आपको बता दें की फैटी लीवर की बीमारी लोगों में काफी देखने को मिल रही है, पहली नज़र में लोगों को इसका पता ही नहीं चलता है। यदि फैटी लीवर का इलाज सही समय पर नहीं किया जाता हैं, तो उस व्यक्ति को अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने लगती है। दरअसल इस बीमारी के बारे में जानकारी की कमी के कारण ही लोगों को इसका पता नहीं चलता है। आज हम आपको फैटी लीवर के इलाज क्या है और इसे कब कराना चाहिए, और इसके बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे। लेकिन पहले जानिए फैटी लीवर क्या है।
फैटी लीवर क्या है? (What is Fatty Liver in Hindi)
यह लीवर की एक बीमारी है जिसमें लीवर में अतिरिक्त चर्बी जमा हो जाती है। शरीर में वसा की सामान्य मात्रा होना आम बात है, लेकिन जब यह मात्रा बहुत अधिक और धीरे-धीरे बढ़ने लगती है तो यह स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती है। बहरहाल, लीवर मानव शरीर का दूसरा सबसे बड़ा अंग है, जो हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन और पेय को ऊर्जा में परिवर्तित करने और रक्त से हानिकारक पदार्थों को निकालने जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य करता है। अगर इसमें अतिरिक्त चर्बी यानि फैट जमा हो जाता है, तो इसके दुष्प्रभाव हो सकते हैं। यह लीवर की कार्य क्षमता को काम करता है जिससे लिवर को नुकसान पहुंच सकता है।
फैटी लीवर कितने प्रकार के होते हैं?
फैटी लीवर मुख्यत दो प्रकार के होते हैं, जो इस प्रकार हैं:
अल्कोहलिक फैटी लीवर: यह एक सामान्य प्रकार का फैटी लीवर है, जो शराब पीने के शुरुआती दौर में होता है। अगर कोई व्यक्ति लगातार शराब का सेवन करता है, तो उसे अल्कोहलिक फैटी लीवर की समस्या हो सकता है।
नॉन एल्कोहलिक फैटी लीवर: यह इस लीवर की बीमारी का एक और प्रकार है, जो लीवर में सूजन का कारण बनता है। नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर कई अन्य कारणों जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप आदि के कारण होता है और अधिकांश लोग इससे पीड़ित होते हैं।
फैटी लिवर का इलाज (Treatment Of Fatty Liver in Hindi)
वर्तमान में, फैटी लीवर के इलाज के लिए किसी भी दवा को मंजूरी नहीं दी गई है। डॉक्टर इसके इलाज से पहले कुछ टेस्ट करते हैं, जिससे इसका पता लगाया जा सके जैसे फिजिकल एग्जाम, ब्लड टेस्ट, लिवर बायोप्सी, अल्ट्रा साऊंड (ultrasound exam), सिटी स्कैन (CT scan), एमआरआई स्कैन (MRI scan) करवाने के बाद वह कोई भी निर्णय लेते हैं।
डॉक्टर की माने तो फैटी लिवर के उपचार की पहली शुरुआत एक स्वस्थ आहार और व्यायाम के संयोजन के माध्यम से की जाती है। इसमें डॉक्टर उस व्यक्ति को वजन घटाना के लिए भी कहते हैं। वजन कम करना उन स्थितियों को संबोधित करता है जो NAFLD में योगदान करती हैं।
आपके शरीर के वजन का 10% कम होना इसके जोखिम कारकों को काम करता है और इससे स्वास्थ्य में भी सुधार हो सकता है। यदि आप अपने शुरुआती वजन का 3% से 5% भी कम कर देते हैं। तो यह आपके फैटी लिवर को कम करने में मदद कर सकता है।
यदि आप बहुत अधिक शराब पीते हैं तो आपको ऐसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह इसके साथ कई जोखिम पैदा करता है और आपके लिवर को बहुत नुकसान पहुंचाता है। आपकी इस आदत की वजह से आपको लिवर सिरोसिस भी हो सकता है। आपको अपमी जीवनशैली में बदलाव करने को कहा जाता है।
अंत में जब लिवर ठीक नहीं होता है, तब डॉक्टर लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह देते हैं।
फैटी लिवर क्यों घातक है?
फैटी लिवर एक “साइलेंट डिजीज ’है। इस बीमारी का तब तक कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, जब तक कि स्थिति लिवर सिरोसिस और लिवर फेलियर की ओर नहीं बढ़ जाती है। शुरुआती चरण में इस बीमारी का पता लगाना बहुत जरूरी है जिससे इसे रोका जा सकता है या धीमा किया जा सकता है।
फैटी लीवर कितने चरणों में होता है?
फैटी लीवर के 4 चरण होते हैं, जो इस प्रकार हैं-
स्टेटोसिस: यह रोग का सबसे आम और प्रारंभिक चरण है, जिसे साधारण फैटी लीवर के रूप में जाना जाता है। इस स्थिति में लीवर के आसपास अतिरिक्त चर्बी जमा हो जाती है, जिसका पता केवल मेडिकल टेस्ट से ही चल सकता है।
फाइब्रोसिस: जब लीवर में सूजन के कारण लीवर में और उसके आसपास अतिरिक्त ऊतक बनने लगती हैं, लेकिन यह सामान्य रूप से कार्य करता रहता है, तो इस स्थिति को फाइब्रोसिस कहा जाता है।
सिरोसिस: यह फैटी लीवर की सबसे घातक स्थिति है, जिसमें लीवर सिकुड़ जाता है और इससे खराब भी हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति सिरोसिस के चरण में पहुंच जाता है, तो उसके पास लीवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प बचता है।
स्टीटोहेपेटाइटिस: यह रोग की तीव्र अवस्था है, जिसे गैर-अल्कोहल स्टीटोहेपेटाइटिस भी कहा जाता है। इस समस्या में लीवर के आसपास सूजन आ जाती है और इस स्थिति में व्यक्ति को चिकित्सकीय सहायता की आवश्यकता होती है।
NAFLD होने का खतरा किसे है?
NAFLD (Non-alcoholic fatty liver disease) पुरुषों, महिलाओं और सभी उम्र के बच्चों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन अधिक वजन वाले लोगों में यह अधिक आम है। उच्च कैलोरी और फ्रुक्टोज आहार भी फैटी लीवर की बीमारी का कारण बन सकता है।
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