डायबिटीज, वैसे तो यह बीमारी अपने आप में ही बहुत खतरनाक है। इसके साथ ही डायबिटीज शरीर के अन्य अंगों को भी नुकसान पहुंचाती है। जब किसी व्यक्ति के रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है. तो उस व्यक्ति को मधुमेह होता है। जो लोग पेय पदार्थ में मीठे का सेवन ज्यादा करते है, उन्हें डायबिटीज होने का खतरा ज्यादा होता है।
डायबिटीज होने पर उस व्यक्ति को अपना बहुत ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है, उसकी जरा सी बदपरेजी उसको बहुत नुकसान पहुंचा सकती है। इसके साथ यह उसके शरीर के अन्य अंगों को भी नुकसान पहुंचा सकती है। डायबिटीज होने पर आप किसी एक कारण को इसका जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते है। आपकी अनियमित दिनचर्या और गलत खान-पान की आदतें ही आपको इस बीमारी का शिकार बनाती है।
डायबिटीज के लक्षण
- ज्यादा प्यास लगना : जब आपको डायबिटीज होने वाली होती है तो उस व्यक्ति को बहुत ज्यादा प्यास लगती है।
- लगातार पेशाब आना : अब जाहिर सी बात है कि जब आप ज्यादा पानी पिएंगे तो आपको पेशाब भी ज्यादा आएगा।
- अत्यधिक भूख लगना : ऐसा होने पर आपको जरुरत से ज्यादा भूख लगती है।
- वजन घटाना या बढ़ना : यदि आपका वजन बढ़ता है या अपने आप घटता है तो ये भी इसके लक्षण होते है।
- थकान : यदि आपके शरीर में हमेशा थकान बनी रहती है, तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
- चिड़चिड़ापन : ऐसा होने पर आपके स्वाभाव में भी बदलाव होता है और आप चिड़चिड़े होने लगता है।
- दृष्टि धुंधली होना : जब किसी व्यक्ति की आँखे कमजोर होने लगती है तो ये इसके लक्षण होते है।
- बार-बार शरीर में संक्रमण होना, जैसे मसूड़ों या त्वचा में संक्रमण और योनि में संक्रमण तब आपको डॉक्टर से सलाह चाहिए।
डायबिटीज से बचना है तो रखें इन बातों का ध्यान
यदि आप खुद को डायबिटीज से बचना चाहते है तो सबसे पहले आपको अपनी खान-पान की आदतों को बदलना पड़ेगा तभी आप काफी हद तक इस बीमारी से बचे रह सकते है। इसके साथ ही आपको अपनी दिनचर्या में शारीरक श्रम के आलावा व्यायाम का भी सहारा लेना चाहिए तभी आप खुद को और बेहतर तरीके से स्वस्थ रख पांएगे। आप अपने वजन को भी नियंत्रण में रखने की कोशिश करें और कम से कम पेय पदार्थ में मीठे का सेवन कम करें आप चाहे तो मीठा खा सकते है लेकिन चाय, कॉफी में चीनी का प्रयोग कम ही मात्रा में करें।
डायबिटीज से इन अंगो को होता है नुकसान
हृदय
हाइपरग्लेसेमिया के साथ,डायबिटीज के मरीजों में उच्च कोलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप जैसी समस्या होने की संभावना होती है। इस स्थिति में, रक्त वाहिकाएं पर दबाव पड़ता है, जिससे दिल का दौरा (दिल का दौरा) या दिल से संबंधित अन्य परेशानी जैसे स्ट्रोक भी हो सकता हैं। डायबिटीज के मरीजों में स्ट्रोक का खतरा ज्यादा होता है। पैरों और नसों में रक्त का प्रवाह कम होना ऐसे कारको बढ़ावा देता है।
संक्रमण
एक डायबिटीज के रोगी को त्वचा, मुंह, पेशाब (विशेषकर महिलाओं में), फेफड़े, सांस के द्वारा बैक्टीरिया और फंगल संक्रमण होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। दरअसल ये सभी संक्रमण उस व्यक्ति को उपचार के बाद भी हो सकते हैं। डायबिटीज के मरीज को यह कुछ हद तक रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाने और रोगों से लड़ने की क्षमता को कम कर सकता है।
आँखे
अगर इसको ध्यान में रखा जाए तो कई लोग खुद को डायबिटीज होने से बचा सकते है और ये इसके लक्षणों में से एक होता है। क्योंकि आँखों का कमजोर होना आपको मोतियाबिंद का शिकार भी बना सकता है। आपको बता दें की आंख को प्रभावित करने वाली इस गंभीर स्थिति को डायबिटिक रेटिनोपैथी कहा जाता है। इसमें आँख का रेटिना बिगड़ने लगता है और कुछ गंभीर मामलों में आँख की पूरी रोशनी भी जा सकती है। टाइप 2 डायबिटीज वाले 20% से 40% लोग डायबिटिक रेटिनोपैथी की शिकायत करते हैं।
किडनी
अगर डायबिटीज की बात करें तो इसकी वजह से किडनी पर भी बुरा असर पड़ता है। अक्सर ऐसा देखा गया है डायबिटीज के मरीज की किडनी जल्दी ख़राब हो सकती है। दरअसल टाइप 2 डायबिटीज वाले 7% लोगों में किडनी फेल होने के मामले देखे गए है। मधुमेह का निदान होने से पहले किडनी की बीमारी की शुरुआत का पता चल जाता है। उच्च ट्राइग्लिसराइड, उच्च कोलेस्ट्रॉल और कम एचडीएल पाया गया है।
नर्वस सिस्टम
जब किसी व्यक्ति की रक्त शर्करा काफी लंबे समय से बढ़ी है। तो ये उसकी नेर्वेस सिस्टम की तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचा सकती है। ऐसा होने पर लगभग उस व्यक्ति के पूरे शरीर में झुंझुनि हो सकती है। इस कारण पैरों में अल्सर और संक्रमण भी हो सकता है। इसके अलावा ऐसा होने पर उनके कुछ अंग को काटने भी पड़ सकता है। ऐसा होने पर वो लोग व्यायाम करने में असमर्थता होता है और आराम करते समय दिल की धड़कन बढ़ने जैसे समस्या हो सकती हैं।
एक डायबिटीज के मरीज को अपना बहुत ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है, क्योंकि उन्हें इस तरह की अन्य बीमारी होने का खतरा होता है। इसके साथ ही आपको किसी भी तरह के नशीले पदार्थो का भी सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये इसके जोखिम को और बढ़ाते हैं।
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