जाने लिवर ट्रांसप्लांट कॉस्ट दिल्ली एनसीआर में कितनी आती है

आजकल के समय में लिवर से सम्बंधित अनेक बीमारियां देखने को मिल रही हैं। लिवर से सम्बंधित समस्या अधिकतर गलत खान-पान और अनियमित जीवनशैली के कारण होती हैं। लिवर से सम्बंधित समस्या का इलाज सही समय पर होना जरुरी होता हैं यदि इलाज सही समय पर नहीं होता हैं तो लिवर खराब हो सकता हैं और लिवर के क्षतिग्रस्त होने पर डॉक्टर लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह भी देते हैं। आज हम इस लेख में बात करेंगे की लिवर ट्रांसप्लांट के लिए दिल्ली एनसीआर के अस्पतालों में कॉस्ट कितनी हैं ?

 

 

 

लिवर ट्रांसप्लांट क्या होता हैं ?

 

 

लिवर ट्रांसप्लांट एक जटिल प्रक्रिया हैं, जिसमें की खराब लिवर को स्वस्थ लिवर से बदल दिया जाता हैं। जो स्वस्थ लिवर होता हैं वो किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति का हो सकता हैं। लिवर ट्रांसप्लांट उस स्थिति में किया जाता हैं जब लिवर से सम्बंधित कोई गंभीर समस्या हो जाए तथा लिवर सही से काम करना बंद कर दे।

 

 

 

लिवर ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया क्या होती हैं ?

 

लीवर ट्रांसप्लांट के लिए डोनर उपलब्ध होना चाहिए। डोनर उपलब्ध होने पर डॉक्टर मरीज को सूचित करता है। अस्पताल में भर्ती कराया जाए ताकि पूरी जांच हो सके कि मरीज कैसा है और लिवर ट्रांसप्लांट को शुरू करने के लिए एक निश्चित समय दिया जाएगा, लिवर ट्रांसप्लांट होने से पहले मरीज और डोनर दोनों को एनेस्थीसिया दिया जाता हैं, ताकि सर्जरी के दौरान जो दर्द होगा वो उन्हें कम से कम महसूस हो।

 

 

ट्रांसप्लांट करने के लिए पेट में एक लंबा चीरा लगाया जाता है, तथा ख़राब लिवर को बाहर निकला जाता हैं, और उसकी जगह पर स्वस्थ लिवर पूरा या फिर उसका कुछ हिस्सा लगाया जाता हैं। सर्जरी के बाद, डॉक्टर सर्जिकल धागे और स्टेपल की मदद से पेट के चीरे को सील कर देता है। इसके बाद उन्हें आईसीयू में रखा जाता है तथा इस सर्जरी में 3 से 5 घंटे लग जाते हैं।

 

 

 

लिवर ट्रांसप्लांट कि जरुरत कब पड़ती हैं ?

 

लिवर ट्रांसप्लांट अन्य बीमारियों का उपचार माना जाता हैं यदि कोई व्यक्ति लिवर से सम्बंधित बीमारियों से अधिक ग्रस्त होता हैं तो लिवर ट्रांसप्लांट का विकल्प चुना जाता हैं जो की मरीज को पूरी तरह से स्वस्थ और सामान्य ज़िन्दगी प्रदान कर सकता हैं। लिवर ट्रांसप्लांट कुछ बीमारियों में अधिक किया जाता हैं जैसे की –

 

 

लिवर कैंसर (liver cancer): लिवर कैंसर को हेपेटिक कैंसर भी कहा जा सकता है, जब लिवर की कोशिकाएं असामन्य रूप से बढ़ती हैं और लिवर तथा अन्य अंगो को प्रभावित करती हैं तब लिवर कैंसर उत्पन्न होता हैं। यह एक जानलेवा बीमारी होती हैं, यदि लिवर कैंसर का इलाज दवाइयों या अन्य उपचारों से नहीं हो पाता है तो डॉक्टर लिवर ट्रांसप्लांट का सुझाव देते हैं।

 

लिवर सिरोसिस (liver cirrhosis): लिवर सिरोसिस लिवर की बीमारी का अंतिम चरण माना जाता हैं जिसमें लिवर ख़राब होने से पहले लिवर पर निशान पड़ने लगते हैं उससे उससे लिवर सिरोसिस कहते हैं। यदि यह बीमारी अंतिम चरण तक पहुंच जाती हैं तो लिवर ट्रांसप्लांट के अलावा कोई विकल्प नज़र नहीं आता।

 

पीलिया(jaundice): पीलिया भी एक लिवर रोग हैं जिसका बढ़ना अधिक घातक होता हैं जब लिवर में लाल रक्त कोशिकाएं टूट जाती हैं तब पीले रंग की बिलीरुबिन नामक पदार्थ बनता हैं जब ये पदार्थ लिवर द्वारा फ़िल्टर होकर बाहर नहीं आ पाता तब पीलिया हो जाता हैं, पीलिया यदि अधिक बढ़ जाए जिसके कारण लिवर ख़राब हो जाए तो लिवर ट्रांसप्लांट कराना ही एक अच्छा विकल्प होता हैं।

 

अल्कोहलिक फैटी लिवर(alcoholic fatty liver): अल्कोहलिक फैटी लिवर उन्हें होता हैं जो धूम्रपान तथा शराब का सेवन अपनी जीवनशैली में अधिक से अधिक करते है। अल्कोहलिक फैटी लिवर होने से लिवर पूरी तरह डैमेज हो जाता हैं जिसके लिए लिवर ट्रांसप्लांट का विकल्प ही चुना जाता हैं।

 

हेमोक्रोमैटोसिस(hemochromatosis): भोजन में अधिक आयरन शरीर में अवशोषित करने की स्थिति को हेमोक्रोमैटोसिस (आयरन की अधिकता) कहते हैं। इस बीमारी से खून में आयरन की मात्रा अधिक हो जाती हैं अधिक आयरन शरीर में होने की वजह से वह लिवर, हृदय तथा अग्राशय और जोड़ो में जम जाता हैं यदि इस बीमारी का इलाज समय पर न हो तो इससे शरीर के अनेक अंग खराब हो सकते है। माना जाता हैं यदि यह बीमारी अधिक बढ़ जाए तो लिवर ट्रांसप्लांट सबसे सही विकल्प रहता हैं।

 

फैटी लिवर (fatty liver): फैटी लिवर एक सीरियस मेडिकल कंडीशन होती हैं जिसमें लिवर में फैट (चर्बी) जमा हो जाती हैं जिसका कारण अधिक अनावश्यक दवाइयाँ तथा शराब का सेवन करने से होता हैं। फैटी लिवर के अन्य कारणों में मोटापा और अनियंत्रण जीवनशैली भी शामिल हैं। फैटी लिवर की समस्या यदि दवाइयों से ठीक नहीं हो पाती तो लिवर ट्रांसप्लांट करवाना अधिक फायदेमंद रहता हैं।

 

 

 

लिवर ट्रांसप्लांट के लिए दिल्ली एनसीआर के अस्पतालों में कॉस्ट कितनी हैं ?

 

 

लिवर ट्रांसप्लांट की कॉस्ट कई कारकों पर निर्भर करती है और हर शहर में इसकी कॉस्ट अलग अलग हो सकती है भारत में लिवर ट्रांसप्लांट की कॉस्ट 15,00,000 रुपय से शुरू होती है तथा यह अस्पताल और चिकित्सक पर भी पूरी तरह से निर्भर करता हैं। यदि आप लिवर ट्रांसप्लांट की कॉस्ट के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करे।

 

 

 

लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी के बाद देखभाल कैसे करें?

 

 

लिवर ट्रांसप्लांट के बाद डॉक्टर मरीज को कुछ दिन अस्पताल में ही रखते हैं, ताकि मरीज की नियमित रूप से देखभाल हो सके और वह अपनी सामान्य स्थिति में आ जाए। इस दौरान मरीज को अपना ख्याल अवश्य रखना चाहिए और कुछ बातों का ध्यान भी रखना चाहिए जैसे की-

 

 

  • लिवर ट्रांसप्लांट के बाद, मरीज को आगे की निगरानी के लिए एक या दो दिन के लिए आईसीयू में रहने की सलाह दी जाती है, जिससे कि वह जल्दी रिकवर हो और अच्छा महसूस करने लगे।

 

  • लिवर ट्रांसप्लांट होने के बाद डॉक्टर कई दवाइयों का सेवन करने के लिए कहते हैं जो कि जीवनभर भी चलती हैं। यह दवाईयां इम्युनिटी सिस्टम को ठीक रखती हैं और लिवर रोग से बचने के लिए भी फायदेमंद रहती हैं।

 

  • लिवर ट्रांसप्लांट के बाद मरीज को पूरी तरह से ठीक होने में छह महीने तक का समय लग सकता है। आप अपनी सामान्य गतिविधियों को फिर से शुरू कर सकते हैं और सर्जरी के कुछ महीने बाद अपने डॉक्टर के निर्णय के अनुसार काम पर वापस जा सकते हैं।

 

  • लिवर ट्रांसप्लांट होने के बाद स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम, स्वस्थ भोजन खाने, अच्छी स्वच्छता बनाए रखने का प्रयास करे, यह सेहत के लिए अधिक लाभदायक रहेगा।

 

  • धूम्रपान और शराब से हमेशा दूरी बनाए रखे।

 

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