फैटी लिवर का इलाज: चिकित्सा खर्च और उपचार की पूरी जानकारी

फैटी लीवर को स्टीटोहेपेटाइटिस के नाम से भी जाना जाता है। लिवर में वसा कोशिकाओं के जमा होने के कारण लीवर में 5-10% से अधिक फैटी लीवर होता है। दरअसल फैटी लीवर दो प्रकार का होता है अल्कोहलिक और नॉन-अल्कोहलिक। जब लिवर में वसायुक्त कोशिकाएं जमा हो जाती हैं, तो लिवर में सूजन होने लगती है और इस वजह से आसपास की ऊतकों को भी नुकसान होता है। वह स्थिति जो अत्यधिक शराब के सेवन से संबंधित नहीं है, उसे नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर कहा जाता है। इस स्थिति में लीवर जमे हुए वसा को तोड़ नहीं होता है।

 

  • नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD): नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर असंतुलित आहार के कारण हो सकता है, लेकिन यह शराब के कारण नहीं होता है। इसके और भी कारण हो सकते हैं, जैसे साधारण फैटी लिवर, जिसमें लिवर में वसा होती है, लेकिन सूजन बहुत कम या बिल्कुल भी नहीं हो सकती है। साधारण फैटी लीवर आमतौर पर इतना गंभीर नहीं होता कि लीवर को नुकसान पहुंचा सके या जटिलताएं पैदा कर सके। नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर कोशिकाओं में सूजन और क्षति का कारण बन सकता है, साथ ही लिवर में वसा का निर्माण भी कर सकता है। सूजन से लिवर कोशिका को नुकसान होता है लिवर में फाइब्रोसिस, या निशान पैदा कर सकती है। जिससे सिरोसिस या लीवर कैंसर भी हो सकता है।

 

  • अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज: अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज अत्यधिक शराब के सेवन के कारण होती है। लीवर शरीर से ली गई अधिकांश शराब को हटा देता है, लेकिन इसे हटाने की प्रक्रिया हानिकारक पदार्थ पैदा कर सकती है। ये पदार्थ लीवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। यह सूजन को भी बढ़ा सकता है और शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा को कमजोर कर सकता है। एक व्यक्ति जितना अधिक शराब का सेवन करता है, लीवर को उतना ही अधिक नुकसान होता है। अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज शराब से संबंधित लिवर की बीमारी का प्रारंभिक चरण है। अगला चरण अल्कोहलिक हेपेटाइटिस और सिरोसिस है।

 

 

फैटी लिवर का इलाज कैसे होता है? (How is Fatty Liver Treated in Hindi)

 

 

डॉक्टर फैटी लीवर के इलाज से पहले मरीज को कुछ निर्देश देते हैं यदि मरीज उन निर्देशों का पालन ठीक से करते हैं तो उन्हें जरूर फैटी लिवर को ठीक करने में आसानी हो सकती है। डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों में शामिल है:

 

  • शराब का सेवन और धूम्रपान कम करें: शराब या धूम्रपान का सेवन बंद करना बहुत जरूरी है। यदि मरीज ऐसा नहीं करता है तो यह समस्या लीवर सिरोसिस या लीवर फेल होने का कारण बन सकती है।

 

  • वजन कम होना: आहार में बदलाव और नियमित व्यायाम के साथ धीरे-धीरे वजन कम होना स्थिति को सामान्य करने में एक महत्वपूर्ण कारक है।

 

  • कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करना: उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर, हाइपरलिपिडिमिया वाले मरीजों को डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और स्वयं दवा लेनी चाहिए। कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर फैटी लीवर की समस्या को और भी खराब कर देता है।

 

  • रक्त शर्करा के स्तर का नियंत्रित रखना: रक्त शर्करा के स्तर को नियमित रूप से चेक करना चाहिए ऐसा इसलिए करना चाहिए क्योंकि इंसुलिन प्रतिरोध के कारण रोगियों में उच्च रक्त शर्करा का स्तर होता है। अधिक मीठी चीजों के सेवन से बचें।

 

यदि इन निर्देशों से भी मरीज को फायदा नहीं होता है तो डॉक्टर आखिरी विकल्प के तौर पर लिवर ट्रांसप्लांट का सुझाव देते हैं। 

 

लीवर ट्रांसप्लांट: खराब मामलों में जहां लीवर का एक बड़ा हिस्सा स्थायी रूप से खराब हो जाता है, तो मरीज को लीवर ट्रांसप्लांट की सलाह दे जाती है। लीवर ट्रांसप्लांट भारत के कुछ बेहतरीन हेपेटोलॉजी द्वारा किया जाता है यदि आप लिवर ट्रांसप्लांट के लिए बेस्ट हॉस्पिटल के नाम जानना चाहते है। तो इसके बारे में हम आपको बताएंगे। यदि आप सस्ती कीमत पर लिवर ट्रांसप्लांट कराना चाहते हैं तो GoMedii इसमें आपकी बेहतर तरीके से मदद करेगा।

 

 

भारत में लीवर ट्रांसप्लांट का खर्च कितना है? (How much does liver transplant cost in India in Hindi)

 

 

लिवर ट्रांसप्लांट एक ऐसे प्रक्रिया है जिसमें खराब लिवर को निकालकर उसे एक स्वास्थ्य लिवर से ट्रांसप्लांट किया जाता है। डॉक्टर लिवर ट्रांसप्लांट तब करते हैं जब मरीज के लिवर की स्थिति बहुत अधिक खराब होती है। ऐसा होने पर लिवर अपना सामान्य कार्य भी नहीं कर पाता है यही वजह है की डॉक्टर लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह देते हैं। भारत में लिवर ट्रांसप्लांट का खर्च 17 लाख रुपए से शुरू होता है।

 

 

फैटी लीवर के कारण क्या हैं? (Causes of Fatty Liver in Hindi)

 

आपको बता दें कि कुछ मुख्य कारण हैं, जो फैटी लीवर की समस्या को बढ़ावा देने का काम कर सकते हैं। इन कारणों को हम कुछ बिंदुओं के माध्यम से समझाने की कोशिश कर रहे हैं। फैटी लीवर के कुछ कारण इस प्रकार हैं:

 

  • अतिरिक्त कैलोरी: भोजन में अतिरिक्त कैलोरी युक्त आहार लेने से लीवर में वसा का निर्माण हो सकता है। लीवर में यह अतिरिक्त चर्बी फैटी लीवर की समस्या को जन्म दे सकती है।

 

  • लीवर की कार्यक्षमता में कमी: फैटी लीवर होने के मुख्य कारणों में यह कारण बहुत महत्वपूर्ण है। जब किसी कारण से लीवर की प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है तो वह वसा के टूटने की प्रक्रिया को अंजाम नहीं दे पाता है। नतीजतन, अतिरिक्त वसा लिवर में जमा हो जाता है। इससे फैटी लीवर की समस्या हो सकती है।

 

  • तेजी से वजन कम होना: तेजी से वजन घटाने के चक्कर में कई लोग फैटी लीवर की समस्या को बुलावा देते हैं। आवश्यक आहार के अभाव में लीवर की कार्यप्रणाली प्रभावित हो सकती है। नतीजतन, खाया गया भोजन सीधे लीवर में वसा के रूप में जमा हो सकता है।

 

  • विशिष्ट प्रकार के रोग: मोटापा, मधुमेह और उच्च ट्राइग्लिसराइड्स (रक्त में पाया जाने वाला एक प्रकार का वसा) जैसी समस्याएं लीवर के खराब होने के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। ऐसे में इन स्थितियों में फैटी लीवर होने की संभावना काफी ज्यादा हो जाती है।

 

  • शराब का सेवन: शराब के अधिक सेवन से भी फैटी लीवर की समस्या हो जाती है। अगर इसे समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया तो लीवर के पूरी तरह खराब होने का खतरा बढ़ सकता है।

 

 

फैटी लीवर के लक्षण क्या हैं? (What are the symptoms of fatty liver disease in Hindi)

 

फैटी लीवर की समस्या बहुत आम है। इसलिए शुरूआती दिनों में फैटी लीवर के लक्षण नजर नहीं आते। जब तक फैटी लीवर के लक्षण दिखाई देते हैं, तब तक बहुत देर हो जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज कई वर्षों तक बिना किसी लक्षण के लीवर को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे जुड़े लक्षण समस्या के बढ़ने की स्थिति में ही दिखाई देते हैं। लक्षणों को इस तरह पहचाना जा सकता है:

 

  • पेट के दाहिने हिस्से में दर्द

 

 

  • भूख में कमी

 

  • तेजी से और अस्पष्टीकृत वजन घटाने

 

 

  • सूजे हुए पैर

 

 

  • हमेशा भ्रमित

 

 

 

फैटी लिवर की जांच के लिए टेस्ट? (test to check for fatty liver in Hindi)

 

 

एक बार जब आप कुछ दिनों तक लगातार उपरोक्त लक्षणों का अनुभव करते हैं, तो आपको हेपेटोलॉजिस्ट से परामर्श लेना चाहिए। डॉक्टर लक्षणों के आधार पर आपसे कुछ सवाल पूछेंगे। यदि आपको लीवर की बीमारी है या शराब, धूम्रपान आदि का पारिवारिक इतिहास है, तो आपको अपने डॉक्टर को बताना चाहिए। इसके आलावा डॉक्टर कुछ टेस्ट करवाने को कहेंगे जिसमे शामिल है:

 

 

 

  • रेडियो-इमेजिंग टेस्ट

 

  • अल्ट्रासाउंड

 

  • सीटी

 

  • क्षणिक इलास्टोग्राफी (transient elastography)

 

  • एमआरआई

 

 

यदि आप फैटी लिवर की बीमारी है और आप इससे संबंधित कोई भी सवाल पूछन चाहते हैं तो  यहाँ क्लिक करें या आप हमसे व्हाट्सएप (+91 9599004311) पर संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा आप हमारी सेवाओं के संबंध में हमें Connect@gomedii.com पर ईमेल भी कर सकते हैं। हमारी टीम जल्द से जल्द आपसे संपर्क करेगी।


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