गर्भाशय कैंसर के प्राथमिक लक्षण क्या हैं, इससे कैसे बचें

गर्भाशय कैंसर होने पर गर्भाशय की स्वस्थ कोशिकाएं अनियमित रूप से बढ़ती हैं और गांठ का रूप ले लेती हैं, जिससे कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है और यह किसी भी उम्र में उन्हें हो सकता है ये बहुत खतरनाक बीमारी है। लेकिन इसका पता समय रहते चल जाए, तो इसका इलाज संभव है। दरअसल महिलाओं के शरीर में होने वाले बदलावों और अन्य हार्मोनल बदलाव की वजह से ऐसा होता है।

 

आपको बता दें की लगभग 92 प्रतिशत गर्भाशय कैंसर वाली अधिकांश महिलाओं में एंडोमेट्रियल कैंसर (Endometrial cancer) होता है ये एक ट्यूमर (Tumor) है जो गर्भाशय के अस्तर के ऊतकों (Tissues) में विकसित होता है, जिसे एंडोमेट्रियम (Endometrium) कहा जाता है। अन्य प्राथमिक प्रकार, गर्भाशय सार्कोमा (Uterine sarcoma) है और मांसपेशियों या गर्भाशय के अन्य ऊतकों में बनता है। गर्भाशय के कैंसर के लक्षण हर महिला में अलग प्रकार के हो सकते हैं।

 

 

 

 

गर्भाशय कैंसर के लक्षण (Symptoms of Uterine Cancer in Hindi)

 

 

 

 

  • संभोग के दौरान दर्द,

 

 

  • अचानक वजन कम होना,

 

 

  • रजोनिवृत्ति के बाद योनि से खून बहना,

 

 

  • पेट के नीचे बहुत तेज दर्द होना,

 

 

  • यूरिन पर कंट्रोल ना होना,

 

 

  • मासिक धर्म में अनियमितता।

 

 

गर्भाशय कैंसर का सबसे आम लक्षण योनि से असामान्य ब्लीडिंग होना है। इसमें मासिक धर्म में परिवर्तन होता है (लंबे समय तक या सामान्य से अधिक बार होना), पीरियड के बीच रक्तस्राव, रजोनिवृत्ति के बाद रक्तस्राव या स्पॉटिंग शामिल है। इसकी वजह से उस महिला को स्तन कैंसर भी हो सकता है।

 

 

 

गर्भाशय कैंसर के कारण (Causes of Uterine Cancer in Hindi)

 

 

गर्भाशय कैंसर के पीछे महिलाओं की गलत जीवन शैली और खान पान की गलत आदतें है जैसे की लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठे रहना या जरुरत से ज्यादा शारीरिक श्रम करना, फ़ास्ट फ़ूड का अधिक सेवन करना, भूख लगने पर कुछ भी खा लेना या ज्यादा समय तक भूखे रहना या उनका वजन ज्यादा होना इसके कारकों को बढ़ावा देता है। जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती जाती है, उन्हें अनेक प्रकार की समस्याए हो सकती है इसलिए उन्हें अपना बहुत ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है। ये सभी कारण महिलाओं में इस समस्या को पैदा करते है।

 

 

 

गर्भाशय कैंसर का इलाज (Treatment of Uterine Cancer in Hindi)

 

 

सबसे पहले डॉक्टर उस महिला की जाँच करते है उसके बाद उसे कुछ टेस्ट कराने को कहते है, यदि किसी महिला के गर्भ में इस प्रकार की दिक्कत आती है, तो वह कभी गर्भवती नहीं हो सकती है। इसलिए ऐसे में उसे किसी तरह की लापरवाही नहीं करना चाहिए। इसके लिए डॉक्टर महिला के शरीर के अनुसार उसका इलाज करते है।

 

 

  • सर्जरी : इस स्थिति में डॉक्टर उस महिला की सर्जरी के द्वारा उस हिस्से को उसके शरीर से अलग करता है।

 

 

  • रेडिएशनथेरेपी : इस थेरेपी के द्वारा डॉक्टर की टीम एक मशीन के रेडिएशन से उसे खत्म करती है और इसके बाद उन्हें कई तरह की सावधानियां बरतनी पड़ती है।

 

 

  • हर्मोनलथेरेपी : ऐसा महिलाओं के साथ इसलिए होता है, क्योंकि उनके हार्मोन्स में बदलाव होता है इसी लिए डॉक्टर इस थेरेपी का इस्तेमाल करते है।

 

 

  • कीमोथेरेपी : कीमोथेरेपी बहुत से कैंसर के मरीजों के लिए की जाती है, इस थेरेपी के चलते वह महिला काफी कमजोर हो जाती है।

 

 

यदि आप इस तरह की गंभीर बीमारी से खुद को बचाना चाहते है तो महिलाओं को अपने खान पान पर बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है। क्योंकि महिलाओं को पुरषों के मुकाबले संक्रमण होने का खतरा ज्यादा होता है। महिलाओं को अपना वजन नियंत्रण में रखने की जरुरत होती है। क्योंकि इसकी वजह से उनके शरीर में कई बीमारियां प्रवेश करती है। यदि उन्हें अपने शरीर में थोड़ा सा भी बदलाव महसूस होता है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए, ऐसा करने से समय रहते इस बीमारी का इलाज किया जा सकेगा।

 

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