बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज आजकल बहुत ही आम हो चुकी है। जो की बड़ों में पाई जाने वाली डायबिटीज से बहुत अलग होती है। इस प्रकार के डायबिटीज में शुगर को कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन ही देनी पड़ती है। इसमें टेबलेट की कोई भूमिका नहीं हैं। टाइप 2 डायबिटीज में ब्लड शुगर का लेवल बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, जिसे नियंत्रण करना बहुत ही मुश्किल होता है।
यह बीमारी उन बच्चो में होती है, जिनका वजन अधिक होता है, टाइप 2 डायबिटीज 15 साल से कम उम्र के बच्चो में होती है, खासकर जिनकी उम्र 12 या 13 साल होती है, उनमे अधिक होती है।
टाइप 2 डायबिटीज
इस तरह की डायबिटीज में इंसुलिन की बहुत कमी होती है और साथ ही शुगर की मात्रा भी बढ़ जाती है। जो की बच्चो के लिए बहुत नुकसानदेह होता है। मोटे बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा अधिक होता है। फास्ट फ़ूड का अधिक सेवन करने से टाइप 2 डायबिटीज बच्चो में ज्यादा होती है।
जब शरीर में पर्याप्त मात्रा मे इंसुलिन नहीं बनता, तब टाइप 2 डायबिटीज की समस्या होती है। टाइप 2 डायबिटीज का इलाज सम्भव है। इस प्रकार की डायबिटीज ऐसे लोगों में पाई जाती है, जिनके परिवार में पहले से किसी को डायबिटीज या गर्भावधि मधुमेह (gestational diabetes) हुआ हो। ज्यादातर यह समस्या गलत खानपान की आदतें, मोटापा, रोजाना व्यायाम न करना, अधिक मात्रा में धूम्रपान करना और बहुत अधिक तनाव में रहना, इन सब आदतों की वजह से टाइप 2 डायबिटीज होती हैं।
जानिए क्या है टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण, कारण और बचाव के उपाय।
बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण
- शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने से थकान होना,
- अधिक प्यास लगना,
- ज्यादा भूख लगना,
- व्यवहार में बदलाव,
- पेट में दर्द,
- वजन कम होना ,
- कोई चोट या घाव लगने पर जल्दी ठीक न होना,
- खासतौर पर रात के समय बार-बार पेशाब आना,
- डायबिटिक रेटिनोपैथी नामक बीमारी का होना , जिससे आंखों की रोशनी पर प्रभाव पड़ता है,
- यौन अंगों के आस-पास खुजली होने पर उनमें टाइप 2 डायबिटीज के लक्षणों को पहचाना जा सकता है।
बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज होने के कारण
मोटे बच्चों में शुगर की बीमारी की ये है वजह –
- अधिक मात्रा में जंक फूड का सेवन करने से बच्चो में ये समस्या ज्यादा हो रही है,
- मोटापा,
- शारीरिक व्यायाम में कमी,
- तनाव,
- मोबाइल का लंबे समय तक उपयोग करना भी हो सकता है, डायबिटीज होने का कारण।
बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज के उपचार
इन बातों को ध्यान में रखे, और बच्चो की जीवनशैली को सुधार कर इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। जैसे की –
- बच्चों को पौष्टिक भोजन खिलाएं।
- उनका आहार पूरी तरह से संतुलित होना चाहिए।
- रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और शुगर का कम सेवन करना चाहिए।
- सफेद रोटी, पेस्ट्री, मिठाई, सोडा, और परिष्कृत खाद्य पदार्थ बच्चों में मोटापा टाइप 2 डायबिटीज को बढ़ाने का काम करते हैं, इसलिए इनके अधिक सेवन से बचे।
- बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज को रोकने के लिए नियमित व्यायाम करना बहुत जरुरी है।
- मोबाइल से बच्चो को दूर रखें।
- ज्यादा से ज्यादा उन्हें आउटडोर गेम खेलने के लिए प्रोत्साहित करें।
- टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित बच्चों को इंसुलिन थेरेपी दी जाती है।
बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते हैं और कई मामलों में महीनों या सालों तक इस बीमारी का इलाज नहीं हो पाता। इसलिए अपने बच्चो पर ध्यान दे। बच्चों के खान-पान और उनके जीवनशैली में भी सुधार लाये।
मोटे बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज होने की संभावना अधिक होती है। जो की गतिहीन जीवनशैली के कारण, ज्यादा चीनी से बने खाद्य पदार्थों के सेवन करने से होती हैं, और बच्चे इस बीमारी के शिकार होते है। विटामिन और फाईबर से युक्त संतुलित, पोषक आहार के सेवन से टाईप 2 डायबिटीज की संभावना को घटाया जा सकता है। इसलिए अपने बच्चे के स्वास्थ्य का ध्यान सही से रखे और किसी भी तरह की समस्या होने पर तुरंत ही डॉक्टर से सम्पर्क करें और उनसे जांच कराये।
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