गर्भावस्था में अस्थमा हो सकता है खतरनाक : डॉ. अलका मल्होत्रा

 

 

गर्भावस्था के दौरान अस्थमा का अटैक किसी भी महिला के लिए बहुत ही गंभीर स्थिति होती है, इसलिए गर्भावस्था की शुरूआत में ही गर्भवती महिलाओं को अस्थमा की जांच जरूर करा लेनी चाहिए, नहीं तो महिला और होने वाले बच्चे दोनों की जान खतरे में पड़ सकती है।

 

 

जब कोई महिला गर्भवती होती है, तो उनमे उच्च रक्तचाप की समस्या और यूरिन में प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है। जिस वजह से भ्रूण को ऑक्सीजन की कमी महसूस होने लगती है। इसके लिए महिलाओं को अपनी अस्थमा की दवाएं लेते रहनी चाहिए और लगातार डॉक्टर के सम्पर्क में रहना चाहिए और साथ ही धूल, मिट्टी, धुंआ और दुर्गंध आदि एलर्जी वाली चीजो से भी दूर रहना चाहिए। ऐसा करने से गर्भवती महिला और होने वाले बच्चे पर कोई बुरा प्रभाव नई पड़ता है।

 

 

अस्थमा की समस्या होने पर सांस की नली में सूजन आ जाती है, जिससे सांस की नली सिकुड़ जाती है, जिसके कारण उन्हें सांस लेने में परेशानी होने लगती है।

 

 

अस्थमा और गर्भावस्था

 

 

अगर किसी महिला को गर्भवती होने से पहले अस्थमा की समस्या है, तो कई बार गर्भावस्था के दौरान समस्या बढ़ सकती है और कई बार सामान्य भी रह सकती है। अस्थमा की बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती।

 

आमतौर पर अस्थमा के लक्षण दूसरी और तीसरी तिमाही में बहुत ही ज्यादा गंभीर होने लगते हैं। ज्यादातर महिलाओं में गर्भावस्था के छठें महीने के बाद अस्थमा की समस्या बढ़नी शुरू हो जाती है। इसका एक कारण गर्भावस्था के दूसरी तिमाही के बाद महिला के शरीर में प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन्स का बढ़ना भी होता है। कई बार गर्भावस्था के 24वें से 36वें सप्ताह के बीच सांस की समस्या उन महिलाओं को भी परेशानी करती है, जिनमें पहले से दमा की शिकायत नहीं होती है।

 

 

अस्थमा के लक्षण

 

 

गर्भावस्था में होने वाला अस्थमा के लक्षण सामान्य अस्थमा से बहुत अलग नहीं होते हैं। इसमें शामिल है –

 

  • सांस फूलना

 

  • सांस लेते समय सीटी की आवाज आना

 

  • लम्बें समय तक खांसी आना

 

 

  • सीने में जकड़न होना आदि लक्षण दिखाई देते है

 

  • गर्भवती स्त्री को आम दिनों की तुलना में जल्दी थकावट महसूस होने लगती है

 

  • इस रोग की सही पहचान के लिए पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट अनिवार्य है

 

 

अस्थमा होने के कारण

 

 

  • स्मोकिंग

 

  • धूल

 

  • धुआं और अगरबत्ती

 

  • अस्थमा रोग जेनेटिक कारणों से भी हो सकता है। अगर आपके माता-पिता में से किसी एक या दोनों को अस्थमा है, तो आपके होने वाले बच्चें में इसके होने की आशंका बढ़ जाती है।

 

 

बरतें ये सावधानियां

 

 

  • अस्थमा रोगी धूल मिट्टी से दूर रहे।

 

  • घर की साफ-सफाई करने से बचें और पुराने धूल-मिट्टी के कपड़ों से दूर रहें।

 

  • पालतू जानवरों के बहुत करीब ना जाएं।

 

  • डॉक्टर से संपर्क करें और उनके कहने पर ही इनहेलर का प्रयोग करें।

 

  • धूम्रपान से दूर रहें और धूम्रपान करने वाले लोगों से भी दूरी बनाएं।

 

  • अस्थमा अटैक होने पर तुरंत डॉक्टर को संपर्क करें।

 

  • डॉक्टर से समय-समय पर अपनी जांच करवाते रहे।

 

अगर आपको पहले से अस्थमा है, तो गर्भावस्था की शुरुआत में ही अपने डॉक्टर से इस बारे में जरूर राय ले लें और इन्हेलर या दवाओं के प्रयोग के बारे में पूछ लें।

 

डॉक्टर के बारे मेंडॉ. अलका मल्होत्रा जो की गायनेकोलॉजिस्ट (Gynecologist) है। अगर आपको गर्भावस्था से संबंधित कोई भी समस्या हो, तो आप निशुल्क अपॉइंटमेंट बुक कर सकते हैं और डॉ. अलका मल्होत्रा से परामर्श ले सकते है।

 

 

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