लिवर से सम्बंधित अन्य बीमारी होती हैं जो की अधिक घातक होती हैं। लिवर हमारे शरीर का मह्त्वपूर्ण हिस्सा होता हैं जो की पेट के दाहिने तरफ पसलियों के नीचे होता हैं। यह शरीर में कई महत्वपूर्ण कार्यों में मदद करता है जैसे मेटाबॉलिज्म, ऊर्जा जमा करना और शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर करना तथा रक्त में से विषाक्त पदार्थों को फिल्टर करके बाहर निकालने में भी लिवर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आज हम लिवर की बीमारी के बारे में बात करेंगे जिसे की फैटी लिवर कहा जाता हैं।
फैटी लिवर क्या हैं ?
यह लिवर वे फैट से जुडी एक बीमारी होती हैं ,जब लिवर की कोशिकाओं के आसपास फैट जमने लगता हैं तब यह फैटी लिवर की बीमारी हो जाती हैं। परन्तु इस बीमारी का पता आसानी से चल जाता हैं ताकि मरीज जल्द से जल्द इसका इलाज करवा पाए। यदि शरीर में फैट की मात्रा लिवर के वजन से 10 % बढ़ जाती हैं तो भी इस बीमारी का निर्माण हो जाता हैं तथा यह पाचन तंत्र को भी प्रभावित करता हैं। लिवर शरीर का महतवपूर्ण अंग हैं परन्तु फैटी लिवर अगर अधिक बढ़ने लगे तो यह मनुष्य के रोज के कामकाज पर भी असर डालता हैं।
फैटी लिवर के कितने प्रकार होते हैं ?
फैटी लिवर के निम्लिखित दो प्रकार होता हैं –
अल्कोहलिक फैटी लिवर (Alcohol fatty liver): अल्कोहलिक फैटी लिवर नामक बीमारी अधिक मात्रा में शराब पिने से होती हैं क्योकि शराब पीने के कारण लिवर को अधिक नुकसान पहुँचता हैं। जो लोग अपनी दिनचर्या में शराब का सेवन अधिक करता हैं वह इस बीमारी से ग्रस्त हो सकता हैं। शराब लिवर के लिए ज़हर के सामान होती हैं। अल्कोहलिक फैटी लिवर नॉन–अल्कोहलिक फैटी लिवर के अनुसार अधिक खतरनाक होती हैं। यदि किसी मनुष्य को इस प्रकार का फैटी लिवर होता हैं तो वह डॉक्टर से जाँच कराये।
नॉन–अल्कोहलिक फैटी लिवर (Non alcoholic fatty liver): नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर जैसी बीमारी किसी भी व्यक्ति को हो सकती हैं क्योकि जरूरी नहीं हैं की यह शराब पीने से ही हो इस बीमारों के होने का कारण मनुष्य का अनियमित खानपान तथा जीवनशैली का सही न होना। लिवर में सूजन होने के कारण भी उसके आसपास जमाव हो जाता हैं इसलिए यह साधारण फैटी लिवर हो सकता हैं। यह अधिक खतरनाक नहीं मानी जाती परन्तु डॉक्टर से इसका इलाज भी सही समय पर करना अधिक आवशयक हैं।
फैटी लिवर के लक्षण क्या होते हैं ?
फैटी लिवर के दोनों प्रकार में ही लक्षण सामान्य दिखते हैं इसलिए डॉक्टर इस बीमारी का पता लगाने के लिए कुछ टेस्ट करवाते हैं जिसके जरिये यह पता चलता हैं की फैटी लिवर किस प्रकार का हैं तथा किस कारण हुआ हैं तो यदि किसी मनुष्य को इस प्रकार के लक्षण महसूस हो तो वह तुरंत ही डॉक्टर को दिखाए जैसे की –
- फैटी लिवर में जो रोगी होता हैं उसे अधिक थकान होने लगती हैं तथा उसमें ऊर्जा की अधिक कमी हो जाती हैं।
- पाचन तंत्र से सम्बंधित समस्या अधिक बढ़ जाती हैं।
- भूक न लगना तथा खानपान में बहुत कमी आना।
- वजन का घटना।
- पेट के दाँए भाग के ऊपरी हिस्से मैं अधिक दर्द।
- आँखों और त्वचा का पीला दिखना।
- पैरो में सूजन आ जाना।
फैटी लिवर के कारण क्या होता हैं ?
फैटी लिवर के अन्य कारण हो सकते हैं यह बीमारी महिला तथा पुरुष दोनों में पायी जाती हैं। फैटी लिवर के का कारण पता लेने के लिए सबसे पहले रोगी को डॉक्टर से सम्पर्क करना आवश्यक होता हैं इसके कारण निम्नलिखित हैं-
- यह बीमारी शराब पीने और शराब न पीने दोनों के अंदर नज़र आती हैं परन्तु अधिक शराब का सेवन करने से भी फैटी लिवर हो सकता हैं।
- हइपिरलिपिडिमिया (रक्त में वसा का अधिक होना )।
- अत्यंत अधिक मोटापा तथा अधिक कमजोर होना।
- डायबिटीज भी फैटी लिवर का कारण माना जाता हैं।
- हाई कोलेस्ट्रॉल।
- पेट में सूजन के कारण भी फैटी लिवर होता हैं।
फैटी लिवर में क्या खाना चाहिए ?
फैटी लिवर की समस्या(Fatty liver problem) में मनुष्य को दवाइयों के साथ-साथ अपने खान-पान का भी अधिक ख्याल रखना चाहिए। माना जाता हैं की इस बीमारी का इलाज स्वस्थ खान-पान नियमित जीवनशैली से भी ठीक हो सकता है। फैटी लिवर की समस्या में कुछ खाद्य पदार्थो का सेवन अधिक करना चाहिए जैसे की –
कॉफी: फैटी लिवर की समस्या से परेशान लोग फैटी लिवर डाइट में कॉफी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
मछली का तेल: फैटी लिवर की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए फैटी लिवर डाइट में फिश ऑयल का इस्तेमाल काफी लाभकारी साबित हो सकता है।
ब्रोकली: फैटी लिवर डाइट में ब्रोकली का उपयोग फैटी लिवर की समस्या को न केवल बढ़ने से रोक सकता है, बल्कि उससे निजात दिलाने में भी सहायक साबित हो सकता है।
दलिया: दलिया में बीटा-ग्लूकॉन भारी मात्रा में पाया जाता है तथा यह मोटापे को दूर करने में मदद करता हैं और फैटी लिवर की समस्या में भी मददगार साबित होता हैं।
अखरोट: अखरोट नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज के जोखिम को कम करने में मददगार साबित हो सकता है।
ताजी सब्जियाँ: फैटी लिवर की समस्या में मरीज को पौष्टिक और स्वस्थ यानि की ताजी सब्जियों का सेवन करना चाहिए यह फैटी लिवर की समस्या को खत्म करने में सहायक होती हैं।
फल: ताज़े फलों का सेवन करने से मनुष्य का शरीर स्वस्थ रहता हैं तथा ताजे फल लिवर से सम्बंधित बीमारियों के लिए फायदेमंद होता हैं।
ग्रीन टी: ग्रीन टी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट वजन कम करने और कोलेस्ट्रॉल को घटाने का काम करते हैं जिससे कि लिवर के आसपास जो अतिरिक्त चिकनाई एकत्रित हो गई है वह भी घटने लगती है|
लहसुन: कच्चे लहसुन में मौजूद तत्व शरीर में उपस्थित फैट को तोड़ने का काम करता है जिससे लिवर पर रुकी हुई वसा की परत कम होती है|
फैटी लिवर की समस्या में किन बातो का ध्यान रखे ?
फैटी लिवर की समस्या में मनुष्य को खान-पान तथा दवाइयों के साथ-साथ कुछ उचित बातो का भी अधिक ख्याल रखना चाहिए जैसे की –
- शराब, धूम्रपान और अन्य नशीले पदार्थो से दूरी बनाकर रखे।
- ब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रण में रखे।
- रोजाना नियमित रूप से व्यायाम और योग करे।
- अपने खान-पान में और जीवनशैली में बदलाव लेकर आए।
- जंक फ़ूड और अन्य बाहर के खाने का सेवन कुछ समय तक बिलकुल न करे।
- ज्यादा वसा युक्त और मीठे खाने पर कंट्रोल करें।
- अपने कोलेस्ट्रॉल लेवल को ध्यान में रखें।
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