थैलेसीमिया क्या है? जानिए इसके लक्षण, कारण और उपचार

थैलेसीमिया किसी को भी विरासत में मिला रक्त से संबधित एक विकार है। जिसमें इंसान के शरीर में हीमोग्लोबिन का संतुलन बिगड़ जाता है। थैलेसीमिया आपके अपने माता-पिता से मिला एक विकार हो सकता है। यह एक शरीर में परिवर्तन या कुछ प्रमुख जीन को हटाने के कारण होता है। हर साल इसे 8 मई को मनाया जाता है। यह किसी भी आयु वर्ग को प्रभावित कर सकता है।

 

इस बीमारी में लाल रक्त कोशिकाएं नष्ट होने लगती है, जिससे उस व्यक्ति को एनीमिया भी हो सकता है। एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें इंसान के शरीर में पर्याप्त रूप से लाल रक्त कोशिकाएं नहीं बनती हैं। आज भारत में इस बीमारी से 5 करोड़ लोग ग्रसित हैं एक रिपोर्ट की माने तो हर वर्ष 10 हज़ार बच्चे थैलेसीमिया के साथ जन्म लेते है।

 

 

थैलेसीमिया के लक्षण

 

 

  • थकान : थकान होना स्वाभिक है ऐसा अक्सर तब होता है जब आप बहुत ज्यादा शारीरिक श्रम करते है। लेकिन ऐसा तब होता है जब आपके शरीर में खून की कमी होती है।

 

 

  • कमजोरी : जब शरीर में कमजोरी अक्सर रहती है तो ये थैलेसीमिया के लक्षण भी हो सकते है।

 

 

  • त्वचा का पीला होना : त्वचा का पीला होना अक्सर तब देखा जाता है जब उस व्यक्ति को पीलिया हुआ हो, लेकिन ये इस बीमारी के लक्षण भी हो सकते है।

 

 

  • चेहरे की हड्डी की विकृति : थैलेसीमिया होने पर उस व्यक्ति की हड्डियां का आकार बढ़ने लगता है। यह विशेष रूप से आपके चेहरे और सिर में देखने को मिलता है।

 

 

  • शरीर का धीमी गति से विकास होना : इस स्थिति में उस व्यक्ति के शरीर का विकास सही तरीके से नहीं हो पता है।

 

 

  • पेट में सूजन : ये लक्षण अभी तक इस बीमारी में बहुत कम देखे गए है, लेकिन ऐसा होने पर आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

 

 

  • गहरा रंग का पेशाब होना : ये लक्षण उस व्यक्ति में भी देखे जा सकते है, जिसे पीलिया यानि जॉन्डिस होता है।

 

 

 

थैलेसीमिया के कारण

 

 

थैलेसीमिया कोशिकाओं के डीएनए (DNA) में परिवर्तन के कारण होता है, जो हीमोग्लोबिन बनाते हैं – ये लाल रक्त कोशिकाओं के पदार्थ पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाता है। थैलेसीमिया से जुड़े उत्परिवर्तन माता-पिता से बच्चों में जीन के द्वारा प्रवेश करता हैं।

 

 

हीमोग्लोबिन के अणु अल्फा और बीटा चेन नामक पदार्थ से बने होते हैं जो म्यूटेशन से प्रभावित हो सकते हैं। थैलेसीमिया में, अल्फा या बीटा चेन में से किसी एक का उत्पादन कम हो जाता है, जिसके कारण अल्फा-थैलेसीमिया या बीटा-थैलेसीमिया होता है।

 

 

अल्फा-थैलेसीमिया में, आपके द्वारा किए गए थैलेसीमिया की गंभीरता आपके माता-पिता से आपके शरीर में प्रवेश करती है। ये जीन में परिवर्तन की संख्या पर निर्भर होता है। ज्यादा परिवर्तन वाले जीन उस व्यक्ति को और अधिक गंभीर थैलेसीमिया का रोगी बनाते है।

 

बीटा-थैलेसीमिया में, आपके द्वारा किए गए थैलेसीमिया की गंभीरता हीमोग्लोबिन के किसी एक हिस्से पर निर्भर करती है।

 

 

थेलेसीमिया का उपचार

 

 

हर बीमारी का इलाज उसकी गंभीरता पर निर्भर करता है, उसके बाद ही डॉक्टर उस व्यक्ति का इलाज करते है। इसके उपचार में कुछ शामिल हैं:

 

 

  • ब्लड ट्रांसफ़्यूजन (blood transfusions)

 

 

  • दवाएं और सप्लीमेंट्स सही समय पर खाएं

 

 

 

डॉक्टर थैलेसीमिया के रोगी को निर्देश देते है कि उन्हें आयरन युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। क्योंकि उस समय उस व्यक्ति के शरीर में इसकी मात्रा बहुत अधिक होती है जिसकी वजह से ऐसा होता है।

 

इसके आलावा डॉक्टर उपचार के लिए चेलिटेशन थेरेपी (chelation therapy) का इस्तेमाल भी करते है। इसमें आमतौर पर एक रसायन का इंजेक्शन उस व्यक्ति के शरीर में दिया जाता है, जो उसके शरीर से लोहे और अन्य भारी धातुओं को इकठ्ठा करता है। उसके बाद इसे पेशाब के सहारे शरीर से बाहर निकालता है। जिन्हें थैलेसीमिया होता है उन्हें बीफ, मांस, मछली, पीनट बटर, तरबूज पालक, हरी पत्तेदार सब्जियां, खजूर ब्रॉकली, किशमिश, मटर आदि।

 

थैलेसीमिया होने पर आप अनाज जैसे सोया, गेहूं चोकर,मक्का चावल डेरी युक्त खाद्य पदार्थ, चाय, कॉफ़ी, विटामिन E युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन ज्यादा करें और नियमित रूप से व्यायाम करें तभी आप खुद को स्वस्थ रख सकते है। यदि आपको और भी किसी तरह की परेशानी होती है तो आप हमारे डॉक्टर से भी सलाह लें सकते हैं।

 

 

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