जानिए स्मार्टफोन कैसे बना सकता हैं आपको अंधा

आजकल स्मार्टफोन (Smartphone) ने हमारे जीवन में प्रवेश कर लिया है इसलिये हमारा सोने का तरीका भी बदल गया है। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि बिस्तर पर लेटकर नोटिफिकेशन की जांच करने से हमारी आंखों को नुकसान पहुंचता है।

 

टोलेडो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का कहना है कि स्मार्टफोन स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी अंधेपन का कारण बन सकती है। हां, आपने सही पढ़ा है। अध्ययन में पाया गया है कि नीली रोशनी हमारी आंख की रेटिना (Retina) में ज़हरीली प्रतिक्रियाओं को जन्म देती है, जो रोशनी को समझती है और मस्तिष्क को संकेत देती है। नतीजतन, ज़हरीले रासायनिक प्रतिक्रियाएं आंखों में फोटोरिसेप्टर्स को मारने लगती हैं, जिनको एक बार खराब होने के बाद दुबारा सही नहीं किया जा सकता है।

 

मोबाइल स्क्रीन से आंखों की रक्षा कैसे करें?

 

जर्नल, वैज्ञानिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि इससे मैकुलर अपघटन (Decomposition) होता है, जो आंख की एक बीमारी है, जो अंधेपन का कारण बनती है। मैकुलर अपघटन को आयु से संबंधित मैकुलर अपघटन के रूप में भी जाना जाता है और वे दो प्रकार के होते हैं- शुष्क मैकुलर अपघटन, नम मैकुलर अपघटन।

 

जब रेटिना के नीचे छेददार रक्त वाहिकाओं का विकास होता है, तो इसे नम मैकुलर अपघटन कहा जाता है और शुष्क मैकुलर अपघटन तब होता है जब रेटिना का केंद्र खराब हो जाता है।

 

शोधकर्ता भी इस पर अध्ययन कर रहे हैं कि टीवी, स्मार्टफोन (Smartphone) और टैबलेट से आने वाली ब्लू लाइट हमारे स्वास्थ्य (Health) के लिये कितनी हानिकारक है।

 

स्मार्टफोन लाइट की चमक से अपनी आंखों को बचाने के कुछ आसान तरीके यहां दिए गए हैं:

 

थोड़ी देर के लिए अपनी आंखों को आराम दें

 

हर 20 मिनट के बाद, 20 सेकंड के लिए अपनी स्क्रीन को देखने से ब्रेक लें और फिर 20 फीट दूर देखें। ऐसा करने से थोड़ी देर के लिए आपकी आंख की मांसपेशियों (Muscles) को आराम मिलेगा और आपकी आंखें कुछ आराम कर सकेंगी।

 

अकसर अपनी आंखों को झपकाते रहें

 

जब आप अपने स्मार्टफोन (Smartphone) पर ध्यान केंद्रित कर रहे होते हैं तो आप अपनी पलकों को झपकाना भूल जाते हैं यानि उनके ब्लिंक करने की दर कम हो जाती है। इस वजह से आंसू आपकी आंखों की सतह से सूख जाते हैं और आंखों में जलन, लालिमा, दर्द (Pain) और धुंधली दृष्टि की समस्या पैदा हो जाती है।

 

अधिक बार झपकाने से आपकी आंखें गीली बनी रहेंगी और जलन-सूखापन कम हो जाएगा। तो, सुनिश्चित करें कि आप अपनी आंखों को हर 20 मिनट में 10 बार झपकाएं।

 

अपने स्मार्टफोन की ब्राइटनेस को कम कर दें

 

स्मार्टफोन की ब्राइटनेस आपकी आंखों को जल्दी थका सकती है, इसलिये सुनिश्चित करें कि आपका फोन एंटी-ग्लेयर (Anti-glare) ग्लास से तैयार किया गया हो। यह ब्राइटनेस से आपकी आंखों की रक्षा करेगा। आप अपने डिवाइस पर नीली रोशनी को कम करने के लिए ब्राइटनेस कम करने वाला ऐप भी डाउनलोड कर सकते हैं।

 

अपने स्मार्टफोन को दूर से पकड़ें

 

आमतौर पर, ज़्यादातर लोग बेहतर या नज़दीक देखने के लिए अपने चेहरे से केवल 8 इंच की दूरी पर अपने स्मार्टफोन (Smartphone) को पकड़ते हैं। यह आपकी आंखों के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि नीली रोशनी आपकी आंखों को प्रभावित कर सकती है। अपनी आंखों से कम से कम 16 से 18 इंच दूर करके अपने स्मार्टफोन को पकड़ने का प्रयास करें। जब आप ऐसा पहली बार करते हैं तो यह अजीब लग सकता है, लेकिन धीरे-धीरे आपको इसकी आदत पड़ जाएगी।

 

सोने से पहले अपने फोन को बंद कर दें

 

नेशनल स्लीप फाउंडेशन के मुताबिक, नीली रोशनी हार्मोन (Hormone) मेलाटोनिन के उत्पादन को रोकती है जिससे आपकी नींद भी प्रभावित हो सकती है। मेलाटोनिन नींद चक्रों के विनियमन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसका उत्पादन आपके स्मार्टफ़ोन की नीली रोशनी के कारण होता है। इसलिये, सोने से कम से कम 30 मिनट पहले अपने फोन को स्विच ऑफ कर दें।

 

स्क्रीन की चमक और कॉन्ट्रास्ट को एडजस्ट करें

 

आपके तनाव और आंखों की रक्षा करने के तरीकों में से एक है, स्मार्टफोन की चमक और उसके कॉन्ट्रेस्ट को समायोजित करना। बहुत अधिक या बहुत कम स्क्रीन की चमक होने से आपकी आंखों में तनाव पैदा हो सकता है और आपकी आंखें आराम नहीं कर पाएंगी। इसलिये, एक निश्चित हद तक आंखों के तनाव को कम करने के लिए चमक और कॉन्ट्रास्ट सेटिंग्स को समायोजित करें।

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