पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी के लिए भारत के अच्छे अस्पताल (pediatric cardiac surgery In India)

पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी, यानी बच्चों की दिल की सर्जरी, एक महत्वपूर्ण और जटिल प्रक्रिया होती है। यह सर्जरी उन बच्चों के लिए होती है जिन्हें जन्मजात दिल की बीमारियां होती हैं या जिनके दिल में कुछ विकार होते हैं। दिल की बीमारियां छोटे बच्चों में भी हो सकती हैं, और इनमें कई बार सर्जरी ही एकमात्र इलाज होता है। यह ब्लॉग पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी, उसके प्रकार, प्रक्रिया, और इसके बाद की देखभाल के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा।

 

 

पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी क्या है?

 

 

पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी बच्चों के दिल की समस्याओं को ठीक करने के लिए की जाने वाली सर्जरी है। यह सर्जरी आमतौर पर उन बच्चों में की जाती है, जिन्हें जन्मजात दिल की बीमारियां (Congenital Heart Defects) होती हैं, यानी जन्म से ही दिल में कुछ विकृतियाँ होती हैं। इस सर्जरी का मुख्य उद्देश्य दिल के सामान्य कार्यों को बहाल करना होता है, ताकि बच्चे का दिल सही तरीके से खून को पंप कर सके और शरीर को आवश्यक ऑक्सीजन पहुंचा सके।

 

 

जन्मजात दिल की बीमारियां क्या होती हैं?

 

 

कुछ बच्चों में ये समस्याएं मामूली होती हैं और बिना सर्जरी के ठीक हो सकती हैं। लेकिन कई मामलों में, सर्जरी ही एकमात्र उपाय होती है।
जन्मजात दिल की बीमारियां बच्चों के दिल में होने वाले संरचनात्मक दोष होते हैं, जो जन्म के समय से ही होते हैं। ये बीमारियां कई प्रकार की हो सकती हैं, जैसे:

 

  • दिल के वाल्व में समस्या
  • दिल के भीतर छेद (Atrial Septal Defect या Ventricular Septal Defect)
  • ब्लड वेसल्स (रक्त वाहिकाओं) की असामान्य स्थिति
  • दिल की नसों और धमनियों में रुकावट या संकीर्णता

 

 

पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी की आवश्यकता कब होती है?

 

 

बच्चों में दिल की समस्याओं के निदान के बाद, अगर यह पाया जाता है कि समस्या गंभीर है और इलाज के अन्य विकल्पों से ठीक नहीं हो सकती, तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह देते हैं। सर्जरी की आवश्यकता निम्नलिखित स्थितियों में हो सकती है:

 

  • जन्मजात दिल के दोष: जन्म से ही दिल में कुछ विकृतियाँ होती हैं जो बच्चे के विकास को प्रभावित कर सकती हैं। सर्जरी से इन्हें ठीक किया जाता है।

 

  • दिल के वाल्व की समस्या: अगर दिल के वाल्व सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं या उनमें रुकावट है, तो सर्जरी की आवश्यकता होती है।

 

  • दिल की नसों में अवरोध: दिल से खून की आपूर्ति करने वाली नसों में अवरोध होने पर सर्जरी से उसे खोला जाता है।

 

 

पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी के प्रकार-

 

पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी कई प्रकार की होती है। यह सर्जरी किस प्रकार की होगी, यह बच्चे की दिल की समस्या के आधार पर तय किया जाता है। कुछ प्रमुख प्रकार इस प्रकार हैं:

 

  • ओपन-हार्ट सर्जरी (Open-Heart Surgery): इस सर्जरी में सर्जन बच्चे के दिल को खोलते हैं और सीधे उसके दोष को ठीक करते हैं। सर्जरी के दौरान, एक हार्ट-लंग मशीन (Heart-Lung Machine) का उपयोग किया जाता है, जो दिल और फेफड़ों के काम को तब तक संभालती है, जब तक सर्जन दिल की मरम्मत कर रहे होते हैं। यह सर्जरी तब की जाती है जब दिल में जटिल समस्याएं होती हैं, जैसे दिल के अंदर छेद को बंद करना या वाल्व को बदलना।

 

  • क्लोज्ड-हार्ट सर्जरी (Closed-Heart Surgery): इस सर्जरी में दिल को नहीं खोला जाता, बल्कि बाहर से ही समस्या को हल किया जाता है। आमतौर पर यह सर्जरी छोटी समस्याओं के लिए होती है, जैसे ब्लड वेसल्स में अवरोध को दूर करना या दिल की बाहरी नसों को ठीक करना।

 

  • मिनिमली इनवेसिव सर्जरी (Minimally Invasive Surgery): यह सर्जरी बहुत छोटे चीरे (Incisions) के माध्यम से की जाती है, जिससे सर्जरी के बाद बच्चे को कम दर्द और जल्द ही ठीक होने का अवसर मिलता है। इसमें सर्जन छोटे उपकरणों और कैमरे की मदद से सर्जरी करते हैं। यह सर्जरी तब की जाती है जब समस्या उतनी गंभीर नहीं होती और सर्जरी की प्रक्रिया को सरल बनाना संभव होता है।

 

  • कैथेटर आधारित सर्जरी (Catheter-Based Surgery): इस प्रक्रिया में एक कैथेटर (छोटा पतला ट्यूब) का उपयोग करके सर्जरी की जाती है। यह सर्जरी दिल में छेद या वाल्व की समस्या को ठीक करने के लिए की जाती है। इसमें शरीर में किसी बड़ी कटाई की जरूरत नहीं होती, और सर्जरी के बाद की रिकवरी भी जल्दी होती है।

 

 

सर्जरी से पहले की तैयारी क्या होती हैं ?

 

पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी एक गंभीर प्रक्रिया होती है, इसलिए इसके लिए पहले से तैयारी करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। सर्जरी से पहले डॉक्टर कुछ टेस्ट और चेकअप करवाते हैं, ताकि बच्चे की स्थिति का सही से मूल्यांकन किया जा सके। सर्जरी से पहले की तैयारी में निम्नलिखित बातें शामिल होती हैं:

 

  • शारीरिक परीक्षण: सर्जरी से पहले बच्चे के दिल, फेफड़े, और शरीर की सामान्य स्थिति का मूल्यांकन किया जाता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बच्चा सर्जरी के लिए तैयार है।

 

  • ब्लड टेस्ट और इमेजिंग: खून की जांच और एक्स-रे, ईसीजी, या एमआरआई जैसी इमेजिंग तकनीकों का उपयोग करके बच्चे के दिल की स्थिति की जांच की जाती है।

 

  • माता-पिता की काउंसलिंग: सर्जरी से पहले माता-पिता को पूरी जानकारी दी जाती है कि सर्जरी कैसे की जाएगी, इसमें कितना समय लगेगा, और इसके बाद क्या देखभाल की आवश्यकता होगी। इससे माता-पिता मानसिक रूप से तैयार हो पाते हैं और सर्जरी के दौरान बच्चे की स्थिति को बेहतर समझ पाते हैं।

 

 

पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी के बाद की देखभाल कैसे होनी चाहिए ?

 

पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी के बाद बच्चे की देखभाल बेहद महत्वपूर्ण होती है। सर्जरी के बाद बच्चे को हॉस्पिटल में कुछ दिनों के लिए रखा जाता है, ताकि डॉक्टर उसकी स्थिति की निगरानी कर सकें। सर्जरी के बाद की देखभाल में निम्नलिखित बातें शामिल होती हैं:

 

  • आईसीयू में निगरानी: सर्जरी के बाद बच्चे को कुछ समय के लिए आईसीयू (Intensive Care Unit) में रखा जाता है, ताकि उसकी हालत पर बारीकी से नजर रखी जा सके। इस दौरान दिल की धड़कन, ब्लड प्रेशर, और अन्य महत्वपूर्ण मानकों की लगातार जांच होती रहती है।

 

  • दर्द प्रबंधन: सर्जरी के बाद बच्चे को दर्द हो सकता है, इसलिए डॉक्टर पेनकिलर या अन्य दवाइयाँ देते हैं, ताकि बच्चे को आराम मिल सके।

 

  • फिजियोथेरेपी और व्यायाम: सर्जरी के कुछ दिन बाद, फिजियोथेरेपिस्ट बच्चे को हल्के व्यायाम करवाते हैं, ताकि उसकी शारीरिक क्षमता बढ़ सके और वह धीरे-धीरे सामान्य गतिविधियों की ओर लौट सके।

 

  • खान-पान और हाइड्रेशन: सर्जरी के बाद बच्चे को पौष्टिक आहार और पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ दिए जाते हैं, ताकि उसकी रिकवरी तेज हो सके। इसके लिए डॉक्टर एक विशेष आहार योजना भी दे सकते हैं।

 

  • नियमित फॉलो-अप: सर्जरी के बाद डॉक्टर से नियमित रूप से मिलना और चेकअप कराना आवश्यक होता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सर्जरी के बाद की रिकवरी सही तरीके से हो रही है और कोई जटिलता नहीं हो रही है।

 

 

सर्जरी के बाद के संभावित जोखिम क्या होते हैं ?

 

हालांकि पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी बच्चों की जिंदगी को बचाने का एक महत्वपूर्ण उपाय है, फिर भी इसके साथ कुछ जोखिम जुड़े होते हैं। सर्जरी के बाद कुछ संभावित जटिलताएं हो सकती हैं, जैसे:

 

  • संक्रमण: सर्जरी के बाद संक्रमण का खतरा हो सकता है, खासकर चीरे वाली जगह पर। इसके लिए एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं और सफाई का ध्यान रखा जाता है।

 

  • रक्तस्राव: सर्जरी के बाद कभी-कभी रक्तस्राव होने का खतरा हो सकता है। अगर ऐसा होता है, तो डॉक्टर तुरंत इसे रोकने के उपाय करते हैं।

 

  • दिल की धड़कन में गड़बड़ी: सर्जरी के बाद कुछ बच्चों में दिल की धड़कन में गड़बड़ी हो सकती है। इसके लिए डॉक्टर विशेष दवाइयों या पेसमेकर का उपयोग कर सकते हैं।

 

  • फेफड़ों में समस्या: सर्जरी के बाद फेफड़ों में तरल जमा हो सकता है, जिससे सांस लेने में समस्या हो सकती है। इसे दूर करने के लिए डॉक्टर श्वास-यंत्र या अन्य उपकरणों का उपयोग कर सकते हैं।

 

 

पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी के लिए भारत के अच्छे अस्पताल-

 

 

 

 

निष्कर्ष:

 

पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी एक जटिल और महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है, लेकिन सही देखभाल और इलाज से बच्चों को एक स्वस्थ जीवन की ओर बढ़ने का मौका मिलता है। बच्चों की दिल की बीमारियों का सही समय पर निदान और सर्जरी की योजना उन्हें बेहतर स्वास्थ्य और लंबी उम्र का अवसर प्रदान करती है। माता-पिता के लिए यह जरूरी है कि वे डॉक्टर की सलाह का पालन करें, नियमित चेकअप करवाएं, और सर्जरी के बाद बच्चे की देखभाल में विशेष ध्यान दें।

 

इससे सम्बंधित किसी भी समस्या का इलाज कराना चाहते हैं, या कोई सवाल पूछना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें। इसके अलावा आप प्ले स्टोर (play store) से हमारा ऐप डाउनलोड करके डॉक्टर से डायरेक्ट कंसल्ट कर सकते हैं। आप हमसे व्हाट्सएप (+91 9311101477) पर भी संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा आप हमारी सेवाओं के संबंध में हमे connect@gomedii.com पर ईमेल भी कर सकते हैं। हमारी टीम जल्द से जल्द आपसे संपर्क करेगी।

Doctor Consutation Free of Cost=

Disclaimer: GoMedii  एक डिजिटल हेल्थ केयर प्लेटफार्म है जो हेल्थ केयर की सभी आवश्यकताओं और सुविधाओं को आपस में जोड़ता है। GoMedii अपने पाठकों के लिए स्वास्थ्य समाचार, हेल्थ टिप्स और हेल्थ से जुडी सभी जानकारी ब्लोग्स के माध्यम से पहुंचाता है जिसको हेल्थ एक्सपर्ट्स एवँ डॉक्टर्स से वेरिफाइड किया जाता है । GoMedii ब्लॉग में पब्लिश होने वाली सभी सूचनाओं और तथ्यों को पूरी तरह से डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा जांच और सत्यापन किया जाता है, इसी प्रकार जानकारी के स्रोत की पुष्टि भी होती है।