भारत में मोटर न्यूरॉन रोग उपचार

मोटर न्यूरॉन रोग एक तंत्रिका विज्ञान संबंधी विकार है जो मोटर न्यूरॉन्स को प्रभावित करता है। मोटर न्यूरॉन तंत्रिका तंत्र के वे कोशिकाएं होती हैं जो हमारी स्वैच्छिक मांसपेशियों को नियंत्रित करती हैं। ये मांसपेशियों में से होकर गुजरने वाली लंबी फाइबर सदृश संरचनाएं होती हैं। मोटर न्यूरॉन मांसपेशियों को नियंत्रित करने के लिए उन्हें संकेत भेजते हैं ताकि वे सही ढंग से संकुचित और आराम हो सकें।

 

मोटर न्यूरॉन रोग तब होता है जब शरीर के मोटर न्यूरॉन क्षतिग्रस्त या नष्ट हो जाते हैं। यह आमतौर पर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा मोटर न्यूरॉन्स को गलती से निशाना बनाने के कारण होता है। इससे मोटर न्यूरॉन्स सही ढंग से काम नहीं कर पाते और मांसपेशियों को नियंत्रित करने में असमर्थ हो जाते हैं।

 

 

 

मोटर न्यूरॉन रोग के लक्षण क्या होते हैं ?

 

 

मोटर न्यूरॉन रोग के शुरुआती लक्षण सूक्ष्म हो सकते हैं और धीरे-धीरे विकसित होते हैं। कुछ सामान्य शुरुआती लक्षणों में शामिल हैं:

 

 

  • हाथ, पैर या चेहरे के मांसपेशियों में कमजोरी
  • हाथों या पैरों में थकान या कंपन
  • मांसपेशियों में ऐंठन या संकुचन
  • बोलने या निगलने में कठिनाई
  • चलने में कठिनाई
  • स्पष्ट रूप से बोल पाने में असमर्थता
  • खाने या पीने में कठिनाई
  • अत्यधिक थकान
  • मांसपेशियों में ऐंठन और कड़ापन
  • श्वसन संबंधी समस्याएं

 

 

 

मोटर न्यूरॉन रोग के प्रकार क्या हैं ?

 

 

मोटर न्यूरॉन रोग के कई प्रकार होते हैं जो इस बीमारी के विभिन्न रूपों को दर्शाते हैं। कुछ प्रमुख प्रकार इस प्रकार हैं:

 

 

एमएसए (एमीओट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस): यह सबसे आम प्रकार है जो 15-20 साल की आयु में शुरू होता है। इसमें शरीर के एक ओर की मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्नता और समन्वय में कमी आती है।

 

पीएमएस (प्राइमरी प्रोग्रेसिव मल्टीपल स्क्लेरोसिस): यह एमएस का सबसे आम रूप है जो 40-50 साल की आयु में विकसित होता है। इसमें शारीरिक और मानसिक क्षमता में प्रगतिशील कमी आती है।

 

आरआरएमएस (रिलेप्सिंग रेमिटिंग मल्टीपल स्क्लेरोसिस): इसमें लक्षणों के आने-जाने के चक्र होते हैं जिनमें पूर्ण या आंशिक रिकवरी हो सकती है। यह एमएस का तीसरा सबसे आम प्रकार है।

 

पीपीएमएस (प्राइमरी प्रोग्रेसिव मल्टीपल स्क्लेरोसिस): यह एमएस का चौथा सबसे आम प्रकार है जिसमें लक्षणों में प्रगतिशील ह्रास होता है। इसमें कोई रिमिशन अवधि नहीं होती।

 

एसपीएमएस (सेकेंडरी प्रोग्रेसिव मल्टीपल स्क्लेरोसिस): यह पीपीएमएस का ही एक रूप है लेकिन इसमें लक्षणों का विकास तेजी से होता है। यह बहुत कम आम है।

 

 

 

मोटर न्यूरॉन रोग का निदान किस प्रकार हो सकते हैं ?

 

 

मोटर न्यूरॉन रोग का निदान करना कठिन हो सकता है क्योंकि इसके लक्षण अन्य बीमारियों के समान होते हैं। डॉक्टर निदान के लिए निम्न परीक्षणों और स्कैन का उपयोग कर सकते हैं:

 

 

  • शारीरिक परीक्षण: मांसपेशियों की कमजोरी, पतलापन या ऐंठन जाँचने के लिए। रेफ्लेक्स और संतुलन भी जाँचे जाते हैं।

 

  • इलेक्ट्रोमायोग्राफी (EMG): इस परीक्षण से मांसपेशियों और नसों की गतिविधि में असामान्यता पता लगाई जा सकती है।

 

  • नस प्रवाह अध्ययन: इससे नसों में संक्रमण या दबाव का पता लगाया जाता है।

 

  • इलेक्ट्रोएन्सेफैलोग्राम (EEG): दिमाग की विद्युत गतिविधि मापने के लिए।

 

  • मांसपेशी बायोप्सी: मांसपेशी के एक छोटे से नमूने की जाँच करने के लिए।

 

  • एमआरआई और सीटी स्कैन: दिमाग और रीढ़ की हड्डी की तस्वीरें लेने के लिए।

 

 

 

मोटर न्यूरॉन रोग के जोखिम कारक क्या होते हैं ?

 

 

कुछ लोग मोटर न्यूरॉन रोग के विकसित होने के अधिक जोखिम में होते हैं। जोखिम कारकों में शामिल हैं:

 

 

आनुवंशिकता – मोटर न्यूरॉन रोग के कुछ प्रकार जैसे एमीोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस, स्पाइनल मांसपेशियों की एट्रोफी आदि आनुवंशिक हो सकते हैं। यदि परिवार में इस बीमारी का इतिहास है तो व्यक्ति को इसका विकसित होने का जोखिम रहता है।

 

आयु – 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में मोटर न्यूरॉन रोग होने की संभावना अधिक होती है।

 

लिंग – पुरुषों की तुलना में महिलाओं में मोटर न्यूरॉन रोग होने का जोखिम कम होता है।

 

पर्यावरणीय कारक – कीटनाशकों, भारी धातुओं जैसे सीसा और पारा के लंबे समय तक संपर्क में आने से मोटर न्यूरॉन रोग हो सकता है।

 

 

 

मोटर न्यूरॉन रोग का उपचार किस प्रकार हो सकता हैं ?

 

 

मोटर न्यूरॉन रोग के इलाज के लिए विभिन्न प्रकार के उपाय किए जा सकते हैं:

 

 

दवाएं: मोटर न्यूरॉन रोग के लक्षणों को कम करने के लिए दवाएं दी जा सकती हैं। लेवोडोपा जैसी दवाएं डोपामाइन के स्तर को बढ़ाकर मांसपेशियों के कंपन को कम कर सकती हैं। अन्य दवाएं जैसे एंटीकोलिनर्जिक दवाएं, मांसपेशियों के अतिरिक्त कंपन को रोकने में मदद कर सकती हैं।

 

शल्य चिकित्सा: गंभीर मामलों में थैलेमस में गहरे विद्युत उत्तेजन जैसी शल्य चिकित्साएं लाभदायक हो सकती हैं। ये मस्तिष्क के कुछ हिस्सों को निष्क्रिय करके मांसपेशियों के कंपन को कम करती हैं।

 

भौतिक और बोलने की थेरेपी: भौतिक चिकित्सा मांसपेशियों की ताकत और संतुलन बढ़ाने में मदद कर सकती है। बोलने और स्वर थेरेपी, बोलने और निगलने में कठिनाई को कम करने में मदद कर सकती है।

 

 

 

भारत में मोटर न्यूरॉन रोग की स्थिति क्या हैं ?

 

 

मोटर न्यूरॉन रोग भारत में एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। अनुमान है कि भारत में लगभग 5-7 लाख लोग मोटर न्यूरॉन रोग से प्रभावित हैं। यह संख्या पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी है। भारत के प्रमुख शहरों में मोटर न्यूरॉन रोग के मरीजों की संख्या अधिक है। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई और कोलकाता जैसे बड़े शहरों में विशेष रूप से इस रोग के मामले ज्यादा पाए जाते हैं। भारत में मोटर न्यूरॉन रोग के इलाज के लिए कुछ प्रमुख केंद्र हैं जैसे एम्स दिल्ली, पीडी हिंदूजा मुंबई, निम्हांस बेंगलुरु आदि। ये संस्थान इस रोग के इलाज और शोध के लिए अग्रणी केंद्र हैं।

 

 

 

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