कहा जाता है कि उम्र बढ़ने के साथ हमारी याद्दाश्त (Memory) कमजोर होती जाती है लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि भूलने की बीमारी किसी भी उम्र में किसी को भी लग सकती है। जरूरत से ज्यादा चिंता, तनाव और डिप्रेशन का असर व्यक्ति के दिमाग पर पड़ता है जिसकी वजह से उसकी मेमोरी कमजोर होने लगती है। दिमाग (Brain) कमजोर पड़ने पर व्यक्ति में डिमेंशिया (Dementia) या अल्जाइमर (Alzheimer’s) का भी खतरा बना रहता है। जब किसी व्यक्ति को एक या दो सेकेंड पहले घटी कोई घटना, कोई यादगार पल या पुरानी बात याद दिलाने पर भी याद नहीं आती तो यह इसका सबसे गंभीर लक्षण है। याद्दाश्त में कमी होने की बीमारी अचानक ही शुरू होती है और दिनों दिन और कम होती जाती है।
जिंदगी में समय समय पर निराशा महसूस करना बहुत स्वाभाविक है लेकिन कुछ लोगों में यह निराशा या तनाव (Stress) का दौर बहुत लम्बा खिंच जाता है। कई बार व्यक्ति नकारात्मक विचारों से इतना घिर जाता है कि उसे सफलता या ख़ुशी की कोई उम्मीद ही नज़र नहीं आती है और इन्हीं तनावों की वजह की वजह से वो धीरे धीरे डिप्रेशन (depression) की चपेट में आने लगता है। इस समय अपने देश में डिप्रेशन के मरीजों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है और इसके लिए पारिवारिक जीवन में कलह, ऑफिस की टेंशन, रिश्तों में दरार इत्यादि कारण मुख्य रुप से ज़िम्मेदार हैं।
हाल ही में हुए एक रिसर्च में उटा यूनिवर्सिटी (uta university) के वैज्ञानिकों की टीम ने इस बात का खुलासा हुआ है कि डिप्रेशन और याददास्त का आपस में संबंध है और इस वजह से डिप्रेशन के कारण मरीजों की याददाश्त कमजोर हो सकती है। डिप्रेशन के कुछ मरीज अपने बीते हुए पुराने ख्यालों और दुःख भरे विचारों में इतने खोए रहते हैं कि वे किसी भी तरह की नयी जानकारी को समझ नहीं पाते हैं या याद नहीं रख पाते हैं।
ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी (Brigham Young University) के मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसरों ने इस शोध में 98 वयस्कों को एक पैटर्न सेपरेशन टेस्ट में शामिल किया गया। इस टेस्ट में लोगों को सवालों की एक सूची दी गयी जिसमें उन्हें अपने डिप्रेशन या चिंता का स्तर और जीवनशैली से जुड़े कुछ अन्य सवाल जैसे कि नींद का समय, कितने समय व्यायाम करना आदि, के बारे में पूछा गया। शोध के अंत में वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला कि जिन लोगों का डिप्रेशन लेवल ज्यादा था उनका इस पैटर्न टेस्ट में स्कोर काफी कम था।
इस पैटर्न टेस्ट में प्रतिभागियों को उनकी कंप्यूटर स्क्रीन पर कुछ चीजों की श्रृंखला दिखाई गयी जिनमें से कुछ चीजों से वे पहले से परिचित थे और बाकी से नहीं थे। शोध में यह पाया गया कि जिन लोगों का डिप्रेशन लेवल ज्यादा था उन्हें एक जैसी चीजों में अंतर करने में भी बहुत कठिनाई हो रही थी। हालांकि इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि वे लोग भूलने की बीमारी (amnesia) से पीड़ित है बल्कि दिमागी स्वास्थ्य ठीक ना होने के कारण वे कुछ चीजें भूल जा रहे हैं।
एक अन्य शोध में यह भी पता चला है कि जो लोग अपने नकारात्मक भावों को दबाने का प्रयास करते हैं वे नकारात्मक यादों के असर को कम करने की क्षमता रखते हैं। इसलिए बेहतर होगा कि आप ध्यान, योगा या थेरेपी (Therapies) की मदद से अपने तनाव को दूरे करें और डिप्रेशन की बीमारी से खुद को मुक्त करें।
कमजोर याददाश्त के लक्षण –
एक खराब याददाश्त आपके जीवन को एक से अधिक तरीकों से प्रभावित कर सकती है। कमजोर याददाश्त या भूलने की बीमारी (स्मृति हानि) से पीड़ित बच्चों को स्कूल में सीखने में परेशानी होती है। वे अक्सर धीमी शिक्षार्थियों के रूप में उपेक्षित होते हैं। उनके पास महान कौशल हो सकते हैं लेकिन तथ्यों को पुनः प्राप्त करने में असमर्थता उनकी कमियां बन सकती है। बहुत से लोग अपने महत्वपूर्ण दस्तावेजों और पैसे खो देते हैं लेकिन वास्तव में खराब स्मृति से पीड़ित वे लापरवाह माने जाते हैं। यह आपके रिश्तों और नौकरी को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे तनाव और अवसाद हो सकता है।
कमजोर याददाश्त के कारण –
- स्वस्थ भोजन की कमी है याददाश्त कमजोर होने का कारण
- उम्र की वजह से याददाश्त कमजोर होना
- दवाईयों का अधिक सेवन है मस्तिष्क की कमजोरी का कारण
- दिमाग की कमजोरी की वजह है ड्रग्स का अत्यधिक उपयोग
- नींद की कमी हो सकती है भूलने का कारण
- तनाव है मेमोरी लॉस प्रॉब्लम का कारण
- सिर पर गहरी चोट भी है कम याददाश्त की वजह
कमजोर याददाश्त से बचाव के आसान उपाय
1. नींद पूरी लें
कई बार पूरी नींद (Sleep) न लेने के कारण भी याददाश्त कमजोर पड़ने लगती है। इसलिए याददाश्त को तेज करने के लिए पर्याप्त नींद लें। नींद पूरी होने से दिमाग की नई चीजें सीखने की क्षमता बढ़ती है।
2. टेंशन न लें
टेंशन लेने से शरीर में कोर्टिसोल (Cortisol) नाम का हार्मोन बनता है, जिसका याददाश्त पर असर पड़ता है। इससे आप बातों और चीजों को याद भूलने लगते हैं। इसलिए याददाश्त को तेज करने के लिए तनावमुक्त रहें। तनावमुक्त रहने के लिए योग, ध्यान और कसरत आदि करें।
3. हर रोज कुछ नया सीखें
याददाश्त बढ़ाने के लिए रोजाना कुछ नया सीखें। एक शोध में पता लगाया कि ये बात सामने आई कि आसान कामों की जगह डिजिटल फोटोग्राफी, ड्राइविंग, संगीत आदि सीखने से याददाश्त में बेहतर बदलाव आता है और दिमाग तेज होता है।
4. डाइट का खास ख्याल रखें
याददाश्त बढ़ाने के लिए डाइट में हरी सब्जियों का भरपूर सेवन करें और खूब पानी पीएं। इसके अलावा नॉनवेज में मछली और मछली के तेल से बनी चीजों का सेवन करें, इससे दिमाग को काफी फायदा मिलता है। रेड मीट, डेयरी उत्पादों और मीठी चीजों का सेवन कम ही करें। चीनी अधिक लेने से मस्तिष्क सिकुड़ता है और याद्दाश्त पर भी असर पड़ता है।
5. विटामिन डी का टेस्ट करवाएं
विटामिन डी (vitamin D) याददाश्त को सही बनाएं रखने में मदद करता है। इसकी कमी होने पर भी याददाश्त कमजोर हो सकती है। इसकी पूर्ति के लिए नियमित कुछ समय धूप में बैठें।
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