फेफड़ों के कैंसर का परीक्षण कैसे किया जाता है?

जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी बढ़ रही है उसके साथ लोग भी कई बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। भारत में वायु प्रदुषण इतना ज्यादा हो रहा है की लोगों को फेफड़ो का कैंसर तक होने लगा है। आप सब ये तो जानते ही हैैं की जीवन जीने के लिए सांस लेना बेहद जरुरी है। लेकिन जब वायु ही प्रदूषित होगी तो इसका सीधा असर इंसान के फेफड़ों पर भी पड़ेगा।

 

 

फेफड़ो का कैंसर होने पर डॉक्टर इसकी जाँच करने के  लिए कुछ टेस्ट करवाते हैं, उसके बाद ही पता चलता है की उस व्यक्ति को फेफड़ो का कैंसर है या नहीं। यह एक बहुत ही गंभीर बीमारी है इसकी वजह से उस व्यक्ति को बहुत परेशानी होती है, यदि इसका पता सही समय पर चलता है तो उस व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है।

 

 

 

फेफड़ो के कैंसर के लक्षण

 

 

 

  • लम्बे समय तक खाँसी होना (2 या 3 सप्ताह तक),

 

 

  • फेफड़ो में कफ जमना,

 

 

 

 

  • खाँसते वक़्त छाती में दर्द होना,

 

 

  • लगातार साँस फूलना,

 

 

  • थकान या ऊर्जा की कमी,

 

 

 

 

  • वजन घटना,

 

 

  • सर्दी जुकाम बार-बार होना।

 

 

 

फेफड़ो के कैंसर के कारण

 

 

आमतौर पर जो लोग बहुत ज्यादा धूम्रपान करते हैं, उन्हें फेफड़ो के कैंसर होने की ज्यादा सम्भावना होती है। आपकी गलत जीवन शैली और गलत खान पान की आदतें भी फेफड़ो में संक्रमण का कारण बनती है। फेफड़े का कैंसर तब होता है जब फेफड़ो में मौजूद टिश्यू अपने आप बढ़ने लगते हैंं और बाद में एक ट्यूमर का रूप ले लेते हैं।

 

 

ये तो आपको मालूम ही है की फेफड़े शरीर को साँस लेने में मदद करते हैं और आपके शरीर के बाकी हिस्सों में ऑक्सीजन (Oxygen) ले जाते हैं। डब्ल्यूएचओ (WHO) के अनुसार, कैंसर से होने वाली मौतों का सबसे आम कारण फेफड़ों का कैंसर है। फेफड़े का कैंसर रोगी को कमजोर और बीमार बनाता है। फेफड़ो में संक्रमण का सबसे बड़ा कारण है बढ़ता वायु प्रदुषण, इसकी वजह से आपको कई तरह की दिक्कते होती है।

 

 

 

फेफड़ो के कैंसर के लिए परीक्षण

 

 

 

छाती का एक्स – रे (Chest x-ray)

 

फेफड़ो के कैंसर के लिए डॉक्टर छाती का एक्स-रे करवाने को भी कहते है। इसके द्वारा डॉक्टर फेफड़ों में यह देखते है की ये कैंसर फेफड़े के किस हिस्से में है। यदि कुछ दिखाई देता है, तो आपका डॉक्टर किसी अन्य टेस्ट को कराने की सलाह भी दे सकता है।

 

 

 

इमेजिंग टेस्ट

 

आपका डॉक्टर इमेजिंग टेस्ट कराने की सलाह भी दे सकता है। जो फेफड़ों के कैंसर का पता लगाने में डॉक्टर की मदद करता है। इमेजिंग टेस्ट आपके शरीर के अंदर की जाँच करता है। इसकी मदद से डॉक्टरों को फेफड़ों के कैंसर का पता लगाने में मदद मिलती हैं, यह देखने के लिए कि यह फैला तो नहीं है, और इसका उपचार संभव है या नहीं।

 

 

  • कंप्यूटेड टोमोग्राफी सीटी स्कैन (Computed tomography)

 

 

  • पोसीट्रान उत्सर्जन टोमोग्राफी पीईटी स्कैन (Positron emission tomography)

 

 

  • बोन स्कैन (Bone scan)

 

 

  • मेग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging MRI)

 

 

 

फेफड़ों के कैंसर के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट 

 

 

स्क्रीनिंग से पहले आपको कोई भी लक्षण दिखाई देने पर कैंसर की तलाश होती है, जो प्रारंभिक अवस्था में कैंसर का पता लगाने में मदद कर सकता है। इस टेस्ट से डॉक्टर को इलाज करना आसान हो सकता है। इस टेस्ट के कारण फेफड़ों के कैंसर का जल्दी पता लगाना और इलाज  के लिए नए विकल्प ढूढ़ना होता है। लेकिन इस टेस्ट से पहले डॉक्टर उस मरीज की शारीरिक स्थिति को देखता है उसके बाद ही इस टेस्ट की सलाह देता है।

 

 

 

फाइन नीडल बायोप्सी (Fine Needle Biopsy)

 

 

इसके लिए डॉक्टर एक सुई का प्रयोग करते हैं। बायोप्सी में एक डॉक्टर छाती में एक खोखली सुई डालता है, आमतौर पर सीटी विज़ुअलाइज़ेशन द्वारा ट्यूमर का नमूना लिया जाता है। इसमें ट्यूमर की जाँच की जाती है, उसके बाद ही डॉक्टर किसी तरह का निर्णय लेते हैं।

 

 

 

ट्यूमर टेस्टिंग

 

 

आपके डॉक्टर को फेफड़ों के कैंसर का डीएनए परिवर्तनों के लिए परीक्षण करना चाहिए। इन परीक्षणों को कभी-कभी आणविक, बायोमार्कर या जीनोमिक परीक्षण कहा जाता है – जो ट्यूमर के डीएनए में परिवर्तन की तलाश करते हैं और ट्यूमर में मौजूद प्रोटीन की जाँच करते हैं। जब डॉक्टरों को यह जानकारी होती है, तो वे उपचार का सुझाव देते हैं।

 

 

इन सभी टेस्ट को बिना डॉक्टर की सलाह के बिल्कुल भी ना कराएं क्योंकि हर व्यक्ति में फेफड़ो के कैंसर के अलग तरीके के लक्षण होते हैं, इसलिए आप पहले डॉक्टर की सलाह लें उसके बाद ही किसी तरह की जाँच कराए।

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