Vitamin D और Calcium की कमी से होने वाले रोग

 

 

स्वस्थ हड्डी क्यों महत्वपूर्ण है?

 

 

हमारे शरीर में लगातार नयी हड्डी का निर्माण होता रहता है जो पुरानी हड्डी को प्रतिस्थापित करता है। जब हम युवा होते हैं तो नयी हड्डी का निर्माण तेजी से होता है, परन्तु 30 वर्ष के बाद हड्डी द्रव्यमान ह्रास,  हड्डी द्रव्यमान निर्माण से ज्यादा होता है, जिसकी वजह से हड्डी घनत्व कम होने लगता है। 30 वर्ष की आयु में व्यक्ति अपने उच्चतम हड्डी द्रव्यमान पर पहुँचता है। हड्डियों की मुख्य भूमिका शरीर को संरचना प्रदान करना और कैल्शियम संचित करना होता है। हड्डी द्रव्यमान कम होने से ऑस्टिओपोरोसिस जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है। ऑस्टिओपोरोसिस वह स्थिति है जिसमे हड्डी के टूटने की संभावना बढ़ जाती है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन के एक रिसर्च के अनुसार , भारत में अधिकतर लोग जरूरी मात्रा से कम कैल्शियम का सेवन करते हैं।

 

 

विटामिन डी और कैल्शियम का सम्बन्ध:

 

विटामिन डी और कैल्शियम शरीर को मिलने वाले जरूरी हार्मोन और विटामिन हैं। विटामिन डी शरीर में कैल्शियम को सोखने का कार्य करता है। कैल्शियम हड्डी को मजबूत बनाने का कार्य करता है। यदि पर्याप्त कैल्शियम की मात्रा शरीर को न मिले या शरीर पर्याप्त कैल्शियम की मात्रा को अवशोषित ना कर रहा हो तो हड्डी को पर्याप्त कैल्शियम नहीं मिलता है। जो नयी हड्डियों के बनने की गति को बाधित करता है। यदि हम आहार में कैल्शियम की जरूरी मात्रा ले रहें हैं तो भी विटामिन डी की कमी की वजह से शरीर पर्याप्त कैल्शियम को अवशोषित नहीं कर पता है, जिसकी वजह से शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाती है और पर्याप्त कैल्शियम ना मिलने के कारण नयी हड्डी का निर्माण जरूरी गति से कम गति से होने लगता है। नयी हड्डी के निर्माण की गति कम होने से हड्डी द्रव्यमान घटने लगता है, जो हड्डियों के कमजोर होने का कारण बनता है।

 

 

विटामिन डी प्राप्त करने के स्त्रोत:

 

स्वस्थ हड्डियों के लिए विटामिन डी अति आवश्यक है, यह कैल्शियम को सोख कर हड्डी को मजबूत बनाने का कार्य करता है। विटामिन डी का सबसे सुलभ और प्रभावी स्त्रोत सूर्य की रोशनी है। जब हमारा शरीर सूर्य की रोशनी के संपर्क में आता है तो शरीर विटामिन डी का निर्माण करता है। हालाँकि विटामिन डी को आहार द्वारा भी ग्रहण किया जा सकता है, परन्तु  विटामिन डी बहुत ही कम खाद्य पदार्थो में पाया जाता है, जैसे- तैलीय मछली या मछली के जिगर तेल इत्यादि।

 

 

विटामिन डी के कमी के कारण

 

 

सूरज की रोशनी पर्याप्त मात्रा में ना लेना: जो व्यक्ति सूरज की धुप से दूर रहते हैं , उनमे विटामिन डी की कमी होने की सम्भावना बढ़ जाती है। क्योंकि जब शरीर सूर्य की रोशनी के संपर्क में आता है तो विटामिन डी बनाने की क्रिया शुरू करता है।

 

पाचन तंत्र का विटामिन डी अवशोषित ना करना: यदि हमारा पाचन तंत्र आहार से ग्रहण किये गये विटामिन डी को अवशोषित नहीं करता है तो यह भी विटामिन डी की कमी का मुख्य कारण हो सकता है।

 

मोटापा: वजन का ज्यादा होना भी विटामिन डी की कमी का एक कारण है।

 

 

विटामिन डी की कमी के संकेत और लक्षण

 

 

  • हड्डी में दर्द होना

 

  • मांसपेशियों का कमजोर होना

 

  • जल्दी थकान महसूस होना

 

 

 

विटामिन डी की कमी से होने वाले रोग

 

विटामिन डी का स्तर बहुत कम होने पर, व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की बीमारी हो सकती है।

 

  • विटामिन डी की कमी से हृदय रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।

 

  • बच्चो में विटामिन डी की कमी से अस्थमा होने का खतरा रहता है।

 

 

 

विटामिन डी का सही स्तर बनाये रखने के उपाय

 

 

  • स्वस्थ जीवनशैली अपनायें

 

  • वजन को नियंत्रित करें

 

  • विटामिन डी से भरपूर आहार लें

 

  • सूर्य की रोशनी में पर्याप्त समय बिताएं, और कोई भी संकेत या लक्षण दिखने पर डॉक्टर से सलाह लें

 

 

कैल्शियम शरीर के लिए इतना जरूरी क्यों है?

 

 

कैल्शियम, शरीर को मिलने वाले सबसे महत्वपूर्ण खनिजों में से एक है। हमारे शरीर का लगभग 99% कैल्शियम हड्डियों और दांत द्वारा ग्रहण किया जाता है। कैल्शियम हड्डियों और दांतो की संरचना के लिए जिम्मेदार होता है। यदि शरीर को पर्याप्त कैल्शियम नहीं मिल रहा हो तो, हड्डियों एवं दांतो में कमजोरी आ सकती है। हड्डियों को मजबूत बनाये रखने के लिए कैल्शियम और विटामिन डी साथ-साथ काम करते हैं। कैल्शियम पुरानी हड्डियों को प्रतिस्थापित करने के लिए नयी हड्डियां बनाता है और विटामिन डी कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद करता है। इसीलिए कैल्शियम और विटामिन डी दोनों का पर्याप्त मात्रा में सेवन फायदेमंद है। यदि हम जरूरी कैल्शियम की मात्रा दैनिक आहार में ले भी रहें है और हमारे शरीर में विटामिन डी की कमी है तो वह कैल्शियम अवशोषित नहीं होगा, और शरीर के लिए भी फायदेमंद नहीं होगा। कैल्शियम का मुख्य स्रोत हमारा आहार होता है। कैल्शियम की जरूरी मात्रा अलग-अलग उम्र और लिंग के लोगों के लिए अलग-अलग होती है।

 

50 वर्ष से कम उम्र के वयस्क व्यक्ति के लिए जरूरी  कैल्शियम की मात्रा- 1000 mg/day

 

50 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति के लिए जरूरी कैल्शियम की मात्रा – 1200  mg/day

 

 

कैल्शियमयुक्त कुछ आहार 

 

  • दूध

 

  • ब्रोकली

 

  • टोफू

 

  • दही

 

  • हरी सब्जियां

 

  • विशेष प्रकार की मछलियां इत्यादि।

 

 

कैल्शियम कम होने के नुकसान

 

 

  • शरीस में इस स्थिति को हाइपोग्लाइसीमिया कहते हैं। कैल्शियम कम होने से ओस्टीओपोरोसिस होने की सम्भावना बढ़ जाती है। जिसमे हड्डियों के टूटने या गंभीर रूप से चोटिल होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

 

  • हड्डी एवं दांत कमजोर होने लगते हैं।

 

 

 

कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा बनाये रखने के उपाय

 

 

  • कैल्शियम नयी हड्डी बनाने और हड्डियों को मजबूत बनाये रखने के लिए महत्वपूर्ण होता है।

 

  • विटामिन डी जरूरी मात्रा में ग्रहण करें।

 

  • कैल्शियमयुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें।

 

कैल्शियम की कमी का कोई लक्षण दिखने पर डॉक्टर को दिखायें एवं जरूरी उपचार कराएं

 


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