गर्भवती महिलाओं को पड़ रहे अधिक दिल के दौरे – रिसर्च

महिलाओं के गर्भवती  (Pregnant) होने के दौरान, जन्म देने या प्रसव (Childbirth) के दो महीने के बाद उनमें दिल का दौरा (heart attack) पड़ने का खतरा बढ़ता जा रहा है। अमेरिका के एक अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है। जर्नल मायो क्लिनिक (Mayo Clinic) प्रोसीडिंग में प्रकाशित निष्कर्ष बताते हैं कि कई महिलाओं के बीच अधिक उम्र में बच्चों को जन्म देने की प्रवृत्ति का बढ़ना इसका एक संभावित कारण हो सकता है। साथ ही दिल के दौरा का जोखिम उम्र के साथ बढ़ता है, विशेष रूप से गर्भावस्था के दौरान।

 

न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय लांगोन हेल्थ के शोध के सह लेखक श्रीपाल बेंगलोर ने कहा, “एक दशक की सबसे बड़ी समीक्षा के बाद हमारा विश्लेषण दिखाता है कि गर्भावस्था माताओं के शरीर और उनके दिल पर कितनी तनावपूर्ण साबित हो सकती है, इससे शारीरिक परिवर्तन (physical changes) हो सकते हैं और यह संभावित रूप से उन जोखिम वाले कारकों पर से पर्दा उठाती है जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है।”

 

शोधकर्ताओं के मुताबिक, महिलाओं में मोटापे या मधुमेह से पीड़ित होने की संख्या में वृद्धि हुई है, जो कि दिल के दौरे के प्रमुख जोखिम कारकों में से हैं। शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए अस्पतालों में दर्ज 49,829,753 जन्मों का विश्लेषण किया और पाया कि प्रसव के दौरान 1,061 महिलाओं को दिल का दौरा पड़ा। उन्होंने यह भी पाया कि जन्म से पहले 922 महिलाओं को म्योकॉर्डियल इंफाक्र्शन (Myocardial infraction) के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया और जन्म के बाद स्वास्थ्य में सुधार की अवधि के दौरान 2,390 महिलाओं को दिल का दौरा पड़ा।

 

दिल की बीमारी में हो जाए गर्भधारण

 

1. यदि आप का हार्ट वाल्व (Heart valve) दोषपूर्ण है या विकृत है या फिर आप को कृत्रिम वाल्व (Artificial valve) लगाया गया है तो आप को गर्भधारण के दौरान अधिक जोखिमपूर्ण स्थिति का सामना करना पड़ सकता है.

 

2. गर्भावस्था के दौरान रक्तप्रवाह (blood flow) स्वत: बढ़ जाता है, इसलिए आप के हार्ट वाल्व को इस बदले हालात से निबटने के लिए स्वस्थ रहने की जरूरत है अन्यथा बढ़े हुए रक्तप्रवाह को बरदाश्त करने में परेशानी भी उत्पन्न हो सकती है.

 

3. जरूरी सलाह यही है कि गर्भधारण से पहले संभावित खतरे की विस्तृत जांच करा ली जाए.

 

4. जिन महिलाओं को कृत्रिम वाल्व लगे हैं, उन्हें अकसर रक्त पतला करने वाली दवा भी दी जाती है जबकि कुछ दवाओं का इस्तेमाल गर्भावस्था के दौरान वर्जित माना जाता है.

 

5. यदि आप में जन्म से ही कोई हृदय संबंधी गड़बड़ी है, तो आप का गर्भधारण जोखिमपूर्ण हो सकता है, दिल की जन्मजात गड़बडि़यों से पीडि़त महिलाओं से जुड़े जोखिम मां और भ्रूण (Embryo) दोनों को प्रभावित कर सकते हैं और इस के परिणामस्वरूप मां तथा बच्चे की परेशानियां बढ़ सकती हैं.

 

डाक्टरी परामर्श जरूरी

 

स्वस्थ हृदय तो इन सभी परिवर्तनों को आसानी से झेल लेता है, लेकिन जब कोई महिला दिल के रोग से पीडि़त होती है, तो उस की गर्भावस्था को सुरक्षित तरीके से प्रबंधित करने के लिए बहुत ज्यादा देखभाल और सावधानी बरतने की जरूरत पड़ती है. ऐसे ज्यादातर मामलों में नियमित निगरानी तथा दवा निर्बाध गर्भधारण और स्वस्थ बच्चे को जन्म देना सुनिश्चित करती है. दिल की किसी बीमारी से पीडि़त महिला को मां बनने के बारे में सोचने से पहले डाक्टर से सलाह लेनी चाहिए. यदि संभव हो तो ऐसे डाक्टर के पास जाएं जो अत्यधिक जोखिमपूर्ण गर्भाधान मामलों में विशेषज्ञता रखता हो. जोखिमपूर्ण स्थितियों वाली किसी मरीज की स्थिति का निर्धारण करने का सब से आसान तरीका यह देखना है कि वह प्रतिदिन के सामान्य कार्य आसानी से पूरा कर सकती है या नहीं. यदि ऐसा संभव है तो महिला में निर्बाध गर्भधारण करने की संभावना प्रबल है, भले ही उसे दिल की कोई बीमारी ही क्यों न हो.

 

ऐरिथमिया (Arithmetia) एक आम बीमारी है और कई महिलाओं में तो इस बीमारी का पता भर नहीं चल पाता जब तक कि उन्हें बेहोशी या दिल के असहनीय स्थिति में धड़कनें जैसे लक्षणों से दोचार नहीं होना पड़े. ऐरिथमिया के ज्यादातर मामले हलकेफुलके होते हैं. इन में चिकित्सा सहायता की जरूरत नहीं पड़ती. लेकिन किसी महिला के गर्भधारण से पहले उसे और उस के डाक्टर को स्थिति का अंदाजा लगा लेना जरूरी है ताकि मरीज के जोखिम का स्तर पता चल सके और जरूरत पड़ने पर उचित उपाय किए जा सकें. ऐरिथमिया के कुछ मामले गर्भधारण के दौरान ज्यादा बिगड़ जाते हैं. जरूरत पड़ने पर ऐसी स्थिति पर काबू रखने के लिए कुछ दवाओं का इस्तेमाल सुरक्षित माना जाता है.

 

गर्भधारण के किसी भी मामले में दिल के धड़कने की गति में थोड़ीबहुत असामान्यता आ ही जाती है. इसे ले कर ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए. उच्च रक्तचाप (blood pressure) एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है. अकसर यह समस्या गर्भधारण काल में बढ़ जाती है. इस समस्या का साइडइफैक्ट प्रीक्लैंपसिया (Preclampsia) के रूप में देखा जा सकता है यानी एक ऐसा डिसऔर्डर जिस में उच्च रक्तचाप रहता है और इस पर यदि नियंत्रण नहीं रखा गया तो इस से महिला के जोखिम का खतरा बढ़ सकता है और एक स्थिति के बाद महिला और बच्चे की मौत भी हो सकती है. ज्यादातर मामलों में अभी तक दवा और बैड रैस्ट से ही गर्भावस्था की स्थिति सामान्य हो जाती है. माइट्रल वाल्व प्रोलैप्स (Mitral valve prolapse) एक ऐसी स्थिति है, जिस में माइट्रल वाल्व (Mitral valve) के 2 वाल्व फ्लैप अच्छी तरह नहीं जुडे़ होते हैं और जब स्टैथोस्कोप (stethoscope) से हार्टबीट की जांच की जाती है तो कई बार इस में भनभनाहट जैसी आवाज आती है.

 

कुछ मामलों में वाल्व के जरीए प्रोलैप्स्ड वाल्व थोड़ी मात्रा में रक्तस्राव भी कर सकता है. ज्यादातर मामलों में यह स्थिति पूरी तरह नुकसानरहित रहती है और जब तक अचानक किसी स्थिति का पता नहीं चल जाता, इस ओर ध्यान भी नहीं दिया जाता है. ईको ड्रौप्लर (Eco Dropler) की मदद से डाक्टर आप के एमवीपी (Mitral valve prolapse) से जुड़े खतरे की जांच कर सकते हैं. कुछ मामलों में ऐसी स्थिति के उपचार की जरूरत पड़ती है, लेकिन एमवीपी से ग्रस्त ज्यादातर गर्भवती महिलाओं का गर्भकाल सामान्य और बगैर किसी परेशानी के ही गुजरता है.


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