फैटी लीवर के इलाज के बारे में जानकारी।

लिवर से सम्बंधित कई बीमारियों का सामना लोगों को करना पड़ता हैं जिसमें फैटी लिवर एक मेडिकल कंडीशन हैं जिसमें लिवर में फैट जमा हो जाता है। इसका कारण हैं अधिक शराब का सेवन, अनावश्यक दवाइयों का सेवन, कुछ तरह के वायरस इन्फेक्शन जैसे हेपेटाइटिस सी। फैटी लिवर से ग्रसित लोगों को अन्य बीमारी होने का खतरा भी रहता हैं। फैटी लिवर जैसी समस्या होने पर डॉक्टर से संपर्क करना अत्यधिक आवश्यक होता हैं।

 

फैटी लिवर होने के कारण लिवर में सूजन भी आ जाती हैं। इस बीमारी के ज्यादा देर रहने से लिवर के खराब होने की संभावना भी बढ़ जाती हैं। यदि कोई व्यक्ति मधुमेह के रोग से ग्रसित हो तो फैटी लिवर जैसी बीमारी होने की संभावना अधिक रहती हैं। जब किसी को फैटी लिवर की समस्या होती हैं तो शरीर में कैलोरी की मात्रा फैट में बदल जाती हैं।

 

 

 

फैटी लिवर के दो प्रकार होते हैं।

 

 

नॉन -अल्कोहलिक फैटी लिवर (non – alcoholic fatty liver): नॉन -अल्कोहलिक फैटी लिवर जैसी बीमारी का सम्बन्ध ज्यादातर खान-पान और जीवनशैली से जुड़ा हुआ होता हैं। यह बीमारी अधिकतर उन व्यक्तियों को होती हैं जो खान-पान को लेकर बहुत लापरवाह होते हैं परन्तु यह बीमारी डॉक्टर द्वारा दी गयी दवाइयों से ठीक हो जाती हैं।

 

अल्कोहलिक फैटी लिवर (alcoholic fatty liver): अल्कोहलिक फैटी लिवर उन्हें होता हैं जो धूम्रपान तथा शराब का सेवन अपनी जीवनशैली में अधिक से अधिक करते है। अल्कोहलिक फैटी लिवर होने से लिवर पूरी तरह डैमेज हो जाता हैं जिसके लिए लिवर ट्रांसप्लांट का विकल्प ही चुना जाता हैं।

 

 

 

फैटी लिवर के लक्षण क्या होते हैं ?

 

 

फैटी लिवर के लक्षण शुरुआत में नज़र नहीं आते हैं परन्तु धीरे-धीरे नज़र इस बीमारी का पता लग जाता हैं। डॉक्टर के अनुसार फैटी लिवर के लक्षण कुछ इस प्रकार नज़र आते हैं जैसे की –

 

  • बार – बार उलटी जैसा महसूस होना
  • पेट के ऊपरी हिस्से में सूजन
  • अचानक कमजोरी महसूस होना
  • भूख का कम लगना
  • वजन कम होना
  • बार-बार थकान महसूस होना।

 

 

 

फैटी लिवर होने के कारण किस प्रकार होते हैं ?

 

 

फैटी लिवर का इलाज होने के लिए उसका कारण पता होना आवश्यक होता हैं डॉक्टर सबसे पहले इसके कारण का पता लगाते हैं तथा उसी के अनुसार इसका इलाज करते हैं इसके कारण कुछ इस प्रकार होते हैं।

 

 

 

  • अत्यधिक शराब पीना
  • मोटापा
  • अनुवांशिकता (Genetic)
  • फैटी फूड और अत्यधिक मसालेदार खाने का सेवन
  • मधुमेह
  • वायरल हेपाटाइटिस
  • रक्त में वसा का स्तर ज्यादा होना
  • मेटाबोलिज्म कम होना

 

 

 

फैटी लिवर की जाँच कैसे की जाती हैं ?

 

  • शारीरिक परिक्षण: फैटी लिवर की समस्या जब होती हैं तो लिवर में सूजन आ जाती हैं जिससे की लिवर का आकार भी बढ़ जाता हैं तो डॉक्टर लिवर का आकार पता लगाने के लिए शारीरिक परिक्षण करते हैं।

 

 

  • खून की जाँच: नियमित रूप से खून की जाँच करके डॉक्टर लिवर में एंजाइम की मात्रा का सामान्य से अधिक होने आदि का पता लगाते हैं परन्तु इससे फैटी लिवर होने की पुष्टि नहीं होती हैं इसलिए अधिक जाँच करने की आवश्यकता होती हैं।

 

 

  • इमेजिंग परिक्षण: लिवर में मोटापा या सूजन का पता लगाने के लिए डॉक्टर अल्ट्रासाउंड की मदद लेते हैं। अल्ट्रासाउंड द्वारा ली गयी तस्वीरों से लिवर का अतिरिक्त मोटापा सफेद क्षेत्र के रूप में दिखाई देता हैं।

 

 

  • लिवर बायोप्सी: लिवर के परिक्षण के लिए डॉक्टर सुई की मदद से लिवर का एक टुकड़ा निकालते हैं कहते हैं की फैटी लिवर के पता लगाने का एकमात्र यही अच्छा तरीका होता हैं।

 

 

फैटी लिवर का इलाज कैसे होता हैं ?

 

 

फैटी लिवर अधिक होने का इंतज़ार न करते हुए इसका इलाज सही समय पर करवा लेना चाहिए यदि किसी मनुष्य को यह फैटी लिवर जैसी बीमारी होती हैं तो वह अपना इलाज डॉक्टर से कराये, डॉक्टर बीमारी के अनुसार इसका इलाज करेंगे। इसका इलाज डॉक्टर द्वारा दी गयी दवाइयों तथा उनके द्वारा बताये गए खानपान के जरिये ठीक हो सकता हैं इसलिए डॉक्टर से परामर्श लेना रोगी के लिए अधिक आवयश्क होता हैं। फैटी लिवर का इलाज सर्जरी द्वारा भी किया जाता हैं जिसमें की पेट में जमा हुआ फैट निकाला जाता हैं।

 

 

 

फैटी लिवर के इलाज के लिए बेस्ट अस्पताल।

 

 

फैटी लिवर के इलाज के लिए गुरुग्राम के बेस्ट अस्पताल।

 

 

 

फैटी लिवर के इलाज के लिए दिल्ली के बेस्ट अस्पताल।

 

 

 

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फैटी में अधिक क्या खाना चाहिए ?

 

 

फैटी लिवर के लक्षणों को कम करने के लिए निम्नलिखित खाद्य पदार्थो का सेवन करने की सलाह दी जाती हैं।

 

  • चर्बी और सूजन के लेवल को कम करने के लिए अपने आहार में मछली शामिल करनी चाहिए परन्तु ऐसी मछली लेने से बचे जिनमें मर्करी और हानिकारक तत्व मौजूद हो।

 

  • सूजन को कम करने के लिए मेवा काफी लाभदायक होता हैं। अखरोट विशेष रूप से ओमेगा-3 फैटी एसिड में उच्च होते हैं और फैटी लिवर वाले रोगियों के लिए लाभदायक होते हैं।

 

  • फैटी लिवर में हल्दी फायदेमंद होता हैं इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट होता हैं जो लिवर को स्वस्थ रखता हैं तथा हल्दी को दूध के साथ लेना भी अच्छा रहता है।

 

  • कॉफ़ी पीने से लिवर में जमा फैट कम होता हैं और शरीर को एनर्जी भी मिलती हैं। कॉफ़ी के अलावा ग्रीन टी भी पी सकता हैं यह शरीर में फैट लेवल को घटाती हैं।

 

  • तरबूज में पानी की मात्रा अधिक होने के कारण यह फैटी लिवर को कम करके इसे ठीक करने में मदद करती हैं इसलिए इसका सेवन अधिक करना चाहिए।

 

  • ब्रोकली का सेवन भी अधिक लाभदायक होता हैं क्योकि ब्रोकली लिवर के फैट को नियंत्रण में रखती हैं तथा यह ट्राइग्लिसराइड की मात्रा को कम करने में भी मदद कर सकती हैं।

 

 

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