क्या है मिर्गी आने का कारण – जाने इसे जड़ से खत्म करने के उपाय

मिर्गी एक पुरानी बीमारी है। यह एक न्यूरोलॉजिकल विकार है, जिसमे मनुष्य के मस्तिष्क की गतिविधि असामान्य हो जाती है, जिससे उन्हें दौरे या असामान्य व्यवहार और कभी-कभी इनमे जागरूकता की भी कमी हो जाती है। यह रोग किसी भी उम्र के लोगों हो सकता है। जब भी किसी को मिर्गी के झटके आते है, तो कुछ समय के लिए उनकी आंखों की पुतलियां उलट जाती है और उनके शरीर में ऐंठन भी होने लगती है।

 

ऐसे कई कारण हैं, जिनसे मिर्गी के दौरे पड़ सकते हैं, जैसे की –

 

  • उच्च बुखार,

 

  • सिर में चोट लगना,

 

  • बहुत कम रक्त शर्करा,

 

  • शराब वापसी,

 

 

मिर्गी के प्रकार 

 

इसके तीन प्रकार होते है, जो की मस्तिष्‍क के अलग-अलग हिस्‍सों पर निर्भर करती है।

 

आंशिक दौरा

 

इस प्रकार के दौरे में मरीज में चेतना की कमी आ जाती है।

 

सामान्‍यीकृत दौरा

 

ये दौरा तब आता है जब मस्तिष्‍क के दोनों हिस्‍सों में मिर्गी संबंधी गतिविधि होती है, दौरा बढ़ने की स्थिति में व्‍यक्ति अपनी चेतना खो देता है।

 

माध्‍यमिक सामान्‍यीकृत दौरा

 

इस प्रकार के दौरे में मिर्गी संबंधी गतिविधि आंशिक दौरे के रूप में शुरू होती है, लेकिन बाद में यह मस्तिष्‍क के दोनों हिस्‍सों में फैल जाती है।

 

 

मिर्गी एक सामान्य न्यूरोलॉजिकल विकार है, जो दुनिया भर के 65 मिलियन लोगों को प्रभावित करता है।

 

किसी को भी मिर्गी का विकार हो सकता है, लेकिन यह छोटे बच्चों और बड़ी उम्र के व्यक्तियों में अधिक होता है। यह महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक होता है।

 

इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन विकार को दवाओं और अन्य रणनीतियों के साथ इसे ठीक किया जा सकता है।

 

मिर्गी रोग भगाने के लिये बालासन, नाड़ी शोधन, कपोतासन, शीर्षासन और चमत्कारआसन बहुत फायदेमंद होता है।

 

 

मिर्गी के लक्षण

 

 

  • कंपन,

 

  • मूत्राशय या आंत्र नियंत्रण की हानि,

 

  • जीभ का कटना,

 

  • बेहोशी,

 

 

  • आंखों की पुतलियां उलट जाना,

 

  • झुनझुनी और अंगों में मरोड़,

 

  • स्वाद, गंध, दृष्टि, श्रवण या स्पर्श की भावना में परिवर्तन,

 

  • बात करते हुए दिमाग ब्लैंक हो जाना, मांसपेशियों का अचानक फड़कना,

 

  • तेज रोशनी से आंखों में परेशानी होना, अचानक बेहोश हो जाना,

 

 

 

मिर्गी के प्रमुख कारण ?

 

संभावित कारणों में शामिल हैं

 

  • मस्तिष्क की चोट के बाद मस्तिष्क पर निशान पड़ना (पोस्ट-ट्रॉमेटिक मिर्गी),

 

  • गंभीर बीमारी या बहुत तेज बुखार,

 

  • स्ट्रोक, जो 35 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में मिर्गी का एक प्रमुख कारण है,

 

  • अन्य संवहनी रोग,

 

  • मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी,

 

  • ब्रेन ट्यूमर या सिस्ट का बनना,

 

  • मनोभ्रंश या अल्जाइमर रोग,

 

  • एड्स और मैनिंजाइटिस जैसे संक्रामक रोग,

 

  • आनुवंशिक या विकासात्मक विकार या तंत्रिका संबंधी रोग,

 

  • आमतौर पर यह बचपन में या 60 वर्ष की आयु के बाद होता है,

 

  • सिर पर चोट लगना, दिमागी बुखार आना,

 

  • दिमाग में कीड़े की गांठ बनना, ब्रेन ट्यूमर व ब्रेन स्ट्रोक होना,

 

  • शराब या नशीली दवाइयों का ज्यादा इस्तेमाल करना,

 

  • रोगी के शरीर में विषैले पदार्थ जमा होने के कारण मस्तिष्क के कोषों पर दबाब बनना,

 

  • स्नायु सम्बंधी रोग,

 

  • ट्यूमर रोग,

 

 

  • संक्रमक ज्वर

 

 

दौरा पड़ने पर इन बातों का रखें ध्यान

 

 

  • दौरा पड़ने पर रोगी को सुरक्षित जगह पर एक करवट लेटा दें,

 

  • खुली हवा में रखें और आसपास भीड़ न लगाएं,

 

  • दौरे के समय रोगी के मुंह में कुछ न डालें

 

मिर्गी का निदान कैसे किया जाता है?

 

  • यदि आपको मिर्गी के लक्षण नजर आ रहे है तो, तो जल्द से जल्द अपने चिकित्सक को दिखवाए।

 

  • डॉक्टर से मिलकर एक न्यूरोलॉजिकल टेस्ट कराये।

 

  • मिर्गी के निदान के लिए,  डॉक्टर से रक्त का परीक्षण कराएं।

 

  • इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (ईईजी) सबसे आम परीक्षण है जिसका उपयोग मिर्गी के निदान में किया जाता है। सबसे पहले, इलेक्ट्रोड एक पेस्ट के साथ आपकी मस्तिष्क से जुड़े होते हैं। यह एक गैर-संवेदनशील, दर्द रहित परीक्षण है।

 

  • कुछ मामलों में, परीक्षण नींद के दौरान किया जाता है। इलेक्ट्रोड आपके मस्तिष्क की विद्युत गतिविधि को रिकॉर्ड करता है।  चाहे आपको दौरे पड़ रहे हों या नहीं, मस्तिष्क की सामान्य तरंगों के पैटर्न में बदलाव मिर्गी में आम हैं।

 

इमेजिंग परीक्षण ट्यूमर और अन्य असामान्यताओं को प्रकट कर सकते हैं जो दौरे का कारण बन सकते हैं। इन परीक्षणों में शामिल हो सकते हैं –

 

  • सीटी स्कैन,

 

  • एमआरआई,

 

  • पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (PET),

 

  • एकल फोटॉन उत्सर्जन कम्प्यूटरीकृत टोमोग्राफी,

 

मिर्गी का इलाज कैसे किया जाता है?

 

 

एंटी-एपिलेप्टिक (एंटीकॉन्वेलसेंट, एंटीसेज़्योर) दवाएं

 

ये दवाएं मिर्गी के दौरे को कम कर सकती हैं।

 

वागस तंत्रिका उत्तेजक

 

इस उपकरण को छाती पर त्वचा के नीचे शल्य चिकित्सा द्वारा रखा जाता है और विद्युत रूप से आपकी गर्दन के माध्यम से चलने वाली तंत्रिका को उत्तेजित करता है। यह मिर्गी के दौरे को रोकने में मदद कर सकता है।

 

केटोजेनिक आहार

 

आधे से अधिक लोग जो इस उच्च वसा, कम कार्बोहाइड्रेट आहार से दवा लाभ का जवाब नहीं देते हैं।

 

ब्रेन सर्जरी

 

मस्तिष्क का वह क्षेत्र जिसके कारण जब्ती की गतिविधि होती है उसे हटाया या बदला जा सकता है।

 

पेसमेकर

 

पेसमेकर एक ऐसी डिवाइस है। जो मस्तिष्क की गतिविधि के पैटर्न की जांच करता है और मिर्गी के दौरे को रोकता है।

 

न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी और रेडियोसर्जरी की भी जांच की भी जाँच मिर्गी के दौरे को ठीक करने में मदगार होती है।

 

 

मिर्गी दूर करने के लिए अपनाएं ये घरेलू उपाय

 

 

इससे बचने के लिए कुछ घरेलू उपायों

 

तुलसी

 

  • इसमें में अधिक मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो मस्तिष्क में फ्री रेडिकल्स को ठीक करते हैं।

 

  • इसकी की पत्तियों के साथ कपूर सुंघाने से मिर्गी के रोगी को होश आ जाता है।

 

प्रोटीन वाला भोजन

 

  • मिर्गी के रोगी को ज्यादा फैट वाला और कम कार्बोहाइड्रेड वाला डायट लेना चाहिए।

 

  • बकरी का दूध मिरगी के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद होता है।

 

रस का सेवन

 

  • शहतूत और अंगूर के रस का सेवन मिर्गी के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है।

 

  • नींबू के रस के साथ गोरखमुण्डी को खाने से मिर्गी के दौरे आने बन्द हो जाते हैं।

 

पेठा या कद्दू

कद्दू या पेठा सबसे कारगर घरेलू इलाज है। इसमें पाये जाने वाले पोषक तत्वों से मस्तिष्क के नाडी-रसायन संतुलित हो जाते हैं जिससे मिर्गी रोग की गंभीरता में गिरावट आ जाती है।

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