त्वचा के लिए खतरनाक है फंगल इंफेक्शन, जाने लक्षण, कारण, इलाज

फंगल इंफेक्शन त्वचा से जुडी एक ऐसी समस्या है, जो की त्वचा के लिए बहुत खतरनाक होती है। फंगल इंफेक्शन होने का खतरा सबसे ज्यादा मानसून के मौसम में रहता है। त्वचा के ज्यादा देर तक गीली रहने की वजह से फंगल इंफेक्शन हो सकता है। जुलाई और अगस्त के महीने में इस समस्या के होने का खतरा अधिक होता है।

 

यह एक बहुत ही आम समस्या है। फंगल इंफेक्शन फंगस नामक बैक्टीरिया की वजह से होती है, जो मानसून के दौरान कई गुना तेजी से फैलती हैं। यह सामान्य तौर पर शरीर के अंगों जैसे की – पैर की उंगलियों के ऊपर, उनके बीच के स्थानों पर या उन जगहों पर जहां जीवाणु या फंगस का संक्रमण बहुत अधिक तेजी से होता है, वहां फैलते हैं।

 

अक्सर लोग मॉनसून के दौरान हल्की बारिश में भीगने के बाद अपनी त्वचा को अनदेखा कर देते हैं, उसे गीला ही रहने देते है। लेकिन यही छोटी सी असावधानी कई बार फंगल इंफेक्शन होने का कारण बन जाती है।

 

 

 

फंगल इंफेक्शन के प्रकार

 

 

 

एथलीट्स फुट

 

 

एक फंगल संक्रमण जो आमतौर पर पैर की उंगलियों के बीच शुरू होता है।

 

 

 

त्वचा का कैंडिडिआसिस

 

 

इस प्रकार के संक्रमण को यीस्ट संक्रमण भी कहा जाता है। आमतौर पर यह इन्फेक्शन त्वचा, आंतो और योनि को प्रभावित करती है।

 

 

 

दाद

 

 

दाद होना त्वचा का सबसे आम इन्फेक्शन है। त्वचा या खोपड़ी का एक अत्यधिक संक्रामक कवक संक्रमण। दाद आमतौर पर पपड़ीदार होता है और लाल और खुजली वाला हो सकता है। खोपड़ी का दाद बच्चों में आम है, जहां यह गंजे पैच का कारण हो सकता है। दाद त्वचा से त्वचा के संपर्क में आने या संक्रमित जानवर या वस्तु को छूने से फैलता है।

 

 

 

नाखून में फंगस होना

 

 

नेल फंगस एक सामान्य स्थिति है, जो आपके नाखून या पैर की उंगलियों के नीचे सफेद या पीले रंग के धब्बे के रूप में शुरू होती है। जैसे ही फंगल संक्रमण गहरा होता है, नाखून कवक आपके नाखून को तिरछा और मोटा बनाता है। यह कई नाखूनों को प्रभावित कर सकता है।

 

 

 

मुँह में थ्रस होना

 

 

इसे ओरल कैंडिडासीस या फिर ओरल थ्रश भी कहा जाता है। यह इन्फेक्शन जीभ, तालु या मुँह के अंदर वाले हिस्सो में होता है।

 

 

 

 

फंगल इंफेक्शन के लक्षण

 

 

 

  • त्वचा की ऊपरी सतह में पपड़ी

 

  • पैरों में खुजली

 

  • नाखूनों का पीला होना

 

  • मोटा होना

 

  • त्वचा पर लाल चकत्ते बनना

 

  • त्वचा में खुजली

 

  • रैशेज होना

 

  • त्वचा में दरारे होना

 

 

 

फंगल इंफेक्शन होने के कारण

 

 

 

  • एंटीबॉयोटिक दवाओं के साइड इफेक्ट।

 

 

 

  • प्रदूषण।

 

  • ब्ल्ड सर्कुलेशन की कमी के कारण हो जाती है।

 

  • जब फंगल बीजाणु त्वचा के संपर्क में आते हैं।

 

  • मानसून के मौसम में, अगर त्वचा ज्यादा देर तक गीली रहती है तब फंगल इंफेक्शन हो सकता है।

 

 

 

 

 

फंगल इंफेक्शन से बचाव और सावधानियां

 

 

 

  • अपने सिर को सूखा रखना चाहिए।

 

  • बारिश में भीगने के बाद अगर आपने बालों को सही तरीके से न सुखाया तो यह बालों में नमी का कारण बनती है। यह फंगल इंफेक्शन का कारण है।

 

  • फंगल इंफेक्शन से बचने के लिए एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल पाउडर इस्तेमाल करें।

 

  • अधिक तैलीय भोजन से परहेज करें।

 

  • फंगल इंफेक्शन को कम करने के लिए नहाने के बाद शरीर को सूखे तौलिए से तुरंत सुखाएं।

 

  • शरीर को सूखा रखने की कोशिश करें।

 

  • बालों को सप्ताह में दो बार अच्छी तरह धोएं।

 

  • मानसून में फंगल इंफेक्शन से बचने के लिए सही उत्पाद का चुनाव कर उसका प्रयोग करें।

 

  • त्वचा के लिए एंटीबैक्टीरिया वाला साबुन प्रयोग करें। हर्बल उत्पादों का अधिक प्रयोग करें।

 

 

 

फंगल इंफेक्शन का परीक्षण

 

 

 

फंगल इंफेक्शन का परीक्षण मुख्य रूप से त्वचा की जाँच पर निर्भर करता है। इसकी जांच के लिए निम्न परीक्षण को किया जा सकता है, जैसे की –

 

  • रक्त परीक्षण,

 

  • एक्स-रे,

 

  • सीटी स्कैन,

 

  • एम आर आई स्कैन।

 

 

 

फंगल इंफेक्शन का उपचार

 

 

 

इसके उपचार का मुख्य आधार एंटी-फंगल दवाएं है, जैसे की –

 

  • एंटी-फंगल क्रीम।

 

  • मरहम या लेप।

 

  • त्वचा पर लगाए जाने वाले लोशन।

 

 

 

फंगल इंफेक्शन दूर करने के नुस्खे

 

 

 

जैतून के पत्ते

 

फंगल इंफेक्शन को दूर करने के लिए  जैतून के पत्ते बहुत मददगार होते है। सबसे पहले इसके 5-6 पत्तों को पीसकर इसका पेस्ट बना लें। इसके बाद इसे इंफेक्शन वाली जगहें पर लगाएं और  30 मिनट के बाद धो लें।

 

 

 

एलोवेरा जेल

 

यह आपको जलन, खुजली और रैशेज से राहत दिलाएगा। इन्फेक्शन वाली जगह पर एलोवेरा जेल को लगा ले और थोड़ी देर बाद इसे गुनगुने पानी से धो लें। ऐसा करने से आपको इन्फेक्शन से जल्द ही राहत मिलेगी।

 

 

 

 

दही

 

इसमें एसिड होता है, जो की हानिकारक बैक्टीरिया को मार देता है। फंगल इन्फेक्शन में दही भी बहुत फायदेमंद होता है। इंफेक्शन वाली जगह पर कॉटन की मदद से दही को लगाएं और कुछ देर बाद इसे धो लें। ध्यान रहे, इंफेक्शन वाली जगह को कभी भी हाथों से न छुएं क्योंकि ये इंफेक्शन संक्रामक होता है।

 

 

 

 

लहसुन

 

यह एंटीफंगल गुणों से भरपूर होता है। लहसुन की 3-4 कलियों का पेस्ट बनाकर इंफेक्शन वाली जगह पर लगाएं। लहसुन लगाने से एक मिनट तक हल्की सी जलन हो सकती है, लेकिन इससे फंगल इंफेक्शन धीरे-धीरे खत्म हो जाते है।

 

 

 

 

हल्दी

 

इसमें एंटीफंगल गुण होते है। कच्ची हल्दी को पीसकर इंफेक्शन वाली जगह पर 30 मिनट के लिए लगाएं। इससे फंगल इन्फेक्शन में काफी सुधार मिलेगा।

 

 

सेब का सिरका

 

 

अगर आपको फंगल इंफेक्शन की समस्या है, तो आप 1 कप गर्म पानी में 2 टेबलस्पून सेब का सिरका मिलाकर पीएं। इसका सेवन करने से यह आपके खून में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करके फंगल इंफेक्शन को दूर करने में मदद करेगा।

 

फंगल इंफेक्शन के लक्षण त्वचा पर खुजली, पैरों में खुजली, नाखूनों का पीला होना, मोटा होना, त्वचा पर लाल चकत्ते बनना, छोट-छोटे फोड़ों, दानों या चिपचिपी परत के रूप में दिखाई देता है। आपको ऐसा कोई लक्षण नजर आए तो तुरंत ही डॉक्टर की मदद लें और उनसे जांच कराएं।

 

 

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