आपको बता दें की जब किसी व्यक्ति के पेशाब की नली में पथरी अटक जाती है तो इस स्थिति मे उसे तुरंत इलाज की आवश्यकता होती है। जब किडनी में बना हुआ पथरी या स्टोन फिसल कर मूत्रनली या युरेटर (ureter) में फस जाता है तब उस स्थिति को यूरेट्रिक स्टोन कहते है। किडनी स्टोन या यूरेट्रिक स्टोन (Uretric Stone) एक बीमारी है। इस रोग में व्यक्ति के अंदर कुछ कण जमा हो जाते हैं और यह कण पत्थर जैसा ठोस होते है। हमारे खान पान की गलत आदतों का परिणाम होता है जो बाद पथरी का रूप ले लेता है। यह शरीर के लिए बहुत हानिकारक होता है। किडनी स्टोन या यूरेट्रिक स्टोन (Uretric Stone) की बीमारी महिलाओं की तुलना में पुरुषों में तीन गुना ज्यादा पाई जाती है।
यूरेट्रिक स्टोन क्या है? (What is ureteric stone in Hindi)
अक्सर लोग किडनी स्टोन होने के लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं। लंबे समय तक शरीर के अंदर रहने के कारण पथरी आकार में बढ़ जाती है और कभी-कभी फिसल कर यूरिनरी ट्रैक्ट में फंस जाती है। यह मूत्र के प्रवाह को अवरुद्ध करता है, जो एक आपातकालीन समस्या पैदा करता है। जब कोई कण आपके मूत्र वाहिनी में आकार फास जाता है तो उस स्थिति को यूरेट्रिक स्टोन (Uretric Stone) कहते है।
यूरेट्रिक स्टोन का कारण?
- आनुवंशिकता के कारण व्यक्ति को पथरी की समस्या होने का खतरा अधिक होता है।
- भौगोलिक स्थिति का मतलब है कि गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में गुर्दे की पथरी अधिक आम है।
- पथरी की समस्या व्यक्ति के कुछ पुराने रोगों के कारण भी हो सकती है।
- यदि कोई व्यक्ति आहार में अधिक मात्रा में प्रोटीन और नमक का सेवन करता है, तो यह शरीर में अपने आप बनता है और बाद में पथरी का कारण बन सकता है।
- यदि कोई व्यक्ति आहार में विटामिन ए और विटामिन डी की अधिक मात्रा लेता है तो शरीर में कैल्शियम की मात्रा को बढ़ावा मिलता है। इससे शरीर में यह बनने लगता है और धीरे धीरे पथरी की समस्या को उत्पन्न करता है।
यूरेट्रिक स्टोन के लक्षण?
स्टोन जो आकार में छोटे होते हैं उनमें दर्द नहीं होता, लेकिन कभी-कभी दर्द बहुत तेज होता है, तो उनका इलाज करने की जरूरत होती है। दर्द के अलावा किडनी स्टोन के और भी कई लक्षण हो सकते हैं, जैसे:
- यूरेट्रिक स्टोन के कारण पेशाब करते समय दर्द
- मूत्र में रक्त आना
- पेशाब में असामान्य गंध
- पेशाब के रंग में बदलाव
- बिना वजह प्राइवेट पार्ट में दर्द
- पेशाब का रुक रुक कर आना
- सामान्य से अधिक पेशाब आना
कम पानी पीने से भी यूरिनरी स्टोन हो सकता है। शरीर में पानी की कमी होने पर पेशाब गाढ़ा हो जाता है। पेशाब में मिनरल्स पाए जाते हैं, जो गाढ़ा होने पर यूरिनरी ट्रैक्ट में फंस जाते हैं। ज्यादातर मामलों में, मिनरल पहले किडनी में जमा हो जाता है और फिर इसकी कुछ मात्रा यूरिनरी ट्रैक्ट में चली जाती है। जिससे ब्लॉकेज हो जाता हैऔर यह समस्या पैदा होती है। यह मूत्रवाहिनी शूल भी पैदा कर सकता है। यूरेट्रिक शूल के कारण पेट में असहनीय दर्द होता है। दर्द के कारण सूजन भी हो सकती है।
यूरेरिक स्टोन के लिए टेस्ट?
यदि शरीर में यूरेट्रिक स्टोन के लक्षण दिखाई दें तो डॉक्टर अल्ट्रासाउंड टेस्ट कर सकते हैं। स्टोन किडनी में है या यूरिनरी ट्रैक्ट में, अल्ट्रासाउंड से इसका पता लगाया जा सकता है।
- अल्ट्रासाउंड टेस्ट (ultrasound test)
- रक्त टेस्ट (blood test)
- डॉक्टर रक्त परीक्षण भी कर सकते हैं। खून में मौजूद यूरिक एसिड और कैल्शियम की मात्रा का पता लगाना बेहद जरूरी है।
- सीटी स्कैन (CT scan)
यूरिनरी स्टोन किस हिस्से में स्थित है, इसकी सटीक जानकारी सीटी स्कैन से प्राप्त की जा सकती है।
यूरेरिक स्टोन का इलाज
यूरेट्रिक स्टोन का इलाज मरीज की स्थिति को जांचने के बाद डॉक्टर द्वारा किया जाता है, जो इलाज मरीज के लिए सबसे सटीक होता है डॉक्टर उसी का चुनाव करते हैं:
- डॉक्टर यूरिनरी स्टोन का दो तरह से इलाज करते हैं। पहले मरीज को एंटीबायोटिक्स देते हैं। इन एंटीबायोटिक दवाओं में फास्फोरस, मूत्रवर्धक दवाएं, सोडियम बाइकार्बोनेट, एलोप्यूरिनल आदि शामिल हैं।
- यदि किसी व्यक्ति के में इसका आकार बड़ा हुआ है, तो डॉक्टर उसे तोड़ने के लिए लिथोट्रिप्सी का उपयोग करता है।
- दर्द को नियंत्रित करने के लिए परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी का उपयोग किया जाता है।
- अगर यूरिनरी डक्ट ब्लैडर में फंस जाता है, तो डॉक्टर यूरेट्रोस्कोप इंस्ट्रूमेंट का इस्तेमाल करते हैं। जिसके बाद मरीज को इससे निजात मिलती है, ट्रीटमेंट के बाद आपको कुछ दिन तक डॉक्टर दवाएं खाने को भी कह सकते हैं। लेकिन यह मरीज के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।
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