रेड मीट और चिकन हो सकता है कोलेस्ट्रॉल के लिए खतरनाक, रिसर्च ने किया दावा

 

अगर आप अधिक मात्रा में रेड मीट का सेवन करते है, तो यह आपके कोलेस्ट्राल के लिए खराब हो सकता है। एक शोध के जरिये शोधकर्ताओं ने यह जानकारी दी है,  रेड मीट या सफ़ेद मांस का सेवन करते है, तो यह कोलेस्ट्राल के स्तर को बहुत अधिक बढ़ा सकता है। आइये जानते है क्या कहती है रिसर्च कोलेस्ट्राल के बारे में।

 

 

क्या कहती है रिसर्च

 

 

शोध में यह कहा गया है कि कोलेस्ट्राल के स्तर कम करने के लिए रेड मीट और सफेद मीट का सेवन नहीं करना चाहिए और शोध के जरिये यह बात सामने आयी है की रेड मीट और सफेद मीट का ज्यादा मात्रा में सेवन करने से कोलेस्ट्राल का स्तर बढ़ जाता है। इसलिए इसके बजाय आपके लिए वनस्पति से मिलने वाले प्रोटीन का सेवन ज्यादा लाभकारी है।

 

 

क्या कहते हैं शोधकर्ता

 

 

  • इस शोध के प्रमुख यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के प्रोफेसर रोनाल्ड क्रॉस ने कहा, “जब हमने इस शोध की योजना बनाई तो हमें उम्मीद थी कि सफेद मीट की जगह रेट मीट का ब्लड कोलेस्ट्राल स्तर पर विपरीत प्रभाव मिलेगा। लेकिन हमें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि ब्लड कोलेस्ट्राल स्तर बढ़ाने में दोनों मीट का प्रभाव समान रहा।”

 

  • शोध में यह भी पाया गया कि वनस्पति से मिलने वाला प्रोटीन ब्लड कोलेस्ट्राल के लिए ज्यादा स्वास्थ्यकर है।

 

 

  • रोनाल्ड क्रॉस ने कहा कि मांस के विपरीत सब्जी, डेयरी उत्पाद और बीन्स कोलेस्ट्राल के लिए बेहतर पाए गए।

 

 

क्या होता है कोलेस्ट्रॉल

 

 

यह लिपिड का ही पार्ट है, जो शरीर के सुचारु रूप से कार्य करने के लिए जरूरी है। हमारे शरीर की प्रत्येक कोशिका की बाहरी परत में कोलेस्ट्रॉल होता है। यह एक चिकना स्टेरॉयड होता है, जो पूरे शरीर में ब्लड प्लाजमा के माध्यम से ट्रांसपोर्ट होता है। इसका निर्माण पशुओं के द्वारा होता है। कम मात्रा में इसका निर्माण पौधों और फंगस के द्वारा भी किया जाता है।

 

 

कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार के होते हैं

 

 

एलडीएल (लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन)

 

एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को खराब (बैड) कोलेस्ट्रॉल भी कहा जाता है। कोलेस्ट्रॉल रक्त में घुलनशील नहीं होता।

 

एचडीएल (हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन)

 

एलडीएल के धमनियों की दीवारों में जमा होने से धमनियों में रुकावट होती है, और आगे चल कर यह हृदय के दौरे का कारण बनता है।

 

 

हाई लेवल के कारण

 

भोजन

 

अंडा, सीफूड में डाएट्री कोलेस्ट्रॉल होता है, जिसका मानव के कोलेस्ट्रॉल के स्तर पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है। हालांकि सैचुरेटेड फैट युक्त खाद्य पदार्थ रेड मीट, पेस्ट्री, केक, अधिकतर बिस्किट और क्रीम शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ा देते हैं।

 

 

सक्रियता की कमी

 

जो लोग एक्सरसाइज नहीं करते, अपना अधिकतर समय बैठे हुए या लेटे हुए बिताते हैं उनमें एलडीएल (बैड कोलेस्ट्रॉल) की मात्रा अधिक और एचडीएल (गुड कोलेस्ट्रॉल) की मात्रा कम होती है।

 

 

शारीरिक भार

 

जिन लोगों का वजन सामान्य से अधिक होता है या जो मोटे होते हैं, उनमें सामान्य भार वालों के मुकाबले एलडीएल का स्तर अधिक और एचडीएल का स्तर कम होता है।

 

 

धूम्रपान और शराब

 

जो लोग नियमित रूप से धूम्रपान या शराब का सेवन करते हैं, उनमें एलडीएल का स्तर अधिक और एचडीएल का स्तर कम होता है।

 

 

मेडिकल कंडीशन

 

कुछ मेडिकल कंडीशन जैसे डायबिटीज, हाइपरटेंशन, किडनी डिजीज, लीवर डिजीज और हाइपर थाइरॉयडिज्म से पीड़ित लोगों में भी कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक पाया जाता है।

 

 

एस्ट्रोजन हार्मोन

 

एस्ट्रोजन हार्मोन रक्त में एलडीएल का स्तर बढ़ा देता है, यही कारण है कि महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले एलडीएल की मात्रा अधिक होती है।

 

 

हाई कोलेस्ट्रॉल के लक्षण

 

 

  • हृदय की कोशिकाओं का संकुचित हो जाना।

 

  • रक्त का थक्का बन जाना और रक्त कोशिकाओं का फट जाना

 

  • त्वचा पर बड़े-बड़े पीले चकते आ जाना, विशेषकर आंखों के आस-पास। यह वास्तव में कोलेस्ट्रॉल का डिपॉजिट है। यह मुख्य रूप से उन लोगों में होता है, जिनमें अनुवांशिक रूप से कोलेस्ट्रॉल का स्तर उच्च होता है।

 

 

कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने के उपाय

 

 

  • अगर आप अपने कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखना चाहते है, तो इसके लिए अपनी डाइट में मौसमी फल, फाइबर युक्त पदार्थ और हरी सब्जियों को अधिक से अधिक शामिल करें।

 

  • कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक होने पर मरीज को मक्खन, घी, आइसक्रीम, चॉकलेट और मिठाई से परहेज करना चाहिए। कोलेस्ट्रॉल स्तर को सामान रखने के लिए आपको सुबह नाश्ते में कॉर्नफ्लैक्स जैसी चीजों का सेवन करना चाहिए।

 

  • इसबगोल भी दिल के मरीजों के लिए अच्छा होता है। यह घुलनशील रेशों का अच्छा स्रोत है और कोलेस्ट्रॉल घटाता है। एक महीने तक रोजाना 15 ग्राम इसबगोल का सेवन कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखता है।

 

  • एक्सरसाइज, नियमित व्यायाम, खान-पान और लाइफस्टाइल में थोड़ा-सा बदलाव करके आप कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल कर सकते हैं।

 

  • 30 साल की उम्र के बाद हर किसी को कोलेस्ट्रॉल की जांच करवानी चाहिए। क्योंकि इससे शरीर में कोलेस्ट्रॉल के जमने का पता चल जाता है, जिससे बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है।

 

  • कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखने के लिए एंटी-ऑक्सीडेंट्स, विटामिन सी, ई और बीटा कैरोटिन से भरपूर चीजों का सेवन करें।

 

  • दूध वाली चाय से परहेज करें। इसमें कैलोरी बहुत अधिक मात्रा में होती हैं, जिससे कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है। इसकी बजाए आप ब्लैक या ग्रीन टी का सेवन करें। दिन में 3-4 कप ब्लैक या ग्रीन टी का सेवन कोलेस्ट्रॉल स्तर को कंट्रोल में रखता है।

 

 

हाई कोलेस्ट्रॉल के कोई लक्षण दिखाई नही देते है, इसलिए इसे साइलेंट प्रॉब्लम (Silent problem) भी कहा जाता है। अगर आपको सीने में दर्द (Angina) या ऊपर बताये गए कोई भी लक्षण दिखाई दे या महसूस हो, तो तुरन्त ही डॉक्टर से जांच कराये, हो सकता है यह हाई कोलेस्ट्रॉल के लक्षण हो सकते है जो जानलेवा भी साबित हो सकते है।

 

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