युवाओं में कम हो रही याददाश्त, जाने इसके कारण

उम्र बढऩे के साथ-साथ मस्तिष्क (Brain) में होने वाली रासायनिक प्रक्रिया (Chemical process) और विद्युत तरंगों (Electric waves) के प्रभाव में कमी के कारण मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में परिवर्तन आता है। यही वजह है कि बुढ़ापे में अक्सर याददाश्त कमजोर (Memory weak) होने लगती है। यह उम्र के साथ होने वाला स्वाभाविक परिवर्तन (Natural change) है लेकिन आजकल यह समस्या युवाओं में भी तेजी से बढ़ रही है जो वास्तव में चिंता का विषय है।

 

जानते हैं इसके विभिन्न पहलुओं के बारे में

 

याददाश्त क्या है? (What is memory)

 

घटनाओं को संचित करना व जरूरत पडऩे पर वापस याद करके उपर्युक्त घटनाओं का वर्णन करना याददाश्त (Memory) कहलाता है। याददाश्त की पहली प्रक्रिया है रजिस्ट्रेशन जो मस्तिष्क में स्थित मेमोरीबॉडी (Memory body) नामक जगह पर होता है और दूसरी प्रक्रिया उसको संग्रह करना और जरूरत पडऩे पर वापस याद करना जिसे लिम्बिक सिस्टम (limbic system) पूरा करता है। उम्र के साथ यह प्रक्रिया लगातार घटती रहती है जिसे सामान्य रूप से रोकना असंभव है। लेकिन युवावस्था में याददाश्त की कमी के कई अन्य कारण सामने आते हैं.

 

सडक़ दुर्घटनाएं (Road Accidents)

 

सडक़ दुर्घटनाओं के दौरान मस्तिष्क में लगी चोट पिछले एक दशक में सबसे गंभीर समस्या के रूप में सामने आई है। कई बार दुर्घटना (Accident) में सिर में चोट आने से व्यक्ति को मिर्गी की समस्या हो जाती है। लगातार पडऩे वाले मिर्गी के दौरे मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को पूरी तरह अव्यवस्थित कर देते हैं। जिससे याददाश्त पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

 

शिक्षा का बढ़ता बोझ (Increasing burden of education)

 

उच्च शिक्षा के लिए अच्छे कॉलेजों में दाखिला या सरकारी नौकरी के लिए प्रतियोगी परीक्षा देना अनिवार्य है। इसे लेकर विद्यार्थियों में पहले तो उत्साह नजर आता है लेकिन धीरे-धीरे इसका बोझ बढऩे के कारण मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में परिवर्तन शुरू हो जाता है। इससे सेरोटिनिन (Serotinin) नामक न्यूरोट्रांसमीटर (Neurotransmitter) का स्त्राव ज्यादा होने लगता है। जिसके कारण न्यूरोन्स को नुकसान पहुंचना शुरू हो जाता है। कई बार ऐसी परीक्षाओं में विफलता के कारण और मस्तिष्क की निष्क्रियता के चलते याददाश्त की कमी के साथ-साथ अवसाद की भी समस्या सामने आ जाती है।

 

नशे की लत (Addictive addiction)

 

शराब (alcohol) या सिगरेट (cigarette) को भी आजकल युवा स्टेटस सिंबल से जोडक़र इसके आदी होते जा रहे हैं। शुरुआत में इसके दुष्प्रभाव मालूम नहीं पड़ते लेकिन धीरे-धीरे मस्तिष्क में डोपामाइन (Dopamine) नामक न्यूरोट्रांसमीटर (Neurotransmitter) का स्त्राव कम होने लगता है। डोपामाइन का मुख्य कार्य शरीर की कार्यप्रणाली को सही तरीके से चलाते रहना है। इसकी कमी से याददाश्त कमजोर होने लगती है।

इसके अलावा अत्यधिक अल्कोहल लेने से लिवर (Liver) पर भी विपरीत असर पड़ता है। जिससे अमोनिया (Ammonia) व यूरिया (Urea) की मात्रा खून में बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पूरी तरह विक्षिप्त होने का खतरा रहता है जिससे व्यक्तिकी याददाश्त पूरी तरह भी जा सकती है। शराब के अलावा अन्य मादक पदार्थों के नशे से मस्तिष्क में ऐपिनेफ्रिन (Epinephrine) व नोरऐपिनेफ्रिन (Norapinephrine) नामक न्यूरोट्रांसमीटर का स्त्राव रुक जाता है। इस वजह से भी भविष्य में व्यक्तिकी याददाश्त पूरी तरह जा सकती है।

 

एकाकी परिवार (Lonely family)

 

संयुक्त परिवार (joint family) की जगह एकल परिवार में रहने से युवाओं पर व्यावसायिक और सामाजिक बोझ बढ़ता है। इसके कारण कई बार मस्तिष्क में हार्मोन (Hormone) न्यूरोट्रांसमीटर व विद्युत तरंगों की कार्यप्रणाली अनियंत्रित हो जाती है। ऐसे में ल्यूकोट्रिन (Lukocritin) नामक न्यूरोट्रांसमीटर का स्त्राव बढऩे लगता है जो दिमाग पर बुरा असर डालता है।

 

मोबाइल का प्रयोग (Mobile usage)

 

कम्प्यूटर (computer) व मोबाइल (mobile) का अधिक प्रयोग भी इसकी एक वजह है। इनसे निकलने वाली तरंगों के कारण मस्तिष्क की कार्यप्रणाली गड़बड़ा जाती है। ऐसे में मेलोट्रिनिन नामक न्यूरोट्रांसमीटर का स्त्राव बहुत कम हो जाता है जिससे उनमें अनिद्रा (Insomnia) की दिक्कत होने लगती है जो आगे चलकर याददाश्त को कमजोर करती है।

 

खानपान भी जिम्मेदार

 

आधुनिक युवावर्ग फास्ट-जंक फूड (Fast-junk food) व अधिक वसायुक्तखाना (Fatty food) पसंद करता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) व प्रोटीन (Protein) की कमी पाई जाती है। न्यूरोन्स (Neurons) की होने वाली क्षति को ठीक करने के लिए प्रोटीन अत्यंत आवश्यक है और उत्पन्न होने वाली विद्युत तरंगों को संचालित रखने के लिए ग्लूकोज (Glucose) की आवश्यकता होती है।

 

इन दोनों चीजों के अभाव से शरीर में मोटापा (obesity) तो बढ़ता ही है साथ ही मस्तिष्क के सफेद हिस्से (व्हाइट मेटर) पर दुष्प्रभाव पड़ता है जिससे मस्तिष्क की संचार व्यवस्था (Communication system) कमजोर होने लगती है और मस्तिष्क की कोशिकाओं को भी क्षति पहुंचती है। इसका याददाश्त व सोचने- समझने की क्षमता पर भी बुरा असर पड़ता है। इसके अलावा खराब खानपान के कारण घटती प्रजनन क्षमता (Fertility capacity), डायबिटीज (Diabetes) और ब्लड प्रेशर (blood pressure) जैसी गंभीर बीमारियां भी बढ़ रही हैं।

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