स्ट्रोक, जिसे हिन्दी में आघात या मस्तिष्काघात भी कहा जाता है, एक गंभीर चिकित्सीय स्थिति है जो मस्तिष्क में रक्त प्रवाह की आपूर्ति में रुकावट के कारण होती है। इससे मस्तिष्क के हिस्सों को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप मस्तिष्क की कोशिकाएँ मर सकती हैं। स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है, और इसके लक्षणों को पहचान कर तुरंत इलाज प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। समय पर इलाज मस्तिष्क क्षति को कम कर सकता है और जीवन बचा सकता है। आज हम इस लेख में बात करेंगे की स्ट्रोक रोगियों के लिए दिन भर का आहार चार्ट क्या हो सकता हैं।
स्ट्रोक के लक्षण क्या होते है ?
स्ट्रोक के निम्नलिखित लक्षण होते हैं जैसे की-
- चेहरे, बाजू या पैर में कमजोरी या सुन्नता
- बोलने या समझने में कठिनाई।
- अचानक भ्रमित होना।
- नज़र कमजोर होना।
- चक्कर आना, संतुलन या समन्वय की हानि।
स्ट्रोक रोगियों के लिए दिन भर का आहार चार्ट
यह आहार चार्ट सामान्य गाइडलाइन के रूप में है। व्यक्तिगत आहार आवश्यकताओं के लिए डॉक्टर या डायटीशियन से परामर्श करना हमेशा बेहतर होता है। स्ट्रोक के रोगियों के लिए एक दिन का भारतीय आहार चार्ट संतुलित पोषण और स्वस्थ जीवन शैली को ध्यान में रखते हुए बनाया जाना चाहिए। यहाँ एक सुझावित आहार चार्ट है:
सुबह का नाश्ता (7:00 – 8:00 बजे)
- उपमा: सब्जियों से भरपूर और कम तेल में बना हुआ।
- दूध या दही: एक कप (फैट-फ्री या लो-फैट)
- फल: एक केला या एक सेब
मिड-मॉर्निंग स्नैक (10:00 – 11:00 बजे)
- मुट्ठी भर भुने चने या मूंगफली: कम नमक में।
- नारियल पानी: एक गिलास
दोपहर का खाना (1:00 – 2:00 बजे)
- रोटी: 2-3 मल्टीग्रेन या गेहूं की रोटियां
- दाल: एक कटोरी (तुअर, मूंग, मसूर)
- सब्जी: एक कटोरी हरी सब्जी (पालक, भिंडी, लौकी)
- सलाद: टमाटर, खीरा, गाजर, पत्तागोभी
- छाछ: एक गिलास (कम नमक और मसाले)
शाम का नाश्ता (4:00 – 5:00 बजे)
- फलों का सलाद: पपीता, तरबूज, या संतरा
- ग्रीन टी: एक कप
रात का खाना (7:00 – 8:00 बजे)
- रोटी या चावल: 2-3 रोटियां या एक कटोरी ब्राउन राइस
- दाल: एक कटोरी
- सब्जी: एक कटोरी (हल्की तली हुई या उबली हुई)
- सलाद: ताजे हरे पत्तेदार सब्जियों से बना
रात का स्नैक (9:00 – 10:00 बजे)
गर्म दूध: एक कप (हल्दी के साथ)
अतिरिक्त टिप्स:
- पानी का सेवन: दिन भर में 8-10 गिलास पानी पिएं।
- कम नमक और चीनी: आहार में नमक और चीनी की मात्रा कम रखें।
- फाइबर युक्त भोजन: आहार में फाइबर की मात्रा बढ़ाएं।
- तले और मसालेदार भोजन से बचें: भारी, तले हुए और अत्यधिक मसालेदार भोजन से परहेज करें।
- नियमित भोजन के समय: नियमित अंतराल पर भोजन करें और किसी भी भोजन को न छोड़ें।
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