हर्निया क्या होता है? ,जानिए इसके प्रकार, कारण, लक्षण और बचाव के उपाए

मानव शरीर कई अंगों से बना है, कुछ ऐसे है जिन्हें हम अपनी आँखों से देख सकते हैं तो कुछ ऐसे है जो हमारे शरीर के भीतर हैं और इन्हें हम देख नहीं सकते। अब हमारे शरीर में इतने सारे अंग हैं, तो उनमें कौन सी समस्या कब हो जाए कुछ पता नहीं चलता। यही कारण है कि आज हम आपको एक आंतरिक अंग की बीमारी के बारे में बताएंगे जिसका नाम है हर्निया ?

 

 

हर्निया क्या होता है?

 

ये तो आप जानते ही है की कुछ अंग मानव शरीर के भीतर स्थानों में मौजूद होते हैं। इन अंगों में कुछ खोकले स्थान होते है और यह अंग बस एक चमड़ी की परत से घिरी होती है। जब आप कोई बहुत ज्यादा भारी चीज उठा लेते है तब यह परत फट जाती है। जिसके बाद वह अंदुरनी अंग अपनी जगह से बाहर आने लगते है और इसी स्थिति को हर्निया कहा जाता है। आपको बता दें की जिन्हें हर्निया होता है उन्हें साधारण काम करने में भी काफी दर्द महसूस होने लगता है।

 

 

हर्निया के प्रकार?

 

इनगुइनल हर्निया (Inguinal Hernia): यह हर्निया होने का सबसे आम प्रकार है, इसे वंक्षण हर्निया (वंक्षण हर्निया) के रूप में जाना जाता है। अभी तक ऐसा देखा गया है की यह जांघ के जोड़ में होता है।

 

फेमोरल हर्निया (Femoral hernia): फेमोरल हर्निया ज्यादातर पेट की नसों का जांघ तक जाने वाली धमनी से निकलती है। आपको बता दें की ये पुरषों में ज्यादा देखी गई है।

 

अम्बिलिकल हर्निया (नाभि) (Umbilical Hernia): इस हर्निया में नाभि की नसे प्रभावित होती है और इसे नाभि हर्निया के नाम से जाना जाता है। इसके नाम से ही पता चलता है, यह हर्निया इंसान के शरीर की नाभि से संबंधित होता है, जब आप कोई ज्यादा वजनी चीजें उठा लेते है तो उसकी वजह से इसकी नाभि की नसे कमजोर हो जाती है और यह मांसपेशियां बाहर निकलती हैं।

 

इसके आलावा तीन हर्निया और है जो इस प्रकार है इंसिज़नल हर्निया (Incisional Hernia), अधिजठर हर्निया (Epigastric Hernia), हियातल हर्निया (Hiatal Hernia) लेकिन अभी तक इनका होना बहुत कम देखा गया है।

 

 

 

हर्निया के लक्षण

 

 

पेट की सूजन : हर्निया होने पर उस व्यक्ति के उसी हिस्से में सूजन होती है, जहां पर उसकी मांसपेशियां कमजोर होती है।

 

 

पेट साफ़ ना होना : ये समस्या अक्सर बहुत से लोगों के साथ होती है लेकिन आप इससे घबराए नहीं। यदि आपको यह समस्या बहुत ज्यादा होती है तो आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

 

 

मलत्याग में खून निकलना : यदि ऐसा आपके साथ एक बार भी हुआ है तो आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

 

सीने में दर्द : आमतौर पर सीने में दर्द तब होता है जब आपको खांसी होती है। मगर आपके सीने में दर्द बिना वजह होता है तो ये इसके लक्षण होते है।

 

सूजन वाले हिस्से में दर्द : यदि आपको सूजन वाले हिस्से में दर्द रहता है तो ये आपके लिए खतरनाक होता है।

 

 

 

हर्निया के कारण

 

  • ज्यादा भारी चीजें उठाना

 

  • अधीक उम्र

 

  • खांसी रहना

 

  • वजन बढ़ना

 

  • अधिक समय तक खड़े रहना

 

  • अधिक मोटापा

 

 

हर्निया की जाँच

 

 

इसकी जाँच तब कराइ जाती है जब डॉक्टर उस मरीज को देखते है। हर्निया होने पर ज्यादातर डॉक्टर जाँच कराने को नहीं बोलते है क्योंकि उन्हें इसके लक्षण समझ में आ जाते है। जब उन्हें इसके लक्षण समझने में दिक्कत होने लगती है, तब वह अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन की सलाह देते है

 

 

एंडोस्कोपी (Endoscopy) :कुछ केस में डॉक्टर मरीज को इस टेस्ट की सलाह भी देता है। इस टेस्ट में मरीज के गले की नली के माध्यम से एक पतली ट्यूब को आपके पेट में डालते हैं। इस ट्यूब के अंत में एक छोटा सा कैमरा लगा होता है जिसकी मदद से पेट के भीतर के छोटे छोटे अंगों की तस्वीर को कंप्यूटर स्क्रीन पर आसानी से देखा जाता है।

 

 

अल्ट्रासाउंड : अल्ट्रासाउंड में से पेट के अंदर की नसों में हर्निया की स्थिति को देखा जाता है। ज्यादातर मामलों में इसका पता अल्ट्रासाउंड से ही पता चल जाता है।

 

 

सीटी स्कैन (CT scan): इस टेस्ट में एक्स-रे (X-rays) की सहायता से डॉक्टर कंप्यूटर पर आंतरिक अंगों की तस्वीर का अध्ययन करते हैं।

 

 

गैस्ट्रोग्राफिन या बेरियम एक्स-रे (Gastrografin or Barium X-ray): आपको बता दें की जैसे जैसे टेक्नोलॉजी आगे बढ़ रही है वैसे वैसे इलाज की सुविधा में भी तेजी आ रही है। दरअसल यह एक्स रे मरीज के पेट के आंतरिक अंगों की तस्वीर बड़ी सफाई से दिखाता है। इस टेस्ट को करने से पहले डॉक्टर रोगी को डायट्रीज़ोएट मेगलुमिन (Diatrizoate Meglumine) और डायट्रीज़ोएट सोडियम (Diatrizoate Sodium or Gastrografin) या एक लिक्विड बेरियम का सलूशन (Liquid Barium Solution) पीने को कहते हैं।

 

 

एमआरआई (MRI): कई बार डॉक्टर इस टेस्ट कि सलाह भी देते हैं। मैग्नेटिक (Magnetic) और रेडियो वेब (Radio Wave) की मदद से आंतरिक अंगों की स्थिति का पता लगाना डॉक्टर के लिए थोड़ा आसान हो जाता है।

 

 

जिसके बाद डॉक्टर उस व्यक्ति की सर्जरी करते है और इसमें उस व्यक्ति के पहले उस डॉक्टर के बारे में अच्छे से जाँच करानी चाहिए, तभी उसे अपने हर्निया का इलाज करवाना चाहिए। इस सर्जरी के द्वारा कमजोर मांसपेशियों को सहारा दिया जाता है। जब केवल सिलाई करते हैं,  तो यह वापस खुल सकती है। इसलिए जरुरी है की आप इसमें जाली का प्रयोग करें, ये जाली की उम्र 10 साल तक होती है।

 

 

 

हर्निया से बचने के उपाए

 

 

 

  • अपने वजन को बिल्कुल भी बढ़ने ना दें।

 

  • कब्ज होने पर आप व्यायाम का सहारा लें सकते है और इस समस्या से छुटकारा पा सकते है।

 

  • पेशाब और मलत्याग के समय बिलकुल भी जोर ना डालें इससे आपकी नसों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

 

  • बहुत ऊँची जगह से ना कूदें, क्योंकि ये आपकी पेट की नसों को नुकसान करता है।

 

  • अधिक वजन वाली चीजें ना उठाए इससे आपको पेट की नसों पर ज्यादा जोर पड़ता है। यदि उठाना जरुरी है तो खाली पेट ऐसा ना करें।

 

  • धूम्रपान और अन्य तरह के नशीले पदार्थो के सेवन से बचें।

 

 

 

हर्निया के लक्षण दिखने पर आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। क्योंकि इसमें आपको बिल्कुल भी लापरवाही नहीं करनी चाहिए। वरना ये उनके लिए कोई बड़ी परेशानी की वजह बन सकती है इसलिए पेट से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या को नज़रअंदाज़ ना करें, कोई भी दिक्कत होने पर डॉक्टर से जरूर सलाह लें

 

 

 

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