सांस फूलना एक गंभीर बीमारी है जो बहुत सी आंतरिक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं की ओर इशारा करती है। प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण खुले में साँस लेना बहुत सी साँस सम्बन्धी समस्याओं का कारण बन सकता है। जिसमें से एक गंभीर समस्या है, सांस फूलना। सांस फूलना एक बहुत ही घातक बीमारी है जो की जानलेवा सिद्ध हो सकती है अगर इसका इलाज सही समय पर नहीं किया गया तो यह बीमारी हमारे लिए अत्यंत हानिकारक सिद्ध होती है वैसे तो सांस अस्थमा के कारण भी फूलते है जिससे की अगर सही समय पर उसका इलाज नहीं किया गया तो उस व्यक्ति की जान सकती है |
सांस फूलना क्या है ?
सांस फूलनाशब्द का प्रयोग सामान्यतः सांस या श्वास की कमी के लिए उपयोग किया जाता है। यह तनाव की वह स्थिति है, जब कोई गतिविधि करते समय सांस लेने में तकलीफ महसूस होती हो। सांस फूलना वह स्थिति है जिसमें हवा (ऑक्सीजन) पर्याप्त मात्रा में हमारे फेफड़ों तक नहीं पहुँच पाती है जिससे सीने में दर्द, तनाव, घबराहट आदि स्थितियां प्रगट होती हैं। सांस की तकलीफ के लिए चिकित्सा के क्षेत्र में डिस्पनिया कहा जाता है। यह स्थिति सामान्य से असहज और कष्टदायक हो सकती है। बहुत अधिक व्यायाम, उच्च तापमान, अधिक मोटापा और बहुत अधिक ऊंचाई ये सभी कारक किसी भी स्वस्थ व्यक्ति के लिए सांस फूलने की समस्या पैदा कर सकते हैं।
सांस फूलने के लक्षण
सांस लेने में तकलीफ जीवन के लिए बहुत जोखिम दायक हो सकता है। सांस की कमी या डिस्पनिया के लक्षण सामान्य से बहुत गंभीर हो सकते हैं, और मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। अतः इसके लक्षणों को जानकर स्वास्थ्य को ख़राब होने से बचाया जा सकता है। सांस फूलने के लक्षणों में निम्न तथ्य शामिल हैं:
- खांसी आना
- हांफते हुए सांस लेना
- पसीना आना
- लंबी दूरी चलने में कठिनाई
- छाती में दर्द होना
- पैरों और एड़ियों में सूजन आना
- सांस लेते समय नाक से आवाज आना
- छोटे-छोटे वाक्यों में बोलना
- पैर में सूजन आना
- समतल जगह में लेटने पर सांस लेने में परेशानी होना
- सांस लेते या बाहर छोड़ते समय घरघराहट या असामान्य सीटी जैसी आवाज आना इत्यादि।
सांस फूलने के कारण
कुछ लोगों को सांस की तकलीफ अचानक और थोड़े समय के लिए अनुभव हो सकती है। तथा कुछ लोग इसे नियमित रूप से अनुभव कर सकते हैं। नियमित रूप से होने वाली सांस की तकलीफ अधिक गंभीर आंतरिक स्थितियों का कारण हो सकती है।
सांस फूलने के सामान्य कारण हो सकते है
- अधिक वजन होना
- अधिक तापमान के कारण
- अत्यधिक परिश्रम
- धूम्रपान का अत्यधिक सेवन करना
- हवा में एलर्जी या प्रदूषक की उपस्थिति
- चिंता की स्थिति भी सांस फूलने की समस्या का कारण बनती है
सांस फूलने के लिए घरेलू उपचार
शहद का सेवन
शहद सबसे आम और सबसे बेहतर घरेलू उपचारों में से एक है। इसको उपयोग अस्थमा अर्थात जिन लोगों को साँस की परेशानी होती है उनके लिए भी किया जाता है। अस्थमा का अटैक आने पर शहद वाले पानी की भाप लेनी चाहिए। जिससे जल्द ही राहत मिलती है। इसके अलावा दिन में दो से तीन बार एक गिलास पानी के साथ शहद मिलाकर पीने से भी बहुत आराम मिलता है। शहद का सेवन करने से बलगम ठीक हो जाती है जो अस्थमा या सांस की परेशानी को पैदा करती है।
तुलसी का सेवन
गुणों से भरपूर तुलसी साँस फूलने की समस्या में बहुत लाभकारी होती हैं। तुलसी के रस में शहद मिलाकर चाटने से अस्थमा रोगियों को व साँस फूलने वाली समस्या वाले लोगों को आराम मिलता है। इसका सेवन करने से साँस की नलियाँ तुरंत ही खुल जाती है।
गर्म जगह में जाएं
यदि आपकी ठंडी जगह पर साँस फुले तो ऐसे में आपको तुरंत ही गर्म जगह पर चले जाना चाहिए। ध्यान रहे वहां ऐसी या कूलर न हो इसके साथ जब भी आपकी साँस फूलने लगे तो भीड़ भाड़ और धुल भरी जगह को तुरंत ही छोड़ देना चाहिए और किसी खुली जगह पर चले जाना चाहिए। इससे आपको अच्छा लगेगा और आप अपने आप को रिलैक्स महसूस करोगे।
कॉफी का सेवन
यदि आपको अस्थमा का अटैक आया है तब ऐसे में आपको तुरंत हो कॉफी का सेवन करना चाहिए। इससे श्वास नलियों में रुकी हुई हवा तुरंत हो खुल जाती है। यदि आप कॉफी का सेवन नहीं कर सकते तो आपको कॉफी की महक सूघने से भी फायदा प्राप्त हो जायेगा।
अदरक
सदियों से हमारे भोजन का एक अहम हिस्सा अदरक में पाए जाने वाले औषधीय गुणों के कारण कई प्रकार की औषधि बनाने में भी इसका प्रयोग किया जाता रहा है। यह अस्थमा या सांस फूलने की समस्या में काम आ सकता है। अदरक अस्थमा सहित विभिन्न बीमारियों के लिए एक प्रसिद्ध प्राकृतिक उपचार है।
लहसुन
सुबह खाली पेट लहसुन खाने से कई तरह के रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है। लहसुन आपके फेफड़ों की समस्या में मदद करता है और एक निश्चित शॉट उपाय है जो अस्थमा के लक्षणों से त्वरित राहत प्रदान करता है। यह वायुमार्ग की सूजन को भी कम करता है। ज्यादातर घरों में लहसुन का प्रयोग सब्जियों में तड़का लगाने के लिए किया जाता है। आप इसे कच्चा भी खा सकते हैं।
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