जैसा कि आप सभी जानते हैं कि पूरे देश से ब्लैक फंगस का खतरा खत्म नहीं हुआ है कि अब एक और फंगस सामने आ गया है जिसका नाम है व्हाइट फंगस। दरअसल कई लोगों में अचानक इस नए फंगस यानी म्यूकोर्मिसिनिस के लक्षण दिखने लगे हैं। जानकारों का कहना है कि व्हाइट फंगस ब्लैक फंगस से कई गुना ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है, यह फंगस सिर्फ दिमाग और फेफड़े ही नहीं बल्कि हर अंग को प्रभावित कर रहा है।
व्हाइट फंगस की पहचान कैसे करें ?
आपको बता दें की व्हाइट फंगस की पहचान करना बहुत मुश्किल है। अभी तक ऐसा देखा गया है कि इसमें RT-PCR की रिपोर्ट नेगेटिव आती हैं। ऐसे में कोरोना और म्यूकस कल्चर जैसे लक्षण दिखाते हुए सीटी स्कैन कर व्हाइट फंगस की पहचान की जा सकती है।
व्हाइट फंगस के लक्षण (White fungus symptoms in hindi)
व्हाइट फंगस के लक्षण भी काले फंगस से काफी मिलते-जुलते हैं, अगर आपको नीचे दिए गए लक्षण महसूस हों तो बिना देर किए जल्द से जल्द टेस्ट कराएं:
- गंभीर सिरदर्द
- आंखों की लाली और सूजन
- सोचने की क्षमता में कमी
- शरीर पर छोटे छोटे फोड़े
- नाक का सूखापन और फड़कना
व्हाइट फंगस के कारण क्या है ?
काले फंगस के बाद अब लोग यह जानने के लिए परेशान हैं कि व्हाइट फंगस को देखकर यह फंगस क्यों फैल रहा है तो आपको बता दें कि डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स के मुताबिक ये व्हाइट फंगस की चपेट में हैं। जो लोग कोरोना संक्रमित हैं और ऑक्सीजन सपोर्ट पर आ सकते हैं, क्योंकि कोरोना मरीजों के फेफड़े पहले से ही संक्रमित हैं और व्हाइट फंगस भी फेफड़ों को प्रभावित करते हैं, जिससे कोरोना मरीजों को ज्यादा खतरा होता है।
आपको बता दें कि व्हाइट फंगस भी काले फंगस की तरह ही कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। इसके अलावा स्टेरॉयड के अधिक सेवन और मधुमेह को नियंत्रित न करने से भी आप इस बीमारी के शिकार हो सकते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक व्हाइट फंगस घातक होता है क्योंकि इससे पीड़ित मरीजों के अंग फेल हो जाते हैं, जिससे उनकी मौत हो जाती है।
व्हाइट फंगस का इलाज
आपको बता दें कि इस बीमारी में शरीर के अंदर कोरोना के लक्षण दिखने लगते हैं, जिसके बाद मरीज अपना आरटी पीसीआर टेस्ट करवाता है और जांच रिपोर्ट निगेटिव आती है। थूक संवर्धन परीक्षण किया जाता है जिसके बाद व्हाइट फंगस का पता चलता है।
व्हाइट फंगस की समस्या उन्हें आती है, जो इम्यूनो कॉम्प्रोमाइज, अस्थमा के मरीज हैं और स्टेरॉयड लेते हैं। जिसका शुगर ज्यादा हो जाता है, उसमें कैंडिडा इन्फेक्शन होता है। कैंडिडा के धब्बे जीभ के ऊपर और तालुओं पर सफेद रंग के होते हैं, इसलिए इसका नाम व्हाइट फंगस रखा गया है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक व्हाइट फंगस का इलाज आप किसी अच्छे स्किन स्पेशलिस्ट से करवा सकते हैं, हालांकि व्हाइट फंगस के ज्यादा मामले अभी तक सुनने को नहीं मिले हैं, लेकिन इसकी रफ्तार भी ब्लैक फंगस जैसी ही हो सकती है। इसे व्हाइट फंगस इसलिए कहा जाता है क्योंकि टेस्ट में फंगस सफेद दिखाई देती है, इसलिए इसका नाम व्हाइट कवक है।
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