंग डिस्‍क की शिकायत गर्दन में है, तो इसका असर कंधे और हाथ तक भी देखने को मिलता है। बल्‍जिंग डिस्‍क का दर्द खांसने और छींकने पर भी बढ़ जाता है।

 

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बल्जिंग डिस्क के लक्षण:

 

हाथ या पैर में दर्द

 

यदि आपकी हर्नियेटेड डिस्क आपके लोअर बैक में है, तो इसका दर्द आपको आमतौर पर अपने नितंबों और जांघों में सबसे ज्‍यादा महसूस होगा। इसमें पैर का हिस्सा भी शामिल हो सकता है। यदि आपकी हर्नियेटेड डिस्क आपकी गर्दन में है, तो दर्द आमतौर पर कंधे और हाथ में सबसे अधिक तेज होगा। यह दर्द खांसने और छींकने पर बढ़ भी जाता है।

 

हाथ पैर सुन्‍न हो जाना या झुनझुनाहट महसूस होना

 

जिन लोगों में बल्जिंग डिस्क की समस्‍या होती है उन्‍हें दर्द के साथ-साथ झुनझुनाहट का भी अनुभव होने लगता है।

 

मासपेशियों में कमजोरी

 

बल्जिंग डिस्क के आस-पास की मासपेशियां दर्द के कारण कमजोर हो जाती हैं, जिसकी वजह से प्रभावित अंग को उठा पाना या झुका पाना बेहद मुश्‍किल होता है। प्रभावित नसें मांसपेशियों को कमजोर कर देती हैं।

 

 

बल्जिंग डिस्क के कारण

 

आज की जीवनशैली में यह एक बेहद ही आम सी समस्या बन कर उभर रही है। आज दफ्तर में बैठ कर काम करने वाले, कम शारीरि‍क व्यायाम करने वाले लोगों में यह रोग जल्दी फैल जाता है। वास्तव में बल्जिंग ड‍िस्क  लंबे समय तक बैठे रहने से होती है। बल्जिंग डिस्क (Bulging Disc ) के चलते कूल्हों और जांघों में दर्द होने लगता है।

 

 

बल्जिंग डिस्क का इलाज

 

न्‍यूरोलॉजिस्‍ट से परामर्श करें

 

इस बीमारी को पूरी तरह से ठीक करने के लिए अच्‍छे डॉक्‍टर से परामर्श करें। नियमित दवाएं खाएं। रोग ज्‍यादा गंभीर होने पर इसकी सर्जरी भी होती है।

 

फिजियोथेरेपी

 

लक्षण को देखते हुए आपके डॉक्‍टर आपको फिजियोथेरेपी करवाने की सलाह दे सकते हैं। इससे आपकी मांसपेशियों में लचीलापन आएगा तथा दर्द से आराम मिलेगा।

 

एक्‍सरसाइज और स्‍ट्रेचिंग

 

जरूरी है कि आप एक्‍टिव रहें और कुछ व्‍यायाम जैसे, वॉकिंग, स्‍विमिंग, योगा आदि करते रहें।

 

डाइट में बदलाव

 

अपने आहार में ऐसे फल और सब्‍जियों को शामिल करें जो शरीर की सूजन को कम करे। जंक फूड और तले भुने खाने से दूर रहें।

 

बल्जिंग डिस्क का बचाव

 

  • रोजाना व्यायाम करना इस बीमारी को दूर भगाने के लिए सबसे बढ़िया उपाय है। आप टहलना और तैराकी जैसे आसान व्यायाम कर इस बीमारी को दूर भगा सकते हैं।

 

  • बैठने का तरीका हमेशा सही रखें। रीढ़ और डिस्क पर दबाव कम डालें।

 

  • बीएमआई(बॉडी मास इंडेक्स) हमेशा कंट्रोल में रखें, वजन ज्यादा या कम दोनों ही हानिकारक हैं तो इसे सामान्य बनाए रखें।

 

  • फल-सब्जियों का ज्यादा सेवन करें यह शरीर के लिए फायदेमंद है।

 

  • जंक फूड और तले भुने खाने से परहेज करें।

 

यदि आपको इससे जुड़ी कोई समस्या है और अगर आप इसका इलाज पाना चाहते हैं तो हमसे संपर्क कर सकते हैं। हमसे संपर्क करने के लिए हमारे इस व्हाट्सएप नम्बर (+91 9599004311) या हमें connect@gomedii.com पर  ईमेल कर सकते हैं।


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