लॉकडाउन में मानसिक बीमारी के लक्षण क्या है और इसका इलाज कैसे करें

 

 

 

जब से लॉकडाउन हुआ है उसके बाद से लोग मानसिक रूप से काफी बीमार हुए हैं। सबसे ज्यादा वो लोग प्रभावित हुए हैं जिन्हें इस लॉकडाउन में अकेले रहना पड़ा है। इसलिए ये जरुरी है की आपको ये मालूम होना चाहिए है कि मानसिक बीमारी के लक्षण क्या होते हैं ? मानसिक बीमारी का इलाज एक मनोचिकित्सक द्वारा किया जाता है।

 

जब किसी व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य खराब होता है तो उसके इलाज के लिए मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद ली जाती है।

 

 

 

मानसिक बीमारी क्या है?

 

 

मानसिक स्वास्थ्य खराब होने के लक्षण का पता तब किया जा सकता है। जब कोई व्यक्ति मानसिक रूप से सोचने में असमर्थ होने लगता है और उसका खुद की भावनाओं, विचारों, व्यवहारों में काफी परिवर्तन आ जाता है। वह समय निकालना उस व्यक्ति के लिए काफी चुनौतीपूर्ण स्थितियों से भरा होता है। कोई भी इंसान शारीरिक रूप से तभी स्वस्थ हो सकता है जब वह मानसिक रूप से स्वस्थ हो। इसलिए ये जानना जरूरी हैं कि मानसिक बीमारी के लक्षण क्या होते हैं ?

 

 

 

मानसिक बीमारी के लक्षण

 

 

लॉकडाउन होने के बाद से डॉक्टर का कहना है की मानसिक रूप से बीमार लोगों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है, जो की बिल्कुल अच्छी बात नहीं है मानसिक बीमारी के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं :

 

 

  • अचानक सिरदर्द होना और काफी लम्बे समय तक होना

 

 

  • सीधे बैठने में पीठदर्द होना

 

 

  • नींद न आना यह सबसे आम लक्षणों में से एक है

 

 

  • मामूली बातों पर गुस्सा और झुंझलाहट आना

 

 

  • छोटी-छोटी बातों को लेकर निराश होना

 

 

  • हमेशा तनाव में रहना

 

 

 

 

  • ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत होना

 

 

  • हमेशा दूसरों से खुद की तुलना करना

 

 

  • व्यवहार में काफी बदलाव आना

 

 

  • किसी घटना का शिकार होना।

 

 

 

मानसिक बीमारी के इलाज के लिए थेरेपी

 

 

 

मनोचिकित्सक एक मानसिक रूप से बीमारी व्यक्ति का इलाज करता है वह इसके लिए थेरेपी का भी इस्तेमाल करता हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:

 

 

साइकोडायनामिक थेरेपी (Psychodynamic Therapy) : इस थेरेपी के लिए मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति को उल्झन की वजह से भावनात्मक अशांति होती है, आमतौर नींद में बोलने की आदत होती है, जो अक्सर बचपन में ज्यादा देखने को मिलती है।

 

 

इंटरपर्सनल थेरेपी (Interpersonal therapy) : इस थेरेपी में उस व्यक्ति के व्यवहारों और अंतःक्रियाओं पर ध्यान दिया जाता है। मानसिक रूप से बीमार यक्ति अपने परिवार के सदस्यों और दोस्तों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह देखा जाता है। ऐसा भी हो सकता है की उसके जीवन में कोई ऐसी घटना हुई हो जो उसके इस व्यवहार के लिए जिम्मेदार होती है और यही वजह है की वह डिप्रेशन में रहता है।

 

 

कॉग्निटिव-बिहेवियरल थैरेपी (Cognitive-Behavioral Therapy) : इस थेरेपी से मनोचिकित्सक मानसिक बीमारी की पहचान करता है और गलत धारणाओं को बदलने में उस व्यक्ति की मदद करता है, डॉक्टर रोगी को “गलत” और “सही” दोनों धारणाओं पर ध्यान केंद्रित करके नए विकल्पों के बारे में सोचने को कहता है।

 

 

 

मानसिक बीमारी का इलाज मनोचिकित्सक कैसे करता है?

 

 

आज के समय में मनुष्य का एक बड़ा तबका मानसिक बीमारी के लक्षणों से जूझ रहा है। लेकिन उनमें से कुछ ऐसे हैं जिन्हें इसके बारे में पता भी नहीं है। ये बीमारी ज्यादातर युवाओं को अपना शिकार बना रही है। मनोचिकित्सक सबसे पहले मरीज के व्यवहार को समझता है और उसे भावनात्मक रूप से मजबूत होने में उसकी मदद करता है।

 

फिर भी, इनमें से कुछ लोग ऐसे हैं जिनको अल्पकालिक समस्याएं भी हो सकती हैं, ऐसे लोग हमेशा नकारात्मक बात करते हैं। यदि आप मानसिक बीमारी के लक्षणों को पहचान जाते हैं तो इसके उपचार के लिए आप हमारे डॉक्टर से मदद ले सकते हैं इसके कुछ सामान्य उदाहरण इस प्रकार है।

 

 

  • एक मनोचिकित्सक आपको लंबे समय से हो रहे किसी दुख को समझ कर आपको उससे निकलने में मदद कर सकता है।

 

 

  • आपकी समस्याएं आपके सभी प्रयासों,परिवार और दोस्तों से मदद के बावजूद आपको बेहतर नहीं लगती हैं ऐसे में आपको तुरंत मनोचिकित्सक की सलाह जरूर लेनी चाहिए तब वह आपके काम करने के तरीको में बदलाव करता है।

 

 

  • यदि आपको अपने काम, असाइनमेंट पर ध्यान केंद्रित करने में काफी दिक्कत होती है तो वह आपको मैडिटेशन करने को भी कह सकता है, इससे आपको काफी आराम और मन को शांति मिलेगी।

 

 

  • आप अत्यधिक चिंता करते हैं तो ऐसे में डॉक्टर आप से बात करता है की आखिर आप किसी भी बात को लेकर इतनी चिंता क्यों करते हैं और आपके दिमाग में उठ रहे सवालों के जवाब देता है।

 

 

मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति अत्यधिक शराब पीना, ड्रग्स का उपयोग करना या आक्रामक भी हो जाता है, ऐसे में वह किसी दूसरे को या खुद को भी नुकसान पहुँचाता है इसलिए आपको तुरंत एक मनोचिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।

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