रीढ़ की हड्डी की सर्जरी कितने प्रकार की होती है?

पीठ का निचला हिस्सा जिसे रीढ़ की हड्डी कहा जाता है इसमें ज्यादातर लोगों को दर्द की समस्या होती है। उसका इलाज बिना सर्जरी के भी  किया जा सकता है। लेकिन कई लोग ऐसे हैं, जो इसके लिए भी डॉक्टर से सर्जरी करवाते हैं। आपको बता दें की कभी-कभी सर्जरी से भी रीढ़ की हड्डी का दर्द ठीक नहीं होता है। इस पर हुए शोध बताते हैं कि 20 से 40 प्रतिशत रीढ़ की हड्डी की सर्जरी सफल नहीं होती हैं।

 

रीढ़ की हड्डी में दर्द से छुटकारा पाने के लिए आपको डॉक्टर से सलाह तब लेनी चाहिए जब आपको लेटने, बैठने में भी समस्या होने लगे। ऐसी स्थिति में ही डॉक्टर उस व्यक्ति के स्वास्थ्य को देखते हुए सर्जरी का निर्णय लेता है। वैसे जब आपको शुरुआत में ही अगर कोई समस्या है तो आप इसके लिए व्यायाम या योग करके भी इसके जोखिम को कम कर सकते हैं।

 

 

रीढ़ की हड्डी में सर्जरी कब करना चाहिए?

 

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आर्थराइटिस एंड मस्कुलोस्केलेटल एंड स्किन डिसीज (NIAMS) के अनुसार, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) का हिस्सा, निम्नलिखित शर्तें पर भी इसका उपचार हो सकते हैं:

 

 

  • हर्नियेटेड (Herniated) या टूटी हुई डिस्क, जिसमें रीढ़ की हड्डियां अधिक क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।

 

  • स्पाइनल स्टेनोसिस (Spinal stenosis), स्पाइनल कॉलम (spinal column) की एक संकीर्णता जो रीढ़ की हड्डी और नसों पर दबाव डालती है।

 

  • स्पोंडिलोलिस्थीसिस (Spondylolisthesis), जिसमें रीढ़ की एक या एक से अधिक हड्डियाँ जगह से खिसक जाती हैं।

 

  • रीढ़ की हड्डियों में या ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) की चोट के कारण फ्रैक्चर भी हो सकता है।

 

  • डिगिनेरेटिव डिस्क डिजीज (Degenerative disk disease), या एक व्यक्ति की अधिक उम्र होने भी स्पाइनल डिस्क को नुकसान पहुँचा सकता है।

 

 

पीठ में दर्द एक ट्यूमर, संक्रमण, या तंत्रिका जड़ समस्या के कारण भी होता है, जिसे कॉउडा इक्विना सिंड्रोम (cauda equina syndrome) कहा जाता है। इन मामलों में, NIAMS दर्द को कम करने और अधिक समस्याओं को रोकने के लिए डॉक्टर तुरंत सर्जरी की सलाह देता है। किसी भी प्रकार की चोट की तरह, स्पाइनल फ्रैक्चर का उपचार इसकी गंभीरता और स्थान पर निर्भर करता है। एक छोटा सा फ्रैक्चर बिना सर्जरी के अपने आप ठीक हो सकता है। यदि चोट ऊपरी या निचले हिस्से में होती है, तो आपको रीढ़ की हड्डी को स्थिर करने में मदद के लिए बाहरी बैक ब्रेस पहनने की आवश्यकता हो सकती है।

 

 

 

 

रीढ़ की हड्डी की सर्जरी के कितने प्रकार हैं ?

 

 

NIH के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक (NINDS) ने पीठ दर्द के लिए सर्जिकल विकल्पों में से कुछ को सूचीबद्ध किया है। लेकिन NINDS यह भी बताता है कि “यह दिखाने के लिए बहुत कम सबूत हैं, कि कौन सी सर्जरी उस व्यक्ति के लिए सही तरीके से काम करेगी।

 

 

वर्टेब्रोप्लास्टी और किफ़ोप्लास्टी (Vertebroplasty and kyphoplasty): इन प्रक्रियाओं का उपयोग ऑस्टियोपोरोसिस के कारण होने वाली समस्याओं से निजात पाने के लिए किया जाता है compression fractures कम्प्रेशन फ्रैक्चर और ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) को ठीक करने के लिए किया जाता है। दोनों प्रक्रियाओं में इंजेक्शन दिया जाता है जो हड्डी को कठोर और मजबूत करता है।

 

स्पाइनल लैमिनेक्टॉमी / रीढ़ की हड्डी में डीकम्प्रेशन (Spinal laminectomy/spinal decompression): यह तब किया जाता है जब स्पाइनल स्टेनोसिस रीढ़ की हड्डी की नस में सिकुड़न आने का कारण बनता है जिसके परिणामस्वरूप रीढ़ की हड्डी में दर्द, सुन्नता या कमजोरी होती है। जिसका उद्देश्य तंत्रिकाओं पर दबाव हटाने के लिए स्पाइनल कॉलम को खोलने का काम करता है।

 

डिस्केक्टॉमी (Discectomy): इस प्रक्रिया का उपयोग डिस्क को हटाने के लिए किया जाता है, जब यह हर्नियेटेड (Herniated) होता है तब तंत्रिका जड़ (nerve root) या रीढ़ की हड्डी पर दबाव पैदा करता है। लैमिनेक्टॉमी और डिस्केक्टॉमी अक्सर एक साथ किए जाते हैं।

 

न्यूक्लियोप्लास्टी (Nucleoplasty): जिसे प्लाज्मा डिस्क डी कम्प्रेशन भी कहा जाता है : यह लेजर सर्जरी कम हर्नियेटेड डिस्क से जुड़े पीठ दर्द वाले लोगों के इलाज के लिए रेडियोफ्रीक्वेंसी ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। सर्जन डिस्क में एक सुई सम्मिलित करता है। एक प्लाज्मा लेजर डिवाइस को फिर सुई में डाला जाता है और टिप को गर्म किया जाता है, जिससे एक क्षेत्र बनता है जो डिस्क में ऊतक को वाष्पीकृत करता है, इसके आकार को कम करता है और नसों पर दबाव को राहत देता है।

 

रीढ़ की हड्डी में विलय (Spinal fusion): सर्जन दो या अधिक वर्टिब्रा को रीढ़ की हड्डी के  बीच से हटा देता है, फिर हड्डी के ग्राफ्ट्स या धातु के उपकरणों का उपयोग करता है। रीढ़ की हड्डी में लचीलेपन के कुछ नुकसान भी हो सकते है।

 

कृत्रिम डिस्क प्रतिस्थापन (Artificial disk replacement): यह गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त डिस्क वाले लोगों के उपचार के लिए रीढ़ की हड्डी के संलयन का एक विकल्प माना जाता है। इस प्रक्रिया में डिस्क को हटाने और सिंथेटिक डिस्क द्वारा इसके रेप्लेसमेन्ट किया जाता है।

 

 

रीढ़ की हड्डी में सर्जरी के बाद रखें इन बातों का ध्यान

 

  • रीढ़ की हड्डी में सर्जरी कराने वाले व्यक्ति को ज्यादा झुक कर काम नहीं चाहिए क्योंकि इसका असर उसकी रीढ़ की हड्डी पर पड़ सकता है।

 

  • अगर किसी व्यक्ति ने हाल ही में रीढ़ की हड्डी की सर्जरी कराई है, तो उसे  कोई भी भारी सामान नहीं उठाना चाहिए।

 

  • सर्जरी कराने वाले व्यक्ति को अपने शरीर को झटकों से भी बचाना चाहिए और अचानक से मोड़ना नहीं चाहिए।

 

  • यदि आपकी स्पाइन सर्जरी हुई है, तो आपको फीजियोथैरेपी कराना चाहिए। ये आपके लिए एक बेहतर विकल्प साबित होगा। क्योंकि इससे शरीर की त्वचाएं खुलती हैं।

 

  • रीढ़ की हड्डी में सर्जरी के बाद उस व्यक्ति को धीरे-धीरे टहलना भी चाहिए। इससे आपको कोई नुकसान नहीं होगा लेकिन दौड़ना नहीं है।

 

 

ये सभी सर्जरी रीढ़ की हड्डी में समस्या होने पर की जाती हैं लेकिन आपको सर्जरी के बाद कुछ बातों का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए और अपनी रीढ़ की हड्डी को चोट लगने से भी बचाना चाहिए। तभी आप इस समस्या से बचे रह सकते हैं। यदि आपको उठने, बैठने, चलने में कोई समस्या है तो रीढ़ की हड्डी की सर्जरी कराना चाहते हैं या इससे सम्बंधित किसी भी समस्या का इलाज कराना चाहते हैं, या कोई सवाल पूछना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें। इसके अलावा आप प्ले स्टोर से हमारा एप डाउनलोड करके डॉक्टर से डायरेक्ट कंसल्ट कर सकता हैं। आप हमसे  व्हाट्सएप (+91 9599004311) पर भी संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा आप हमारी सेवाओं के संबंध में हमें Connect@gomedii.com पर ईमेल भी कर सकते हैं। हमारी टीम जल्द से जल्द आपसे संपर्क करेगी।

Doctor Consutation Free of Cost=

Disclaimer: GoMedii  एक डिजिटल हेल्थ केयर प्लेटफार्म है जो हेल्थ केयर की सभी आवश्यकताओं और सुविधाओं को आपस में जोड़ता है। GoMedii अपने पाठकों के लिए स्वास्थ्य समाचार, हेल्थ टिप्स और हेल्थ से जुडी सभी जानकारी ब्लोग्स के माध्यम से पहुंचाता है जिसको हेल्थ एक्सपर्ट्स एवँ डॉक्टर्स से वेरिफाइड किया जाता है । GoMedii ब्लॉग में पब्लिश होने वाली सभी सूचनाओं और तथ्यों को पूरी तरह से डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा जांच और सत्यापन किया जाता है, इसी प्रकार जानकारी के स्रोत की पुष्टि भी होती है।