पित्ताशय में पॉलीप्स का इलाज क्या है जानिए इसके कारण और लक्षण?

पॉलीप्स यह छोटे दाने होते हैं। ये समस्या शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है ज्यादातर इसके पित्ताशय की थैली में होने की संभावना होती है। पित्ताशय की थैली में पॉलीप्स एक गंभीर समस्या है। आज के समय में कई लोगों में गॉलब्लैडर पॉलीप की समस्या देखी जाती है। पित्ताशय की थैली के पॉलीप्स विभिन्न प्रकार के होते हैं। दरअसल पित्ताशय में पॉलीप्स को अंग्रेजी में गॉलब्लैडर पॉलीप्स कहा जाता है।

बदलती लाइफस्टाइल के चलते कई लोगों को यह बीमारी हो जाती है। खासतौर पर महिलाओं और बुजुर्गों में पित्ताशय में पॉलीप्स होने की संभावना अधिक होती है। इस कारण पित्ताशय में पथरी होने का भी ज्यादा खतरा होता है। यह कैंसर जैसी घातक बीमारी का कारण भी बन सकती है।

पित्ताशय में पथरी का पता तब तक नहीं चलता जब तक कि उसमें दर्द न उठे। इसलिए जरूरी है कि समय रहते इसका इलाज किया जाए, नहीं तो यह किसी गंभीर बीमारी को विकसित कर सकती है। इसलिए हम आपको पित्ताशय में पॉलीप्स (Gallbladder polyp) के इलाज कैसे होता है? इसके बारे में बताएंगे।

 

Enquire Now

 

पित्ताशय पित्ताशय में पॉलीप्स (Gallbladder polyp in hindi) का इलाज क्या है?

 

Gallbladder polyp treatment in hindi

 

पित्ताशय की थैली के पॉलीप्स का इलाज  उसके स्थान और उसके आकार पर निर्भर करता है।

1/2 इंच वाले पॉलीप्स के लिए डॉक्टर सबसे पहले अल्ट्रासाउंड करवाने की सलाह देते हैं, ताकि यह पता चल सके इसमें कैंसर जैसी कोई गांठ तो नहीं है। आपका डॉक्टर पेट या एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड की सलाह दे सकते हैं।

1/2 इंच वाले पॉलीप्स में डॉक्टर पित्ताशय की थैली को सर्जरी के माध्यम से हटा देते हैं। इस प्रक्रिया को कोलेसिस्टेक्टोमी कहा जाता है। कई डॉक्टर इलाज के लिए इसी विकल्प की सलाह देते हैं यदि आपको पित्त पथरी या पित्ताशय की थैली में किसी भी तरह की समस्या है तो आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए, डॉक्टर से सलाह लेने के लिए यहाँ क्लिक करें

 

 

पित्ताशय की थैली क्या है? (What is gallbladder in Hindi)

 

पित्ताशय की थैली मुख्य रूप से एक थैली के आकार का अंग होता है, जो लिवर के निचले भाग पर स्थित होता है। पित्ताशय की थैली लिवर द्वारा उत्पादित पित्त को संग्रहित करती है। भोजन के बाद पित्ताशय की थैली खाली हो जाती है और गुब्बारे की तरह चपटी हो जाती है। दूसरी ओर भोजन से पहले पित्ताशय की थैली पित्त से भर सकती है, जो एक छोटे नाशपाती की तरह होता है।

 

 

पित्त पथरी के लक्षण क्या हैं? (What are the symptoms of gallbladder in Hindi)

 

Gallbladder polyp treatment in hindi

 

आमतौर पर यह माना जाता है कि पित्त पथरी के लक्षणों का पता नहीं चलता है क्योंकि शुरुआत में यह आकार में बहुत छोटे होते हैं, जिसके कारण व्यक्ति को किसी भी तरह की परेशानी महसूस नहीं होती है। लेकिन हम आपको कुछ लक्षणों के बारे में बताएंगे, अगर किसी व्यक्ति में ये 5 लक्षण नजर आते हैं तो उसे यह समस्या हो सकती है:

 

  • जी मिचलाना: यह पित्त पथरी का मुख्य लक्षण है, अक्सर इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति को कुछ भी पसंद नहीं आता और उसे हमेशा जी मिचलाने की समस्या रहती है।तो उसे इस समस्या को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि यह पित्त में किसी गंभीर समस्या का संकेत होता है।

 

  • उल्टी: दरअसल उल्टी को आमतौर पर गंभीरता से नहीं लिया जाता है और जब ऐसा होता है तो लोग इसे कमजोरी का एकमात्र कारण मानते हैं। हालांकि, यह एक प्रमुख लक्षण हो सकता है इसलिए इसे गंभीरता से लेना चाहिए।

 

  • पेट दर्द होना : पित्ताशय की थैली में पॉलीप्स का एक अन्य लक्षण पेट दर्द हो सकता है। इसलिए व्यक्ति को इस समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए और ऐसा होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

 

 

  • अपच की समस्या : यदि किसी व्यक्ति का पेट साफ नहीं है और उसे अपच या बदहज़मी की समस्या है, तो उसे यह भी पित्ताशय की थैली में पॉलीप्स के लक्षण हैं।

 

 

पित्ताशय की थैली में पॉलीप्स के कारण क्या हैं? (What are the causes of disease in gallbladder polyps in Hindi)

 

पित्ताशय की थैली में पॉलीप्स कई कारणों से हो सकती है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

 

  • अधिक उम्र होना : पित्ताशय की थैली में पॉलीप्स मुख्य रूप से 40 या उससे अधिक उम्र के लोगों में होने की संभावना है। इसलिए इस उम्र के लोगों को अपनी सेहत का खास ख्याल रखना चाहिए।

 

  • अधिक वजन होना: अधिक वजन वाले व्यक्ति को पित्ताशय की थैली में पॉलीप्स होने की संभावना अधिक होती है क्योंकि अधिक वजन होने से उस व्यक्ति के शरीर में शर्करा का स्तर और रक्त का स्तर उच्च रहता है।

 

  • ज्यादा मसालेदार खाने का सेवन करना: जो व्यक्ति अधिक मात्रा में मसालेदार खाना खाता है उन्हें पित्ताशय की थैली में पॉलीप्स होने की संभावना अधिक होती है। इसी वजह से डॉक्टर लोगों को सीमित मात्रा में मसालेदार खाना खाने की सलाह देते हैं।

 

  • अनुवांशिक कारण होना: अगर किसी व्यक्ति के परिवार में किसी और को पित्त पथरी की समस्या है, तो उस व्यक्ति को यह समस्या होने की संभावना अधिक होती है।

 

  • पेट की पहले कोई सर्जरी होना: गैल्स्टोन किसी ऐसे व्यक्ति को भी हो सकता है जिसकी हाल ही में वजन घटाने की सर्जरी (बेरिएट्रिक सर्जरी) हुई हो।

 

 

पित्ताशय की थैली के पॉलीप्स कितने प्रकार के होते हैं? (What are the types of gallbladder polyps in Hindi)

 

गॉलब्लैडर पॉलीप्स के 3 अलग-अलग प्रकार होते हैं, जो इस प्रकार हैं:

 

  • स्यूडोपॉलीप्स (Pseudopolyps)

 

  • इंफ्लामेटरी पॉलिप्स (Inflammatory polyps)

 

  • ट्रू गॉलब्लैडर पॉलिप्स (True gallbladder polyps)

 

पित्ताशय की थैली में पॉलिप्स की जांच के लिए टेस्ट? (Tests to check for polyps in the gallbladder in Hindi)

 

Gallbladder polyp treatment in hindi,पित्ताशय की थैली में पॉलिप्स की जांच के लिए टेस्ट

 

अधिकांश पित्ताशय की थैली में पॉलीप्स की जांच के लिए डॉक्टर दो ही विकल्प का सुझाव देते हैं। आपका डॉक्टर पॉलीप और उसके आकार का निदान करने के लिए एक टेस्ट कर सकते हैं। संभावित परीक्षणों में शामिल हैं:

 

 

  • एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड, जो मिनिमल इनवेसिव प्रक्रिया भी हो सकती है।

 

यदि आपको पित्ताशय की थैली में पॉलीप्स के लक्षण दिखाई देते हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। डॉक्टर से सलाह लेने के लिए यहाँ क्लिक करें या आप हमसे व्हाट्सएप (+91 9599004311) पर संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा आप हमारी सेवाओं के संबंध में हमें Connect@gomedii.com पर ईमेल भी कर सकते हैं। हमारी टीम जल्द से जल्द आपसे संपर्क करेगी।

Doctor Consutation Free of Cost=

Disclaimer: GoMedii  एक डिजिटल हेल्थ केयर प्लेटफार्म है जो हेल्थ केयर की सभी आवश्यकताओं और सुविधाओं को आपस में जोड़ता है। GoMedii अपने पाठकों के लिए स्वास्थ्य समाचार, हेल्थ टिप्स और हेल्थ से जुडी सभी जानकारी ब्लोग्स के माध्यम से पहुंचाता है जिसको हेल्थ एक्सपर्ट्स एवँ डॉक्टर्स से वेरिफाइड किया जाता है । GoMedii ब्लॉग में पब्लिश होने वाली सभी सूचनाओं और तथ्यों को पूरी तरह से डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा जांच और सत्यापन किया जाता है, इसी प्रकार जानकारी के स्रोत की पुष्टि भी होती है।