विश्व स्तनपान सप्ताह (World Breastfeeding Week) सारे विश्व में शिशुओं (Newborn Baby) के स्वास्थ्य (health) को बेहत्तर बनाने एवं स्तनपान (Breastfeeding) कराने को प्रोत्साहित करने के लिए एक सौ सत्तर से अधिक देशों में प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
माँ का दूध बच्चे के लिए अनमोल उपहार है। नवजात शिशु एवं बच्चे को पर्याप्त सुरक्षा, स्नेह तथा पोषण (Nutrition) की आवश्यकता होती है। स्तनपान उन सभी को पूरा करता है। मां का दूध बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए पोषण का सबसे अच्छा स्रोत होता है। मां के दूध का कोई अन्य विकल्प नहीं होता है। स्तनपान एक तकनीक है, जिसे हर माँ को सीखना चाहिए जैसे कि स्तनपान कैसे कराएँ? स्तनपान कब कराएँ? और शिशु को कितनी बार स्तनपान कराएँ? तथा स्तनपान से संबंधित अन्य पहलुओं के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
डब्ल्यूएचओ (World Health Organization) ने सिफ़ारिश की है कि माँ का पीला व गाढ़ा कोलोस्ट्रम (Colostrum) वाला दूध नवजात शिशु (Newborn Baby) के लिए सर्वोत्तम आहार (Best diet) है। जन्म के तुरंत बाद एक घंटे के भीतर स्तनपान कराना शुरू किया जाना चाहिए। बच्चे को छह महीने की अवस्था तक लगातार स्तनपान कराने की सिफ़ारिश की जाती है। शिशु को छह महीने की अवस्था के बाद और दो वर्ष या उससे अधिक समय तक स्तनपान कराने के साथ-साथ पौष्टिक पूरक आहार दिया जाना चाहिए। यदि बच्चा ज़्यादा दूध पीता हैं, तो स्तन में ज़्यादा दूध बनेगा। यदि बच्चा दूध पीना बंद कर देता है या बच्चा दूध नहीं पीता है, तो स्तन में दूध नहीं बनेगा।
नवजातों को नहीं मिलता मां का दूध:
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (National Family Health Survey) के अनुसार जनपद सुलतानपुर में जन्म के एक घंटे के अंदर मात्र 33.9 प्रतिशत शिशु ही मां के गाढ़ा पीला दूध (Thick yellow milk) का सेवन कर पाते हैं। मात्र 20.6 प्रतिशत बच्चे ही जन्म से 6 माह तक सिर्फ़ मां का दूध पीते हैं जबकि, बच्चे के जन्म के एक घंटे के भीतर मां का पीला एवं गाढ़ा दूध एवं जन्म से 6 महीने तक सिर्फ़ मां का दूध बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी माना जाता है। स्तनपान बच्चे के शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता (Physical resistance) में वृद्धि कर बच्चे को रोगों से बचाये रखता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार स्तनपान करने वाली माताएं स्तनपान नहीं कराने वाली माताओं से ज्यादा स्वस्थ्य रहती हैं।
मां की जागरूकता से जुड़ा है बच्चे का स्वास्थ्य:
गर्भावस्था से लेकर बच्चे के दो साल तक का समय यानी 1000 दिन का सदुपयोग ही बच्चे के सम्पूर्ण मानसिक (mental) एवं शारीरिक विकास (physical development)के लिए जिम्मेदार माना जाता है। गर्भावस्था के दौरान माता का संतुलित एवं पोषक आहार बच्चे के पूर्ण मानसिक विकास (mental growth) में सहयोगी होता है। साथ ही बच्चे को जन्म के बाद होने वाले कुपोषण (Malnutrition) से भी बचाव करता है। बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के लिए जन्म के एक घण्टे के भीतर मां का गाढ़ा पीला दूध, 6 माह तक सिर्फ़ माह का दूध एवं 2 साल तक स्तनपान कराना माता की जागरूकता का परिचायक है। एक जागरूक और स्वस्थ्य मां ही अपने बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य को सुनिश्चित कर सकती हैं।
स्तनपान सप्ताह की सफलता को सामुदायिक जागरूकता जरूरी
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी रमाश्रय सिंह ने बताया कि जिले में एक से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान दिवस मनाया जाएगा। स्तनपान विषय में आम जागरूकता बढ़ाने की जरूरत भी है। यदि लोग स्तनपान के फ़ायदों से अवगत होंगे तभी इसमें इजाफ़ा हो सकता है। संस्थागत प्रसव के एक घण्टे के भीतर बच्चे को स्तनपान सुनश्चित कराने की ज़िम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग की होती है, लेकिन 6 माह तक सिर्फ़ स्तनपान कराने के लिए लोगों को भी जागरूक होने की जरूरत है। स्तनपान सप्ताह में स्तनपान के विषय में आशा एवं एएनएम का क्षमता वर्धन किया जाएगा। साथ ही इनके द्वारा स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए सामुदायिक जागरूकता भी कि जाएगी।
बच्चे के लिए स्तनपान के लाभ:
- माँ के दूध में बच्चे के लिए आवश्यक प्रोटीन, वसा, कैलोरी, लैक्टोज, विटामिन, लोहा, खनिज, पानी और एंजाइम पर्याप्त मात्रा में होते है।
- माँ का दूध पचाने में त्वरित और आसान होता है।
- यह बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जो कि भविष्य में उसे कई तरह के संक्रमणों (infection) से सुरक्षित करता है।
- यह बच्चे के मस्तिष्क (brain)के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का निभाता है।
- यह किफ़ायती और संक्रमण मुक्त होता है।
- स्तनपान बच्चे और मां के बीच भावनात्मक बंधन को बढ़ाता है
माँ के लिए स्तनपान के लाभ:
- यह स्तन व डिम्बग्रंथि के कैंसर (Ovarian Cancer) की संभावना को कम करता है।
- यह प्रसव (Childbirth) पूर्व खून बहने और एनीमिया (Anemia) की संभावना को कम करता है।
- यह माँ को अपनी पुरानी शारीरिक संरचना वापिस प्राप्त करने में सहायता करता हैं। स्तनपान कराने वाली माताओं के बीच मोटापा सामान्यत: कम पाया जाता है।
सामाजिक लाभ:
- स्तनपान बच्चों में मृत्यु-दर/मृत्यु अनुपात को कम करता है।
- स्तनपान करने वाले बच्चों में अच्छी प्रतिरक्षा प्रणाली का विकास होता है तथा वे कई प्रकार की घातक की बीमारियों से बचने में सक्षम बनते है। इसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य बजट में कमी हो आती है।
हम सभी को स्तनपान के बारे में जानकारी जानने की ज़रूरत है:
- माँ का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम एवं संपूर्ण पोषण आहार है।
- स्तनपान बच्चे को खिलाने का सबसे बेहतर प्राकृतिक उपाय है।
- बच्चे को जन्म के तुरंत बाद एक घंटे के भीतर स्तनपान कराना शुरू करना चाहिए।
- बच्चे को छह महीने की अवस्था तक स्तनपान अवश्य कराना चाहिए।
- बच्चे को पहले छह महीनों में किसी भी तरह का वाणिज्यिक दूध जैसे कि सूखा दूध या कृत्रिम आहार, पेय या यहां तक कि बच्चे के लिए आवश्यक पानी नहीं दिया जाना चाहिए।
- यदि बच्चा या माँ बीमार हों, तो भी स्तनपान कराना जारी रखना चाहिए।
- माँ को दो वर्ष या उससे अधिक समय तक स्तनपान कराना ज़ारी रखना चाहिए।
- बोतल से दूध आपके बच्चे के लिए पीना हानिकारक हो सकता है। यह आपके शिशु में पतले दस्त का कारण हो सकता है।
- बच्चे को छह महीने की अवस्था के बाद से ही ठोस आहार देना शुरू करना चाहिए।
- स्तनपान के दौरान धूम्रपान या अल्कोहल का सेवन न करें। यह “आपके और आपके बच्चे” के लिए हानिकारक हो सकता है।
- स्तनपान से पहले या बाद में उचित स्वच्छता बनाए रखें।
- बच्चे को उसकी आवश्यकता के अनुसार या चौबीस घंटों में आठ बार स्तनपान कराएँ।
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