फेफड़ों का कैंसर फेफड़े के एक भाग में शुरू होता है जिसके बाद वह पूरे फेफड़े में फैल जाता है। सबसे आम प्रकार है नॉन-स्माल सेल लंग कैंसर इसे इंग्लिश में (NSCLC) भी कहा जाता है। एनएससीएलसी सभी मामलों का लगभग 80 से 85 प्रतिशत हिस्सा बनाता है। इनमें से तीस प्रतिशत मामले कोशिकाओं में शुरू होते हैं।
फेफड़ों का कैंसर बहुत ही आम होता जा रहा है, आज के समय में लगभग काफी लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं, जिन्हें इससे निजात पाने के लिए कैंसर सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। अगर इसका इलाज सही समय पर नहीं कराया गया तो यह एक महत्वपूर्ण विषय बन जाएगा। इससे पहले आपको इसके कारण और लक्षण भी पता होने चाहिए।
फेफड़ो में कैंसर के कारण ?
ऐसा माना जाता है कि जब कोई व्यक्ति ध्रूमपान करता है, तो उन्हें फेफड़ों के कैंसर होने की ज्यादा संभावना रहती है, इतना ही नहीं कैंसर अन्य नशीले पदार्थों जैसे गुटखा, तंबाकू इत्यादि का सेवन करने से भी हो सकता है और इसके साथ में यदि कोई व्यक्ति ध्रूमपान करना छोड़ भी देते है, तब भी फेफड़ों के कैंसर की संभावना बनी रहती हैं।
फेफड़ो के कैंसर के निदान के साथ आने वाली अनिश्चितता को समझते हैं। हमारे ऑन्कोलॉजिस्ट और सहायक देखभाल चिकित्सक मरीज की बीमारी की जटिलताओं को समझते हैं और इसमें आपकी हर संभव मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि आप अपनी देखभाल के बारे में सूचित निर्णय ले सकें।
फेफड़ों का कैंसर कितने प्रकार का होता है?
फेफड़ों का कैंसर 2 प्रकार का होता है, जो इस प्रकार हैं-
नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (Non-small cell lung cancer) : नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर, कैंसर का बहुत ही सामान्य रूप होता है, जो लगभग 85% लोगों में पाया जाता है।
स्मॉल सेल लंग कैंसर (Small Cell Lung Cancer) : ऐसा कैंसर जो अत्याधिक ध्रूमपान करने वाले लोगों में पाया जाता है, जो शरीर के अन्य हिस्से में भी फैल सकता है, उसे स्मॉल सेल लंग कैंसर (Small Cell Lung Cancer) कहा जाता है।
फेफड़ो में कैंसर के लक्षण ?
नॉन-स्माल सेल फेफड़ों के कैंसर और स्माल सेल फेफड़ों के कैंसर के लक्षण का मूल रूप हैं-
- छाती में दर्द होना : फेफड़ो के कैंसर होने पर व्यक्ति को खांसी होती है जिसके कारण छाती में दर्द होने लगता है।
- सांस लेने में तकलीफ होना : इस कैंसर का सबसे आम संकेत सांस लेने में तकलीफ होना हो सकता है।
- थकावट या कमजोरी महसूस होना : ज्यादातर समय थकावट या कमजोरी महसूस होना भी इस कैंसर का संकेत हो सकता है।
- अचानक वजन का कम होना : ये कैंसर के होने का लक्षण हो सकता है। जब किसी व्यक्ति का वजन अचानक बहुत तेजी से कम हो जाता है।
- खांसी में खून आना : अगर किसी व्यक्ति की खांसी में खून आ रहा है और यह लंबे समय से हो रहा है, तो यह फैफड़ों के कैंसर का लक्षण हो सकता है। इसके लिए डॉक्टर से ऑनलाइन कंसल्ट कर सकते हैं।
- लंबे समय तक खांसी का रहना : यदि किसी व्यक्ति को लंबे समय तक खांसी है, तो उस व्यक्ति को इसे गंभीरता से लेना चाहिए और तुंरत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
फेफड़ों के कैंसर के इलाज के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग किया जाता है। आपके लिए कौन से उपयुक्त हैं, यह आपके फेफड़ों के कैंसर के प्रकार सहित कई कारकों पर निर्भर करता है-या तो नॉन-स्मॉल सेल या स्मॉल सेल- लंग कैंसर का चरण पर निर्भर करता है। नॉन-स्मॉल सेल लंग के कैंसर का उपचार आमतौर पर सर्जरी, कीमोथेरेपी, विकिरण, लक्षित चिकित्सा या इन उपचारों के संयोजन से किया जाता है।
छोटे सेल फेफड़ों के कैंसर का आमतौर पर विकिरण और कीमोथेरेपी के साथ इलाज किया जाता है। आपके फेफड़ों के कैंसर विशेषज्ञों की बहु-विषयक टीम आपके सवालों का जवाब देगी और आपके अद्वितीय निदान और जरूरतों के आधार पर उपचार के विकल्पों की सिफारिश करेगी।
कीमोथेरेपी (Chemotherapy)
फेफड़े के कैंसर का इलाज करने के लिए कीमोथेरेपी का उपयोग आमतौर पर सर्जरी से पहले कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए किया जाता है।
रेडिएशन थेरेपी (Radiation therapy)
रेडिएशन थेरेपी से शरीर के अंदर स्थित ट्यूमर से फेफड़ों के कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट किया जा सकता है।
इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy)
कुछ प्रकार के फेफड़ों के कैंसर के इलाज के लिए कुछ इम्यूनोथेरेपी दवाओं का उपयोग या अन्य उपचारों के साथ किया जा सकता है।
इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी (Interventional pulmonology)
इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी का उपयोग अकेले या अन्य उपचारों के साथ कैंसर का निदान करने, ट्यूमर का इलाज करने और साँस को सीमित करने वाले लक्षणों से राहत देने या दर्द को कम करने के लिए दिया जाता है।
सर्जरी (Surgery)
कुछ मामलों में फेफड़ों के कैंसर का इलाज करने के लिए फेफड़ों से ट्यूमर और कैंसर के ऊतकों को हटाने के लिए सर्जरी का उपयोग किया जा सकता है।
टार्गेटेड थेरेपी (Targeted therapy)
सर्जरी होने के बाद टार्गेटेड थेरेपी की भी आवश्यकता पड़ती है दवाओं का उपयोग इसलिए किया जाता है ताकि मरीज जल्द से जल्द ठीक हो सके। जैसे कि कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरपी।
फेफड़ो के कैंसर के लिए हॉस्पिटल्स
मैक्स हॉस्पिटल (Max Hospital)
भारत में मैक्स हॉस्पिटल तेजी से बहुत अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं को प्रदान करता है। MHIL भारत के उत्तर और पश्चिम में 12 अस्पतालों और 5 चिकित्सा सुविधाओं का एक नेटवर्क है, हम सभी 29 विशिष्टताओं के साथ उपचार प्रदान करते हैं।
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अपोलो हॉस्पिटल (Apollo Hospital)
अपोलो हॉस्पिटल्स की स्थापना 1983 में डॉ. प्रताप सी रेड्डी ने की थी, जो भारत में आधुनिक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करते हैं इनके पास भारत के सबसे अच्छे डॉक्टर हैं जिन्हें काफी अनुभव हैं और वह काफी प्रसिद्ध हैं। देश के पहले कॉर्पोरेट अस्पताल के रूप में, अपोलो अस्पताल देश में सबसे बेहतर निजी स्वास्थ्य सेवा का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है।
मेदांता हार्ट इंस्टिट्यूट (Medanta Hospital)
मेदांता हार्ट इंस्टिट्यूट (MEDANTA HEART INSTITUTE) में कार्डिएक सर्जरी, इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी और पेसिंग, क्लीनिकल और प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी और इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी जैसे सभी सुविधाएं प्रदान करता है, जहां कार्डियक सर्जन और कार्डियोलॉजिस्ट की एक एकीकृत टीम मिलकर काम करती है।
एक अद्वितीय हाइब्रिड ऑपरेटिंग सूट सहित नवीनतम तकनीक के साथ समर्थित, कार्डियक सर्जरी डॉक्टरों की समर्पित टीम ने 50,000+ CABG सर्जरी करने का शानदार अनुभव है। हमारे डॉक्टर्स की टीम ऑफ-पंप CABG, रोबोटिक हार्ट सर्जरी और न्यूनतम इनवेसिव वाल्व और कोरोनरी हार्ट बाईपास तकनीकों में भी अच्छा अनुभव रखती है।
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