गर्भावस्था : प्रेगनेंसी में कैसे रखें अपना ख्याल ? – बेहद खास है

 

हर महिला अपने प्रेगनेंसी की खबर सुनकर बहुत खुश हो जाती है। जब भी किसी महिला की प्रेगनेंसी कंफर्म होती है, सलाह का सिलसिला शुरू हो जाता है। हर कोई अपने-अपने सलाह देना शुरू कर देते है। ऐसे में सबसे जरूरी है कि मां बनने वाली महिला को यह पता हो कि उसे प्रेगनेंसी में कैसे अपना ख्याल रखना चाहिए? डॉक्टरों का कहना है की, गर्भावस्था के जो शुरुआती तीन महीने होते है, वो बहुत ही मायने रखते हैं। अगर इस दौरान महिला सावधानी से रहे, तो उनका बच्चा न प्रीमैच्योर होगा और न ही शारीरिक रूप से विकलांग।

 

 

प्रेगनेंसी का पहला महीना

 

 

जब भी किसी महिला को अपने गर्भवती होने की सूचना मिलती है, तब उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता। और जो महिला गर्भवती होने वाली होती है तो उनके शरीर में कई तरह के शारीरिक बदलाव होने लगते है। अगर प्रेगनेंसी के पहले महीने से ही सभी ज़रूरी तैयारियां शुरू कर दी जाएं, तो सारी परेशानियों को काफ़ी हद तक कम किया जा सकता है।

 

 

गर्भ ठहरने के लक्षण

 

जब कोई महिला पहली बार गर्भवती होती है, तो पहले महीने में गर्भवती महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव होने लगते हैं। अगर गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी के पहले महीने में नीचे दिए गए लक्षण नज़र आएं, तो उन्हें बिल्कुल भी घबराना नहीं चाहिए, ये उनके लिए ख़ुशी की बात हो सकती है:

 

 

  • रक्तस्राव और ऐंठन

 

  • मूड स्विंग

 

  • स्तनों का कड़ा होना

 

  • थकान होना

 

  • बार-बार पेशाब लगना

 

  • मॉर्निंग सिकनेस

 

  • खाने की पसंद में बदलाव

 

  • सूंघने की क्षमता में वृद्धि

 

  • अधिक भूख लगना

 

 

  • पेट के निचले हिस्से में दर्द होना

 

  • पीठ में दर्द होना

 

 

प्रेगनेंसी के पहले महीने में क्या ना करें?

 

 

 

  • ऊंची एड़ी वाली सैंडल ना पहनें।

 

  • ज़्यादा झुकने से बचें और भारी चीज़ें ना उठाएं।

 

  • गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर की सलाह लिए बिना कोई भी दवा नहीं खानी चाहिए।

 

  • तनाव से बिल्कुल दूर रहें। इससे बचने के लिए अच्छी किताबें पढ़ें या बढ़िया संगीत सुनें।

 

  • डाइटिंग बिल्कुल ना करें।

 

  • हॉट टब बाथ ना लें।

 

 

प्रेगनेंसी में रखें अपना ख्याल

 

 

  • गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी के शुरुआती महीनों में ज्यादा भीड़भाड़, प्रदूषण और रेडिएशन वाली जगह पर जाने से बचना चाहिए।

 

  • ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर ट्रैवलिंग करने से भी बचें।

 

  • मॉर्निंग सिकनेस से बचने के लिए नींबू-पानी या अदरक की चाय पी जा सकती हैं।

 

  • शरीर में पानी की कमी न हो, इसलिए दिनभर में 4-5 बार तरल चीजें, जैसे की – छाछ, नींबू-पानी, नारियल पानी, फलों का जूस या शेक पीएं। इससे शरीर में पानी की कमी नहीं होगी।

 

  • शुरू के इन तीन महीनों में बच्चे के अंग बनने शुरू होते हैं। ऐसे में खाने की मात्रा से ज्यादा उसकी क्वॉलिटी पर ध्यान देना जरूरी है।

 

  • गर्भावस्था के दौरान जंक फूड खाने से परहेज करना ही बेहतर होगा. इसमें उच्च मात्रा में फैट होता है, जिसकी वजह से कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का खतरा हो सकता है।

 

  • इस दौरान लगने वाला एक भी वैक्सीनेशन भूलें नहीं। अगर आप कुछ दिन लेट भी हो जाती हैं तो डॉक्टर से परामर्श लेकर उसे तुरंत लगवा लें।

 

  • गर्भवती महिला को हर 4 घंटे में कुछ खाने की कोशिश करनी चाहिए। हो सकता है आपको भूख न लगी हो, परन्तु हो सकता है कि आपका गर्भस्थ शिशु भूखा हो।

 

  • वजन बढ़ने कि चिंता करने के बजाय अच्छी तरह से खाने कि ओर ध्यान देना चाहिए।

 

  • प्रेगनेंसी में गर्भवती महिला को कच्चा दूध नहीं पीना चाहिए।

 

  • शराब और धूम्रपान का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए, इससे गर्भवती महिला के साथ-साथ उनके होने वाले बच्चे को भी खतरा हो सकता है।

 

  • कैफीन की मात्रा कम करे, क्योंकि इसके अधिक सेवन से गर्भपात की भी समस्या हो सकती है।

 

  • होने वाले बच्चे को एनेमिया का खतरा न हो इसलिए अनाज से बने पदार्थ, अंकुरित दलहन, हरे पत्तेवाली साग, ग़ुड़, तिल आदि से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।

 

  • गर्भवती महिला को उपवास नहीं करना चाहिए।

 

 

प्रेगनेंसी में गर्भवती महिला के लिए भोजन

 

 

विटामिन से भरपूर

 

प्रेगनेंसी में आवश्‍यक विटामिन खासकर विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थों का भरपूर सेवन किया जाना चाहिए। यानी गर्भवती महिला को प्रतिदिन –

  • खनिज

 

  • कैल्शियम

 

  • विटामिन की सही मात्रा अपने खाने में शामिल करनी चाहिए। और साथ ही फोलिक एसिड का भी सेवन करना चाहिए, क्योंकि ये बच्चे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

 

 

आयरन युक्‍त आहार

 

प्रेगनेंसी में आयरन युक्‍त आहार का सेवन भी बहुत जरूरी होता है। ये न सिर्फ खून की कमी को दूर करता है, बल्कि हडि्डयों को भी मजबूत बनाता है।

 

 

वसायुक्‍त आहार

 

प्रेगनेंसी में गर्भवर्ती महिला को ऐसा भोजन करना चाहिए, जिससे मोटापा ज्यादा न बढे। उबला हुआ भोजन खाना गर्भावस्था के समय सबसे अच्छा माना जाता है।

 

 

फोर्टिफायड फूड

 

गर्भावस्था आहार में कम से कम नमक का इस्तेमाल करते हुए फोर्टिफाइड फूड लेना चाहिए। गर्भवती महिला को गेहूं, ओट मिल और अनाज की ब्रेड का ही सेवन करना चाहिए।

 

 

पानी और फलों का रस

 

प्रेगनेंसी में गर्भवती महिला को अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए। ताजा खाने के साथ-साथ ताजे फल, ताजा जूस और उबला हुआ दूध और उससे बने पदार्थों का ही सेवन करना चाहिए।

 

 

और साथ ही कुछ चीजें जैसे –

 

  • मांस

 

  • अंडा

 

  • मछली

 

  • नट्स

 

  • दूध

 

  • दही और पनीर

 

  • पालक

 

  • गाजर

 

  • आलू

 

  • संतरे, अंगूर, तरबूज और जामुन, ब्रेड, अनाज, चावल का सेवन गर्भावस्था के दौरान अवश्य ही करना चाहिए।

 

गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाइयां और बातें जरूर ध्यान में रखने चाहिए। साथ ही डॉक्टर की सलाहानुसार अपने खान-पान में बदलाव भी करते रहना चाहिए।

 

 

उपरोक्त लेख में, हमने प्रेगनेंसी में गर्भवती महिला को भोजन और अपना ख्याल कैसे रखना चाहिए इस बारे में बताया हैं। लेकिन कोई भी उपाय करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर ले।

 

 

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