दिल की बीमारियों से बचना हैं, तो करना होगा ये काम

हृदय रोगियों (Heart Patients) को वैसे तो खुद को स्वस्थ रखने के लिए कई सावधानियां बरतनी पड़ती है लेकिन यदि ऐसे रोगी अवसाद और चिंता से ग्रस्त हो जाये तो इससे उनके स्वास्थ्य (Health) पर बुरा असर पड़ सकता है. एक अध्ययन में पाया गया है कि हृदय के रोगियों में से लगभग एक तिहाई लोगों में अवसाद और चिंता के लक्षण मौजूद हैं , जिससे उनमें हृदय रोग और अन्य प्रतिकूल प्रभावों का खतरा बढ़ जाता है. अमेरिका में मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल के क्रिस्टोफर सेलानो ने कहा कि हृदय रोग (Heart Disease) के मरीजों में अवसाद और चिंता की स्थिति बनी रहती है.

 

सेलेनो ने कहा ,‘‘ जिन लोगों के दिल ने ठीक से काम करना बंद कर दिया है और उनमें मनोवैज्ञानिक बीमारी के लक्षण भी है तो ऐसे में मनोवैज्ञानिक बीमारी का निदान करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. ’’ उन्होंने कहा ,‘‘ दिल का काम करना बंद हो जाना और अन्य हृदय रोगों की उत्पत्ति को अवसाद से जोड़ा गया है. ’

 

दिल की बीमारी से भारत में सबसे ज़्यादा मौतें, 1 लाख की आबादी पर 272 को हृदय रोग है

 

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (George Medical University) के हृदय-रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर ऋषि सेठी ने हार्ट अटैक (Heart Attack) पर देश की पहली मार्गदर्शिका जारी की है. इसमें उन्होंने खुलासा किया है कि दुनिया में सबसे ज्यादा हृदय रोगी भारत में हैं. इसके अलावा देश में सर्वाधिक मौतें भी इस रोग के कारण होती हैं. इसके बचाव के लिए उन्होंने तम्बाकू (Tobacco) नियंत्रण एवं व्यायाम (Exercise)
को बढ़ावा देने की बात कही है.

 

प्रो. ऋषि सेठी ने बताया कि भारत में होने वाली 25 प्रतिशत मृत्यु का जिम्मेदार है हृदय रोग. दुनिया में हर 1 लाख जनसंख्या पर 235 लोगों को हृदय रोग होते हैं पर भारत में 272 को यह बीमारी होती है. इसीलिए हृदय रोग से बचाव और उपचार के लिए, हमारे देश के लिए प्रासंगिक मार्गदर्शिका हो. भारत के अनेक अस्पतालों में औसतन उम्र जिस पर रोगी हृदय रोग के साथ इलाज के लिए आता है.

 

उन्होंने बताया कि जितने लोगों की मृत्यु हृदय संबंधी रोग के कारण भारत में होती है, उतनी मृत्यु दर किसी भी और रोग का नहीं है. इसके बावजूद, हृदय रोग का खतरा कम करने के लिए वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित कार्यक्रम हम लोग लागू कर पा रहे हैं. उदहारण के तौर पर, तंबाकू (Tobacco)  नियंत्रण प्रभावकारी ढंग से जमीनी स्तर पर लागू हो, हमारी जीवनशैली (Lifestyle) में शारीरिक व्यायाम पर्याप्त होना चाहिए.

 

प्रो ऋषि सेठी ने बताया कि यह किताब हार्ट रोगियों के लिए काफी कारगर साबित होगी. इसमें वह कैसे लंबे समय तक स्वस्थ (Healthy) रहें, इस पर विस्तार से चर्चा की गई है. उन्हें इलाज के बारे में भी तथ्य सहित बताया गया है. हार्ट के इलाज में भी काफी आर्थिक असमानताएं है. उन्होंने कहा कि खुद रोगी को तंबाकू शराब (Alcohol) से दूर रहकर 30 मिनट टहलना ही सबसे बड़ा इलाज है.

 

शरीर में कोलेस्टेरॉल (Cholesterol) कैसे करता है काम

 

खून में जब कोलेस्टेरॉल की मात्रा बढ़ जाती है और यह धमनियों में जमा होने लगता है, तो उसी की वज़ह से ऐसा होता है। कुछ समय बाद ये धमनियां सख्त होकर, सिकुड़ने लगती हैं और दिल की ओर खून का बहाव धीरे या बंद हो जाता है। खून दिल के लिए ऑक्सीजन (Oxygen) लेकर जाता है और अगर दिल को आवश्यक रक्त और ऑक्सीजन न मिले तो आपके सीने में दर्द (Chest Pain) भी हो सकता है। अगर दिल के एक हिस्से को खून मिलना बिल्कुल बंद हो जाए, इससे हार्ट अटैक हो सकता है।

 

अपने खाने में करें इन चीज़ों का इस्तेमाल

 

कोलेस्टेरॉल (Cholesterol) के लेवल को बनाए रखने के लिए अनसैचुरेटिड फैट (Unsaturated fat) का सेवन करें। वहीं, सैचुरेटिड और ट्रांस फैट को खाने में शामिल करने से बचें। वेजिटेबल (vegetable) ऑयल, दिल के लिए अच्छे माने जाते हैं, इसलिए खाना बनाने के लिए इसका इस्तेमाल करें। फिश, मूंगफली, बीजों और कुछ सब्जियों के तेल में सेहतमंद फैट होते हैं, आप इन्हें भी प्रयोग में ला सकते हैं। ओटमील और फलों (Fruits) में घुलने वाले फाइबर  पाए जाते हैं। यह ब्लड कोलेस्टेरॉल को कम करने में मदद करते हैं।

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