खाने की नली को अन्नप्रणाली भी कहा जाता हैं, यह हमारे भोजन को पेट तक धकलने के लिए मदद करता हैं यदि इसमें किसी प्रकार की परेशानी आती हैं तो अन्य कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता हैं जैसे की इनमे से एक हिन् नाली का कैंसर जिसे एसोफैगल कैंसर भी कहा जाता हैं। खाने की नली में कैंसर तब होता हैं जब खाने की नली ऊतक में असामान्य कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं। खाने की नली का कैंसर अधिक गंभीर बीमारी हैं इसका इलाज पूरी तरह से संभव होता हैं परन्तु इस बीमारी के साथ अधिक समय तक रहना हानिकारक भी साबित हो सकता हैं।
खाने की नली में कैंसर के दो प्रकार होते हैं।
स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा: इस प्रकार का कैंसर कोशिकाओं (स्क्वैमस कोशिकाओं के रूप में जाना जाता है) में शुरू होता है जो एसोफैगस को अस्तर करता है। इस प्रकार का कैंसर आमतौर पर अन्नप्रणाली के ऊपरी और मध्य भागों में होता है।
एडेनोकार्सिनोमा: इस प्रकार का कैंसर अन्नप्रणाली की ग्रंथियों की कोशिकाओं में विकसित होता है, जो बलगम जैसे तरल पदार्थ के निर्माण के लिए जिम्मेदार होते हैं। एडेनोकार्सिनोमा सबसे अधिक अन्नप्रणाली के निचले हिस्से में देखा जाता है।
खाने की नली में कैंसर के लक्षण क्या होते हैं ?
खाने की नली में कैंसर जब होता हैं तो इसके लक्षण सामान्य नहीं होते वह जल्दी सामने आ जाते हैं क्योकि जब यह कैंसर होता हैं तो गले में अधिक परेशानी शुरू होने लगती है जो की मरीज अधिक समय तक बर्दाश नहीं कर पता। खाने की नली के कैंसर कुछ इस प्रकार होते हैं।
- पीठ, गले, ब्रेस्टबोन के पीछे या कंधे के ब्लेड के बीच दर्द।
- खासी आते समय खून का भी आना।
- आवाज़ का अधिक बैठ जाना।
- पेट में अधिक जलन होना।
- वजन का घटना।
- खून की उलटी होना।
- खाना निगलने में कठिनाई।
- सीने में जलन होना
- गले के आसपास दर्द होना।
- अधिक थकान।
- अत्यधिक हिचकी आना।
खाने की नली में कैंसर होने के क्या कारण होते हैं ?
खाने की नली में कैंसर का कारण पता करने के लिए डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक होता हैं तथा उसके बाद वह हर तरह बीमारी की जाँच करते हैं उसका कारण जानने के लिए और बाद में उसी के अनुसार इलाज करते हैं परन्तु डॉक्टर के अनुसार इस बीमारी के कारण कुछ इस प्रकार भी हैं –
गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (Gastroesophageal Reflux Disease)
- बैरेट एसोफैगस (Barrett’s esophagus) (इस स्थिति में खाने की नली का अस्तर नष्ट होने लगता है, जिसमें एसिडिटी की समस्या ज्यादा होती है।)
- एकैल्शिया (achalasia) की समस्या होना (इस स्थिति में ग्रासनली और पेट के मध्य का हिस्सा पेशी वाल्व सही से कार्य करना बंद कर देता है।)
- शराब का सेवन तथा धूम्रपान करने से खाने की नली के कमजोर होने के आसार होते हैं जिसकी वजह से वह ट्यूमर बनता हैं और फिर कैंसर।
- बहुत गर्म तरल पदार्थ पीना।
- सीने या ऊपरी पेट में रेडिएशन उपचार करवाना।
खाने की नली में कैंसर के चरण – (stages of Esophageal cancer)
सभी प्रकार के कैंसर में चरण जरूर होते हैं चरण होने का मतलब यह होता हैं की जो कैंसर होता हैं वो कहा तक फैला हुआ हैं। डॉक्टर भी पहले जाँच करके स्टेज का पता लगाते हैं और उसी के अनुसार इलाज करते हैं –
चरण – 1: यह खाने की नली का कैंसर पहले सिर्फ खाने की नली की परतों पर पाई जाने वाली कोशिकाओं को प्रभावित करता हैं।
चरण – 2: दूसरे चरण में कैंसर बढ़ना शुरू हो जाता हैं और बढ़ते हुए जो कैंसर कोशिकाएं होती हैं वह खाने की नली के बाहरी दीवार तक फ़ैल चुकी होती हैं तथा आसपस के 1 से 2 लिम्फ नोड्स तक भी फ़ैल चुकी होती हैं।
चरण – 3: इस स्टेज में कैंसर खाने की नली की दीवार और आसपास के ऊतकों या लिम्फ नोड्स की गहरी परतों में फ़ैल चूका होता हैं।
चरण – 4: लास्ट स्टेज में यह कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में फ़ैल जाता हैं।
खाने की नली के कैंसर का इलाज – (Treatment for Esophageal cancer in Hindi)
खाने की नली में कैंसर का इलाज निम्नलिखित प्रकार से होते हैं –
- सर्जरी(surgery): कैंसर को हटाने के लिए सर्जरी अकेले या अन्य उपचारों के साथ की जाती हैं यदि कैंसर बहुत छोटा हैं व् आपके खाने की नली के परतो तक ही सिमित हैं तो डॉक्टर उस कैंसर को हटाने की सलाह देते है।
- कीमोथेरेपी(chemotherapy): खाने की नली के कैंसर में कीमोथेरेपी दवा द्वारा की जाती हैं कीमोथेरेपी से कैंसर कोशिकाओं को मारा जा सकता हैं। जिन लोगो का कैंसर खाने की नली से आगे फ़ैल जाता हैं उन्हें कैंसरो के लक्षणों से छुटकारा देने के लिए कीमोथेरेपी का उपयोग अकेले किया जाता हैं।
- रेडिएशन थेरेपी(radiation therapy): रेडिएशन थेरेपी में कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए उच्च सकती वाली ऊर्जा बीम का उपयोग किया जाता हैं। इसका इस्तेमाल सर्जरी से पहले किया जाता हैं।
- इम्यूनोथेरेपी(Immunotherapy): इम्यूनोथेरेपी एक दवा उपचार है जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर से लड़ने में मदद करता है।इम्यूनोथेरेपी का उपयोग तब किया जा सकता हैं जब कैंसर एडवांस हो , कैंसर वापस आ गया हो या कैंसर शरीर के अन्य भागो में फ़ैल गया हो।
- टारगेट ड्रग थेरेपी(Target drug therapy): टारगेट ड्रग थेरेपी कैंसर कोशिकाओं के भीतर मौजूद विशिष्ट कमजोरियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इन कमजोरियों को रोककर, टारगेट ड्रग थेरेपी कैंसर कोशिकाओं को मरने का कारण बन सकते हैं।
खाने की नली के इलाज के लिए बेस्ट अस्पताल(Best Hospitals For Esophagitis Treatment in Hindi)
खाने की नली के इलाज के लिए दिल्ली के अच्छे अस्पताल।
- मैक्स मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल, पंचशील पार्क, दिल्ली
- मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, शालीमार बाग, दिल्ली
- मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत दिल्ली
- बीएलके सुपर स्पेशलिटी अस्पताल दिल्ली
- मणिपाल अस्पताल नई दिल्ली
- फोर्टिस अस्पताल शालीमार बाग, दिल्ली
- इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल नई दिल्ली
- वेंकटेश्वर अस्पताल, नई दिल्ली
- बत्रा हॉस्पिटल एंड मेडिकल रिसर्च सेंटर नई दिल्ली
- फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली
- आईबीएस अस्पताल, नई दिल्ली
- सीके बिरला अस्पताल, पंजाबी बाग, दिल्ली
- फोर्टिस ला फेमे अस्पताल, नई दिल्ली
- एससीआई इंटरनेशनल हॉस्पिटल, नई दिल्ली
- आकाश हेल्थकेयर सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, नई दिल्ली
- फोर्टिस फ्लाइट लेफ्टिनेंट राजन ढल अस्पताल, वसंत कुंज, दिल्ली
खाने की नली के इलाज के इलाज के लिए गुरुग्राम के अच्छे अस्पताल-
- ला मिडास-मेडिकल एस्थेटिक एंड वेलनेस सेंटर एलएलपी, गुरुग्राम, हरियाणा
- मेदांता द मेडिसिटी, गुरुग्राम, हरियाणा
- मैक्स अस्पताल, गुरुग्राम, हरियाणा
- आर्टेमिस अस्पताल, गुरुग्राम, हरियाणा
- फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम, हरियाणा
- सीडीएएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, गुरुग्राम, हरियाणा
- नीलकंठ अस्पताल प्राइवेट लिमिटेड, गुरुग्राम, हरियाणा
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