माइग्रेन के लक्षण, कारण और उपाए

 

जब किसी व्यक्ति को अचानक बैठे-बैठे सिर में तेज दर्द होने लगता है तो ये माइग्रेन के लक्षण हो सकता है। दरअसल यह कोई मामूली सिरदर्द नहीं होता है। इसमें सिर के एक ही हिस्से में दर्द होता है।यह एक न्यूरोलॉजिकल (neurological) समस्या है, जिसमें सिर के आधे हिस्से में तेज़ दर्द होने के साथ ही उल्टी भी आने लगती है। माइग्रेन की समस्या आमतौर पर पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा देखी जाती है। कई बार ऐसा भी देखा गया है की सिर में असहनीय पीड़ा के चलते कभी-कभी ब्रेन हेमरेज या लकवा भी हो सकता है। जब आप सामान्य स्थिति से एकदम तनाव वाले माहौल में जाते हैं तो आपका सिरदर्द और रक्त चाप बढ़ जाता है। ऐसा होने पर आप समझ लें कि आपको माइग्रेन हैं। ऐसे में अपनी मर्जी से कोई भी दवा या पेन किलर लेने के बजाएं आप डॉक्टर की सलाह पर ही किसी दवाई को खाए।

 

माइग्रेन क्या है ?

 

माइग्रेन का दर्द होने पर उस व्यक्ति के आधे सिर में दर्द होने लगता है। ये दर्द इतना तेज होता है की जैसे आपके सिर में कोई सुई चुभो रहा हो। जिसमें उस व्यक्ति को उलटी आने लगती है, जुकाम हो जाता है और चेहरे के आसपास हलचल महसूस होती है। यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। ज्यादातर ये देखा गया है की यह बीमारी पुरषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा होती है। आपको बता दें की माइग्रेन दो तरह का होता है पहला क्लासिकल माइग्रेन और दूसरा नॉन क्लासिकल माइग्रेन।

 

माइग्रेन के लक्षण

 

  • जब किसी व्यक्ति को अधिक पसीना आता है तो ये भी इसी के लक्षण होते है।
  • शरीर में कमजोरी मसूस होती है।
  • ज्यादा देर तक कंप्यूटर पर काम करते है उसकी वजह से आंखों में दर्द होने लगता है, तो ये भी इसके लक्षण होते है।
  • यदि आपके पूरे या आधे सिर में तेज दर्द होता है जो आपसे सहा नहीं जाता, तो ये भी इसी के लक्षण है।
  • किसी की तेज आवाज या तेज रोशनी देखकर घबराहट होना भी इसके लक्षण होते है।
  • अक्सर उल्टी आना या जी मचलाना ये भी इसी के लक्षण होते है।
  • रात में नींद नहीं आना।
  • स्वाभाव में बदलाव होना।

ये सभी माइग्रेन के लक्षण होते है, इन सभी लक्षणों से आपको सावधान होने की जरुरत है।

क्या है माइग्रेन का कारण

 

  • ज्यादा तनाव भरे माहौल में रहना
  • हाई ब्लड प्रेशर
  •  नींद पूरी न होना
  • अधिक पेन किलर का सेवन
  •  मौसम का बदलना
  •  प्रदूषित धुए के संपर्क में रहना
  •  खट्टे फल या अचार का सेवन

क्या है माइग्रेन से बचने के उपाए

 

सिर पर मसाज करें : जब आपके सिर में भारीपन हो तो तुरंत तेल को गर्म कर ले उसके बाद उस तेल से हल्के हाथों से मसाज करें।आप सरसो, नारियल या बादाम के तेल का इस्तेमाल कर सकते है।

अदरक की चाय : अदरक शरीर के किसी भी भाग के दर्द को दूर करने में मदद करता है। आप माइग्रेन का दर्द होने पर भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं और साथ में लौंग और इलाची भी डाल सकते है।

लहसुन : आयुर्वेद में तो लहसुन को औषधि माना गया है। इसका सेवन करने से आपका पेट साफ़ रहता है और हाई ब्लड प्रेशर नहीं रहता और ये माइग्रेन के दर्द में भी काफी राहत देता है इसका एक चमच जूस निकलकर सेवन करें।

सेब : यदि आप रोज सुबह खाली पेट सेब का सेवन करेंगे तो आपको माइग्रेन से छुटकारा मिल जाएगा, यह काफी असरदार तरीका है।

देसी घी : माइग्रेन के दर्द से छुटकारा पाने के लिए आप रोजाना अपनी नाक में दो बूंद घी डाले, इससे आपको तुरंत राहत मिलेगी।

खीरा : खीरे को काटकर सिर पर घिसना या खीरे को सूंघने से भी माइग्रेन के दर्द में काफी आराम मिलता है।

बर्फ से सिकाई :  एक साफ तौलिए पर बर्फ के कुछ टुकड़े रखें और उससे सिर, माथे और गर्दन के पीछे 10- 15 मिनट तक सिकाई करें इससे भी आपको काफी आराम मिलेगा।

पिपरमेंट : पिपरमेंट सूजन को कम करके शांति और स्थिरता प्रदान करता है। माइग्रेन के दर्द में पिपरमेंट की चाय पिएं या आधे ग्लास पानी में पिपरमेंट ऑयल की कुछ बूंदें और शहद मिलाकर भी पी सकते हैं।

 

माइग्रेन की समस्या बढ़ने पर एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर ले और बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी तरह की दवाई का सेवन न करें।इससे आपको माइग्रेन का दर्द बढ़ भी सकता है। कुछ समय के लिए इन सभी उपायों को करके देखे इससे आपको काफी हद तक फायदा होगा। यदि आपको अपने शरीर में या किसी अन्य व्यक्ति के शरीर में ऐसे लक्षण दिखाई देते है, तो इससे आपको सावधान होने की जरुरत है।

Doctor Consutation Free of Cost=

Disclaimer: GoMedii  एक डिजिटल हेल्थ केयर प्लेटफार्म है जो हेल्थ केयर की सभी आवश्यकताओं और सुविधाओं को आपस में जोड़ता है। GoMedii अपने पाठकों के लिए स्वास्थ्य समाचार, हेल्थ टिप्स और हेल्थ से जुडी सभी जानकारी ब्लोग्स के माध्यम से पहुंचाता है जिसको हेल्थ एक्सपर्ट्स एवँ डॉक्टर्स से वेरिफाइड किया जाता है । GoMedii ब्लॉग में पब्लिश होने वाली सभी सूचनाओं और तथ्यों को पूरी तरह से डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा जांच और सत्यापन किया जाता है, इसी प्रकार जानकारी के स्रोत की पुष्टि भी होती है।