कंजक्टिवाइटिस रोग क्या है,जाने इसके कारण, लक्षण और बचाव के उपाय!

कंजक्टिवाइटिस यानी कि आंख की बाहरी झिल्ली और पलक के भीतरी हिस्से में सूजन या संक्रमण होना कंजक्टिवाइटिस आँखों को ढकेलने वाली पतली झिल्ली ‘कंजेक्टिवा’ की सूजन के कारण होती है। साधारण बोलचाल की भाषा में इसे ‘आँख आने की बीमारी’ कहा जाता है। कंजंक्टाइवा, वास्तव में, कोशिकाओं की एक पतली पारदर्शी परत होती है, जो पलकों के अंदर के हिस्से और आंख के सफेद हिस्से को ढकती है. अकसर पिंक आई के नाम से बुलाया जाने वाला कंजक्टिवाइटिस आँखों की एक सामान्य रोग है, जो खासतौर से बच्चों को घेरता है. यह एक या दोनों आंखों को प्रभावित कर सकता है. कंजंक्टिवाटिस के कुछ प्रकार काफी संक्रामक होते हैं और आसानी से घर व स्कूल दोनों जगह फैल सकते हैं. वैसे तो कंजक्टिवाइटिस आमतौर पर आंख का एक मामूली संक्रमण होता है लेकिन कई बार यह गंभीर समस्या में भी बदल जाता है ।

 

वायरल या बैक्टिीरियल संक्रमण से भी कंजक्टिवाइटिस हो सकता है. यह हवा में मौजूद एलर्जी पैदा करने वाले तत्त्वों, जैसे पौलन (परागकण) और धुआं, स्विमिंग पूल में पड़ी क्लोरीन, कौस्मेटिक्स में मौजूद तत्त्वों या आंख के संपर्क में आने वाले कौंटैक्ट लैंस जैसे अन्य तत्त्वों के कारण एलर्जिक रिऐक्शन से हो सकता है ।

 

चूँकि यह एक संक्रामक रोग है इसलिए इस बीमारी से पीड़ित लोगों के संपर्क में आने मात्र से ही यह बीमारी स्वस्थ व्यक्ति को हो सकती है। अधिक भीड़-भाड़, गंदी बस्तियाँ, अस्वच्छ वातावरण इसके कीटाणु को पनपने तथा बढ़ने में सहायक होते हैं। कंजक्टिवाइटिस का प्रसार रोकने के लिए साफ-सफाई रखना सब से जरूरी है ।

 

कंजक्टिवाइटिस रोग के लक्षण

 

  • एक या दोनों आंखों में किरकिरी महसूस होना

 

  • एक या दोनों आंखों में जलन या खुजली होना

 

  • आंख से अधिक पानी बहना

 

  • आंखों में कीचड़ आना

 

  • एक या दोनों आंखों के सफेद हिस्से में गुलाबीपन आना

 

  • आंखों में रोशनी चुभना

 

  • इस रोग के असर से आँख और पलकों का निचला हिस्सा सूज जाता है।

 

  • शुरू में आँखें लाल हो जाती हैं और सूख भी जाती हैं। बाद में इनमें जलन होने लगती है और फिर पानी गिरने लगता है।

 

  • कभी-कभी संक्रमण के अधिक बढ़ जाने पर इनमें पीप का बनना शुरू हो जाता है। रात के समय अकसर पीप पानी सूख जाता है, जिससे आँखें चिपक जाती हैं।

 

  • आँखों में कीचड़ आने लगता है. आँखों को रोशनी अच्छी नहीं लगती. आंखों में जलन और गरमी महसूस होती है. हालांकि दर्द नहीं होता है पर परेशानी बहुत होती है ।

 

कंजक्टिवाइटिस रोग के कारण

 

  1. यह बीमारी जीवाणुओं के संक्रमण या आँख पर ज्यादा दबाव पड़ने से होती है।
  2. यह रोग आंखों की पतली झिल्ली श्लेष्मला (Coniunctiva) में, जो आंख की सफेदी के ऊपर और दोनों पलकों के अंदर होती है, बैक्टीरिया (Bacteria) या वायरस ( छोटे कीटाणुओं) के संक्रमण से होता है ।
  3. गरमी और बरसात के मौसम में इस का प्रकोप बहुत बढ़ जाता है और तब यह छूत की बीमारी की तरह एक से दूसरे तक फैलती हैं ।
  4. कृत्रिम रोशनी में ज्यादा देर तक काम करने से या एक ही ओर ज्यादा देर तक निगाह रखने से भी यह बीमारी हो सकती है; पर इसका असली कारण है-आँखों की श्लेष्मिक झिल्लियों की सूजन, जो सामान्य रक्त-विषाक्तता और खान-पान में असमानता तथा गंदगी भरे वातावरण की वजह से होती है।
  5. इस रोग में मरीज अकसर ज्यादातर जुकाम से पीड़ित रहता है। इसका अर्थ यह है की रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है इसलिए वायरस से बचाव करने में वो कमजोर है ।

 

कंजक्टिवाइटिस से बचाव के उपाय

 

  • मरीज से हाथ न मिलाएं ।

 

  • कंजक्टिवाइटिस के मरीज को अंधेरे कमरे में आराम करना चाहिए, टीवी न देखें और न पढे ।

 

  • उस की छुई हुई चीजों को न छुएं. दरवाजे, कुंडी, सिटकनी, नल, बालटी, मग जैसी वस्तुएं, जो उस ने छई होंगी उन को यदि छूना पड़ रहा है तो उस के फौरन बाद हाथ धो लें, भले ही यह बारबार करना पड़े ।

 

  • मरीज की इस्तेमाल की हुई चीजें जैसे किताबें, अखबार, पत्रिकाएं, पेन, रूमाल, तौलिया, साबुन, कंघा इत्यादि इस्तेमाल न करें।

 

  • मरीज अपनी आंखों को बार-बार न छुएं ।

 

  • आंखों पर काला चश्मा पहनें ताकि उड़ती हुई धूल आदि आंख में न जाएं ।

 

  • आंख और उस के आसपास चेहरे पर मक्खी न बैठने दें. मक्खियां रोग के कीटाणुओं को एक से दूसरे व्यक्ति तक फैलाती हैं ।

 

  • अच्छी तरह और बार-बार अपने हाथ धोएं.

 

  • रोजाना अपना तौलिया और कपड़े बदलें, और उन्हें किसी भी अन्य के साथ साझा नहीं करें.

 

  • आंखों के कौस्मेटिक्स का प्रयोग बंद कर दें विशेषतौर पर मस्कारा का ।

 

किसी अन्य व्यक्ति के आई कौस्मेटिक्स या निजी आई केयर उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करें । कौंटैक्ट लैंस की सही देखभाल के लिए आंखों के डाक्टर की सलाह अनुसार ही चले ।

 

अगर आपकी आंख में कोई कैमिकल गिर जाता है। तो कई मिनटों तक अपनी आंखों को पानी से धोते रहें और फिर डाक्टर के पास जाकर इसका इलाज जरुर करवाएं ।

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