बवासीर (Piles) को पाइल्स के नाम से भी जाना जाता हैं। बवासीर 2 तरह की होती हैं बाहर की बवासीर और अंदर की बवासीर। टॉयलेट करते वक्त खून निकलता हैं, तो इसे खुनी बवासीर भी कहते हैं, बवासीर (Piles) में गुदा के पास मस्से निकल आते हैं, जिनमे खून निकलना, खारिश और तेज दर्द की शिकायत होती हैं। ज्यादा खून आने के कारण रोगी (Patient) के शरीर में कमजोरी आने लगती हैं। इस बीमारी के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कब्ज रहना, ख़राब खान-पान, खाने में फाइबर की कमी, मानशिक तनाव (Psychological stress), भारी सामान उठाना, मोटापा (Obesity), पुरानी खासी,आदि। प्रेगनेंसी (pregnancy) के दौरान भी इस बीमारी के होने का भी खतरा रहता हैं, आइये आज हम आपको बवासीर (Piles) रोग में इस्तेमाल किये जाने वाले घरेलु नुस्खों के बारे में बताते हैं, इन नुस्खों के इस्तेमाल से बवासीर (Piles) रोग से राहत मिल सकती हैं।
किशमिस-
रात को सोते समय १०० ग्राम किशमिश (Raisins) को पानी में भिगो दे। सुबह उठकर पानी में ही इसे मसल डाले और रोज इस पानी का सेवन करे। बवासीर (Piles) में ये बेहद फायदेमंद नुस्खा हैं.
नींबू का रस-
इसमें ऐसे कई नुट्रिएंट्स (Nutrients) होते हैं, जो बवासीर (Piles) को ठीक करने में सहायता करते हैं। इसके लिए ताजा निकले नींबू के रस को रुई पर लेकर लगाए।इससे आपको कुछ देर के लिए जलन होगी पर यह आपको जल्द राहत देगा।
एलोवेरा-
यह खुनी और बाड़ी दोनों बवासीर (Piles) के लिए लाभदायक हैं, खुजली और जलन से इससे तुरंत राहत मिलती हैं, इसके लिए एलोवेरा (Aloe vera) की पत्तियों को काटकर फ्रीज में रख दे। इनके ठन्डे होने पर इसे लगाए।
चाय पत्ती-
चाय की पत्तियों को पीसकर पेस्ट (Paste) बना ले, और इसे गरम करके बवासीर (Piles) के दोनों पर लगाए। इसे लगाने से दाने सूखने लगते हैं.
हल्दी और घी-
एक चम्मच घी और एक चम्मच हल्दी को मिलाकर मिश्रण तैयार कर ले और सोने से पहले बवासीर (Piles) पर लगाए। इस मिश्रण को तीन दिन तक इस्तेमाल करने से फ़ायदा मिलेगा।
Disclaimer: GoMedii एक डिजिटल हेल्थ केयर प्लेटफार्म है जो हेल्थ केयर की सभी आवश्यकताओं और सुविधाओं को आपस में जोड़ता है। GoMedii अपने पाठकों के लिए स्वास्थ्य समाचार, हेल्थ टिप्स और हेल्थ से जुडी सभी जानकारी ब्लोग्स के माध्यम से पहुंचाता है जिसको हेल्थ एक्सपर्ट्स एवँ डॉक्टर्स से वेरिफाइड किया जाता है । GoMedii ब्लॉग में पब्लिश होने वाली सभी सूचनाओं और तथ्यों को पूरी तरह से डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा जांच और सत्यापन किया जाता है, इसी प्रकार जानकारी के स्रोत की पुष्टि भी होती है।