मां का दूध भविष्य में होने वाली हर एलर्जी से बचाता है

बचपन में मां के दूध (Mother’s milk) में मिलने वाला जटिल शर्करा (Complex sugars) का विशेष संयोजन भविष्य की होने वाली एलर्जी से बचाने में मददगार होता है। शोधकर्ता बताते हैं कि मां के दूध में मिलने वाले इस शर्करा का लाभ भले ही बचपन में नहीं मिले लेकिन भविष्य में रोग से लड़ने के लिए यह प्रतिरोधी क्षमता (buffering capacity) का काम करता है। मां के दूध में ओलिगोसैकराइड्स (Oligo Saccharide) पाया जाता है जिसकी संरचनात्मक में जटिल शर्करा के अणु होते हैं। यह मां के दूध में पाए जाने वाले लेक्टोज और वसा के बाद तीसरा सबसे बड़ा ठोस घटक है। असल में बच्चे इसे पचा नहीं पाते हैं लेकिन लेकिन शिशु के आंत में माइक्रोबायोटा (Microbaita) के विकास में प्रिबॉयोटिक के तौर पर काम करते हैं। माइक्रोबायोटा एलर्जी (Microbial allergy) की बीमारी पर असर डालता है।

 

अमरीकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (American Academy of Pediatrics) के अनुसार, मां को कम से कम छह माह तक स्तनपान (breastfeeding) अवश्य कराना चाहिए। नवजात शिशु को शुरुआती छह माह मां का दूध मिले तो उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। उन्हें कई स्वास्थ्य रक्षक (Health care) विटामिन व पोषक तत्त्व मिल जाते हैं। नवजात शिशु को स्तनपान करवाने से मां भी स्वस्थ रहती है।

 

नवजात शिशु को स्तनपान करवाने के फायदे

 

रोगों से बचाव

 

चिकित्सकीय अनुसंधान का निष्कर्ष है कि जिन बच्चों को मां का दूध मिलता है, उनके आमाशय में वायरस, श्वसन संबंधी रोग, कान के इंफेक्शन और मेनिनजाइटिस (Meningitis) जैसे रोगों का खतरा घट जाता है। वयस्क होने पर ऐसे बच्चे डायबिटीज, उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर और पेट के रोगों से भी बचते हैं।

 

एलर्जी से बचाव

 

नवजात शिशु के लिए वरदान है मां का दूध। जिन बच्चों को जन्म के बाद बाहर का दूध मिलता है, उनके एलर्जिक होने का खतरा ज्यादा रहता है। मां के दूध से शिशु के इंटेस्टाइन (Intestine) का बचाव होता है और वे कई किस्म की एलर्जी से बच जाते हैं। सन् 2009 में प्रकाशित एक जर्मन अध्ययन के अनुसार स्तनपान नवजात शिशु की मृत्यु दर (death rate) घटाता है।

 

बुद्धिमत्ता में वृद्धि

 

कई शोध में यह बात सामने आई है कि स्तनपान बौद्धिक विकास से जुड़ा है। 17 हजार से ज्यादा नवजात शिशुओं की छह साल तक निगरानी की गई। पता चला कि इनमें से जिन बच्चों को मां का दूध मिला था, उनका आईक्यू स्कोर (IQ score) और बुद्धिमत्ता स्तर (Level of intelligence) उन बच्चों से बेहतर है, जिन्होंने शुरुआती छह माह स्तनपान नहीं किया। विशेषज्ञों का कहना है, स्तनपान से मां व बच्चे के बीच जो भावनात्मक लगाव बढ़ता होता है, जो शिशु का मानसिक विकास करता है। मां के दूध में लाभकारी फैटी एसिड्स भी होते हैं।

 

मोटापे से बचाव

 

पीडियाट्रिक्स अकादमी (Pediatrics academy) के अनुसार, मां का दूध बच्चे को मोटा होने से बचाता है। अमरीकन जर्नल ऑफ एपिडिपयोलॉजी में प्रकाशित अध्ययनों का निष्कर्ष है कि स्तनपान करने वाले बच्चों के लिए उम्र या युवावस्था में अधिक वजन बढऩे का खतरा कम होता है।

 

मां का तनाव घटाए

 

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हैल्थ (National institute of health) के अध्ययन का निष्कर्ष है कि जो मां बच्चों को स्तनपान नहीं करवाती या जल्दी बंद कर देती है, उनके लिए प्रसवोत्तर अवसाद (Postpartum depression) का खतरा बढ़ जाता है। स्तनपान करवाने के बाद मां को सुखद अनुभूति होती है। इसका बायोलॉजिकल (Biological) कारण है हार्मोन ऑक्सीटोसिन (Oxytocin) का रिलीज हो जाना।

 

कैंसर की आशंका कम

 

जो महिलाएं लंबे समय तक स्तनपान कराती हैं, उनमें ब्रेस्ट व पेट के कैंसर (Breast cancer) का खतरा घट जाता है। इसका कारण अभी तक नहीं खोजा जा सका है, लेकिन मान्यता है कि स्तनपान से ब्रेस्ट टिश्यू (Breast tissue) बदलते हैं। शरीर जो एस्ट्रोजन (Estrogen)  पैदा करता है, उनकी लोकेशन बदलती है।


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