कोलन यानि मलाशय हमारे शरीर के पाचन तंत्र का ही हिस्सा हैं भोजन को ग्रहण करने के बाद उससे लिक्विड तथा हार्ड मटेरियल को अलग-अलग करने में मदद करता हैं। यह कम आंतो में होता हैं तथा कोलन में जमा हो जाता हैं और मल के रूप में बाहर आता हैं।
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कोलन इन्फेक्शन क्या हैं ?
कोलन इन्फेक्शन तब होता हैं जब हम कोई ऐसा भोजन अधिक ग्रहण करते हैं जिसे पचने में पाचन तंत्र को अधिक मेहनत करनी पड़ती हैं। कोलन इन्फेक्शन बैक्टीरिया तथा वायरस के कारण भी हो सकता हैं। कोलन इन्फेक्शन को कोलाइटिस या कोलन की सूजन भी कहा जाता हैं। जान स्थिति अधिक गभींर हो जाती है तो कोलन में कफ जमा हो जाता हैं और मल त्याग करने में दिक्कत आ जाती हैं। कोलन इन्फेक्शन का पता लगने पर डॉक्टर से जाँच कराना आवश्यक होता हैं।
कोलन इन्फेक्शन के प्रकार
- इंफ्लामेटरी बोवेल सिंड्रोम: आईबीडी पुरानी बीमारी का एक समूह है जो पाचन तंत्र की सूजन का कारण बनता है। दो मुख्य प्रकार के आईबीडी हैं – क्रोहन रोग और अल्सरेटिव कोलाइटिस।
- इस्केमिक कोलाइटिस: जब कोलोन के एक हिस्से में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है, तो यह इस्केमिक कोलाइटिस का कारण बन सकता है।
- माइक्रोस्कोपिक कोलाइटिस: माइक्रोस्कोपिक कोलाइटिस लिम्फोसाइटों में वृद्धि के कारण होता है. यह कोलाइटिस केवल एक माइक्रोस्कोप के माध्यम से देखा जा सकता है।
- दवाई से होने वाला कोलाइटिस: NSAIDS ड्रग्स की वजह से ऐसा होता है, ऐसे लोग जिन्होंने लंबे समय तक एनएसएआईडी ड्रग का इस्तेमाल किया है, उन्हें इस कोलाइटिस का खतरा रहता है।
कोलन इन्फेक्शन के लक्षण क्या होते हैं ?
कोलन इन्फेक्शन के लक्षण सामान्य होते हैं इसलिए ऐसे लक्षणों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए बल्कि तुरंत डॉक्टर से जाँच करानी चाहिए। कोलन इन्फेक्शन का अधिक बढ़ने जानलेवा भी साबित हो सकता हैं इसके लक्षण कुछ इस प्रकार हैं।
- पेट में अधिक दर्द तथा ऐठन।
- शरीर में अधिक कमजोरी।
- जोड़ो में दर्द होना।
- मल त्याग करते समय खून आना।
- पेशाब की आवृत्ति कम होना।
- भूख कम लगना।
- बुखार, जी मिचलाना , उलटी आना।
- वजन कम होना।
- त्वचा का पीला होना।
- एनीमिया।
- पेट का खराब होना।
कोलन इन्फेक्शन के कारण क्या होते हैं ?
निम्नलिखित रोगजनक संक्रमण कोलन इन्फेक्शन का कारण बनते हैं,कई बैक्टीरिया वायरस ऐसे होते हैं जिनसे कोलन इन्फेक्शन होता हैं-
- ई- कोलाई: ई-कोलाई कोलन इन्फेक्शन का कारण तब बनता हैं जब दूषित भोजन का सेवन करते हैं तथा खाना खाने से पहले हाथ अच्छे से साफ़ नहीं होते तो ई- कोलाई संक्रमण फैलता हैं और जिससे कोलन इफेक्शन हो जाता हैं।
- साल्मोनेला: यह एक बैक्टीरिया होता हैं जो की शरीर की आंत में मौजूद होता हैं यह अधपका मीट या फटा हुआ दूध के सेवन करने से शरीर में प्रवेश करता हैं और इन्फेक्शन का कारण बनता हैं।
- कम्पिलोबैक्टर:कम्पिलोबैक्टर जेजुनी ‘एक्यूट इन्फेक्शस टाइप कोलाइटिस या फिर एक्यूट सेल्फ – लिमिटेड कोलाइटिस का कारण बनता हैं।
- एरसेनिया एंट्रोकोलिटिका
- मयिकोबक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस
कुछ वायरस कोलन इन्फेक्शन का कारण बनते हैं जैसे।
- नोरोवायरस
- रोटावायरस
- एडिनोवायरस
- साइटोमेगालो वायरस
कोलन इन्फेक्शन का इलाज।
कोलन इन्फेक्शन का इलाज डॉक्टर द्वारा दी गयी दवाइयों तथा उनके द्वारा दी गयी खानपान की सलाह से होता हैं। संक्रामक कोलन इन्फेक्शन के लिए एंटीबायोटिक दवाइयाँ दी जाती हैं या फिर स्थिति के अनुसार एंटीवायरल दवाइयाँ दी जाती हैं तथा कुछ दवाइयाँ ड्रिप के जरिये नसों में चढाई जाती हैं। दूसरी और क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल में जीवाणुरोधी दवा की आवश्यकता होती हैं।
कोलन इन्फेक्शन के इलाज के लिए बेस्ट अस्पताल। (Best Hospitals for Colon infection treatment in Hindi )
- सर्वोदय अस्पताल, मुंबई
- श्री रामचंद्र मेडिकल सेंटर, चेन्नई
- एमजीएम हेल्थकेयर प्रा. लिमिटेड, चेन्नई
- फोर्टिस अस्पताल, मुंबई
- सीके बिड़ला अस्पताल, कोलकाता
- रेनबो हॉस्पिटल, दिल्ली
- अपोलो चिल्ड्रेन हॉस्पिटल, चेन्नई
- साइटकेयर कैंसर अस्पताल, बैंगलोर
- ब्लैक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, दिल्ली
- केयर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, अहमदाबाद
- इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, दिल्ली
- मेदांता द मेडिसिटी, गुरुग्राम
- फोर्टिस अस्पताल, अहमदाबाद
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कोलन इन्फेक्शन के निदान किस प्रकार होते हैं।
कोलन इन्फेक्शन अधिकतर डॉक्टर निदान की सलाह देते हैं वह किस प्रकार होती हैं।
सबसे पहले डॉक्टर मरीज से खानपान के बारे पुरे इतिहास लेते हैं
।
- शारीरिक परीक्षण: डॉक्टर कोलन में सूजन की जाँच करते हैं तथा दर्द, खिचाव और अन्य लक्षणों की तलाश करते हैं और स्टेथोस्कोप से आवाज़ सुनते हैं।
- रक्त परीक्षण: रक्त परिक्षण करके रक्त कोशिकाओं की गिनती प्राप्त की जाती है। रक्त परिक्षण से इन्फेक्शन की गंभीरता का पता चलता हैं।
- मल परीक्षण: यह परीक्षण आंत में संक्रमण और कुअवशोषण के प्रसार की जाँच कराने के लिए की जाती हैं।
- इमेजिंग परीक्षण: शरीर के अंदरूनी अंगो को जाँच करने के लिए इमेजिंग परीक्षण किया जाता हैं।
- बायोप्सी: सर्जन द्वारा कोलन के एक छोटे से हिस्से को निकाला जाता है और आगे के मूल्यांकन के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है।
- एंडोस्कोपी: संलग्न कैमरे के साथ एक लंबा ट्यूब जैसा उपकरण, जिसे एंडोस्कोप के रूप में जाना जाता है, कोलन में वृद्धि या रुकावट की जांच के लिए गुदा के माध्यम से शरीर में डाला जाता है।
कोलन इन्फेक्शन को कैसे रोके ?
निम्नलिखित तरीको से कोलन इन्फेक्शन के संक्रमण को रोका जा सकता हैं –
- कच्चे मांस को अन्य खाद्य पदार्थो से अलग रखे।
- यदि बीमारी महसूस हो गैस्ट्रिक समस्या के कारण तो खाना न बनाये और डॉक्टर से परामर्श ले।
- नशीले पदार्थो का सेवन बंद कर दे।
- स्वस्थ और संतुलित भोजन ग्रहण करे।
- खाने के समय साफ – सफाई का ध्यान रखे।
- दूषित पानी से दूर रहे।
- उन पदार्थो से बचे जिनसे एलर्जी पहले से हो।
इन सब बचाव से कोलन इन्फेक्शन को कम किया जा सकता हैं तथा उसे बढ़ने से रोका जा सकता हैं साथ ही डॉक्टर से सलाह लेकर उनके द्वारा बताई गयी दवाइयों का समय पर सेवन करे उनके द्वारा बताई गयी जीवनशैली पर अधिक प्रभाव डाले। बताये गए परहेजों का सम्पूर्णरूप से पालन करे।
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