जाने क्यों होती है गर्भपात के बाद प्रजनन क्षमता में कमी, क्या है इसका उपाए

 

अपने घर में नन्हे मेहमान को लाने के लिए हर महिला गर्भवती होना चाहती है। एक बार माँ बनने के बाद,  हर महिला अवश्य ही ये सोच रही होंगी कि आखिर दोबारा गर्भवती होने में कितना समय लगता है। गर्भपात के बाद आपकी प्रजनन क्षमता पर चिंता करना सामान्य बात है और इसे लेकर घबराने की जरुरत नहीं है। कई जोड़े तुरंत फिर से गर्भ धारण करने की कोशिश करते हैं, जबकि कुछ महिलाएँ इसके बाद समय लेती हैं। आखिरकार, गर्भपात के बाद प्रजनन क्षमता अधिकांश जोड़े के लिए एक चिंता का विषय होता है। एक बार गर्भपात के बाद कम से कम तीन महीने का समय लेना चाहिए। क्योंकि घाव भरने में तीन महीन लगते है।

 

आपको बता दें की कई महिलाओं में 30 की उम्र के बाद प्रजनन क्षमता में कमी होने लगती है। वही 35 साल की उम्र वाली महिलाओं में तो यह और भी अधिक तेजी से घटने लगती है। जैसे-जैसे महिला की उम्र बढ़ती है, उसके गर्भवती होने की संभावना और भी कम होने लगती है और प्रजनन अक्षमता भी उत्पन्न होने की संभावना बढ़ जाती है।

 

क्यों होती है महिलाओं की प्रजनन क्षमता में कमी ?

 

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम : भारत में कई महिलाए पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) से पीड़ित है यह एक हार्मोनल विकार है जो संतान की इच्छा रखने वाली महिला की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है। पीसीओएस लगभग 15 से 40 वर्ष के दौरान होता है,  महिला के अंडाशय को प्रभावित करता है इसमें महिला का अंडा समय पर बनकर फूट नहीं पाता जिससे गर्भधारण करना मुश्किल होता है। इसके लक्षण कुछ इस प्रकार है, चेहरे और शरीर पर बालों का बढ़ना और पतला होना, तेजी से वजन बढ़ने।

 

हाइपोथैलेमिक एमेनोरिया : यह बीमारी तब होती है जब कोई भी महिला ज्यादा तनाव लेती है, यह देखा गया है की 30 प्रतिशत महिला जो अपनी माहवारी खो देती है वह हाइपोथैलेमिक एमेनोरिया से ही पीड़ित होती है। इस के लक्षण कुछ इस प्रकार है भूख में वृद्धि, ठंडा लगना, सेक्स में कमी आना, डिप्रेशन।

 

प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए क्या खाए 

 

केला : केले में विटामिन बी 6 होता है जो आसानी से महिलाओ में प्रजनन क्षमता को बढ़ाने का काम करता है। ये  बी6 विटामिन अंडे के विकास में मदद करता है जिससे पुरुष और महिला दोनों में हॉर्मोन्स नियंत्रित रहते हैं।

 

आयलि फिश : ऑयली फ़िश में जरूरी फैटी एसिड होता है और फिश में ओमेगा 3 भी होता है जो शरीर में फैटी एसिड को बनाता है। ये फैटी एसिड प्रोस्टाग्लैंडिन्स के बनने में सहायक होता है जो शरीर में प्रजनन क्षमता को बढ़ाता है।

 

लहसुन : लहसुन में सेलेनियम पाया जाता है ये ऐसा खनिज है जो महिलाओं में गर्भ गिरने की संभावना को कम करता है और पुरषो में भी होने वाली समस्या को कम करता है।

 

शहद : शहद का इस्तेमाल काफी सदियों से महिलाओं में प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता रहा है। इसमें कॉपर, पोटैशियम, सोडियम, पाया जाता है जो महिलाओं में प्रजनन से जुड़ी समस्याओं को कम करता हैं।

 

खट्टे फल : जैसे संतरे, निम्बू, अंगूर इन खट्टे फलों का सेवन करें क्योंकि इनमें विटामिन सी की भरपूर मात्रा होती है। यह पुरषो में होने वाली समस्या को कम करता है और हॉर्मोन्स को भी नियमित रखता है।

 

पालक : पालक एक पत्ते दार सब्जी है जो किसी भी व्यक्ति के शरीर में फोलिक एसिड की मात्रा को पूरी करती है। महिला और पुरषों के लिए फोलिक एसिड बहुत जरूरी तत्व माना जाता है । इसके अलावा गर्भ के दौरन ये न्यूरल ट्यूब में होने वाली विकृतियों से भी बचाता है।

 

भारत में गर्भवती महिलाओं को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, गर्भवती होने से पहले महिलाओं को अपना पूरा ध्यान रखना पड़ता है। पहली बार गरभवती होने के बाद किसी भी महिला को कम से कम तीन महीना का समय लेना चाहिए जिससे किसी भी तरह की दिक्कत होने से बचा जा सकता है और यह महिला के लिए ही ज्यादा फायदेमंद होता है। बाकी इससे जुड़ी किसी भी तरह की समस्या होने पर आप हमारे डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं

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