अगर आप यह सोचते हैं कि कम सोने (sleep) से आपके स्वास्थ्य (health) पर असर पड़ता है तो आप गलत हैं. अगर आप हर दिन 10 घंटे से ज्यादा सोना पसंद करते है . ये भी आपके मेटाबोलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome) से जुड़ा हुआ है.
इससे दिल के रोगों (heart problem) का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. रोजाना 10 घंटे से अधिक समय तक सोने वालों के कमर का घेरा बढ़ जाना, उच्च ट्राइग्लिसराइड (Triglyceride) के स्तर को मेटाबोलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome) के रूप में जाना जाता है और यह दिल संबंधी बीमारियों के बढ़े जोखिम से जुड़ा होता है. ट्राइग्लिसराइड (Triglyceride) में एक प्रकार का वसा, अच्छे कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) का कम स्तर, उच्च रक्तचाप (high blood pressure) का खतरा शामिल है.
पुरुषों व महिलाओं दोनों में ज्यादा समय तक सोने से ट्राइग्लिसराड (Triglyceride) का स्तर ज्यादा बढ़ जाता है. महिलाओं में इसकी वजह से कमर में मोटापा बढ़ जाता है, साथ ही रक्त शर्करा (Blood sugar) व अच्छे कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) का स्तर गिर जाता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इसके विपरीत, छह घंटे से भी कम की नींद पुरुषों में उपापचयी सिंड्रोम (Metabolic syndrome) के उच्च जोखिम से जुड़ी हुई है और पुरुषों व महिलाओं में कमर के घेरे के बढ़ने से जुड़ी है.
दक्षिण कोरिया में सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिसिन के मुख्य लेखक क्लेयर ई किम ने कहा, “यह सबसे बड़ा अध्ययन है, जो पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग घटकों के बीच सोने की अवधि और उपापचयी सिंड्रोम (Metabolic syndrome) और खुराक की प्रतिक्रिया की जांच करता है.”
दिन में ज्यादा नींद लेने से बढ़ सकता है डायबिटीज का खतरा
दिन के समय एक घंटे से अधिक समय तक नींद लेने से टाइप-2 मधुमेह (diabetes) का 45 प्रतिशत ज्यादा खतरा हो सकता है. यह तथ्य एक नए अध्ययन में दिया गया है . यूनिवर्सिटी ऑफ तोक्यो के अनुसंधानकर्ताओं ने तीन लाख से अधिक लोगों की भागीदारी वाले 21 अध्ययनों से डेटा जुटाया. उन्होंने पाया कि 60 मिनट से ज्यादा समय तक नींद नुकसानदेह हो सकती है.
ज्यादा सोने से खतरा बढ़ता है. बहरहाल, 40 मिनट से कम समय तक दिन में नींद लेने का संबंध मधुमेह (diabetes) के खतरे से नहीं है. अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि दिन में लंबी नींद का परिणाम रात में नींद बाधित होने के रूप में निकल सकता है. यह नींद संबंधी विकार दिल के दौरे, मस्तिष्काघात, हृदय संबंधी समस्याओं तथा टाइप-2 डायबिटीज (Type-2 diabetes) सहित अन्य समस्याओं का खतरा बढ़ा सकता है. अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि काम या सामाजिक जीवन शैली के चलते नींद पूरी नहीं होने का परिणाम ज्यादा भूख लगने के रूप में निकल सकता है जिससे टाइप-2 मधुमेह का खतरा बढ़ने की संभावना हो सकती है.
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